गजेंद्र चौहान,एफटीआईआई अध्यक्ष (फाइल फोटो)
पुणे:
परेशानियों से घिरे पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के चेयरमैन और अभिनेता गजेंद्र चौहान को अब अपने टीवी के साथियों का सहारा मिल रहा है। टीवी के लोकप्रिय धारावाहिक 'महाभारत' के कलाकार अब गजेंद्र चौहान उर्फ 'युधिष्ठिर' के पक्ष में सामने आ गए हैं। दरअसल, गजेंद्र चौहान की एफटीआईआई अध्यक्षता को लेकर संस्था के छात्र और बाकी सदस्य कड़ा विरोध कर रहे हैं।
लेकिन इस मामले में 'महाभारत' में 'दुर्योधन' की भूमिका निभाने वाले अभिनेता पुनीत इस्सर ने गजेंद्र चौहान का साथ देते हुए एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि उनके टीवी के चचेरे भाई के साथ अन्याय हो रहा है। पुनीत कहते हैं, "दुख की बात है कि यह मामला बद से बदतर होता जा रहा है... गजेंद्र को मौका दिए बगैर ही उनकी काबिलियत पर कैसे सवाल उठा सकते हैं...? इसकी क्या गारंटी है कि कोई ज़्यादा 'बड़ा नाम' एफटीआईआई को बेहतर तरीके से चला पाएगा...?"
इस मामले में सिर्फ 'दुर्योधन' ही नहीं, 'महाभारत' में उनके 'सौतेले बड़े भाई कर्ण', यानी अभिनेता पंकज धीर भी ऐसा ही कुछ कहते नज़र आते हैं। पंकज के मुताबिक, "अगर सरकार ने गजेंद्र को यह काम सौंपा है तो उसमें कुछ तो बात रही होगी... वैसे भी एफटीआईआई चेयरमैन का काम पढ़ाने का नहीं, संस्था चलाने का है, इसलिए इस पोस्ट का चौहान के एक्टिंग करियर से कोई लेना-देना नहीं है..."
पंकज धीर ने यह भी कहा कि कई बार औसत टीचर से पढ़कर भी कई छात्र कुछ बड़ा कर जाते हैं। वैसे भी काफी बड़ी हस्तियां एफटीआईआई के चेयरमैन की कुर्सी पर बैठीं, लेकिन वे अपनी जिम्मेदारियां अच्छे से नहीं निभा पाईं।
इन दोनों के अलावा 'महाभारत' के 'मुख्य खलनायकों' में से एक 'शकुनि' की भूमिका अदा करने वाले गूफी पेंटल ने कहा, "यह सच है कि एफटीआईआई के पूर्व अध्यक्षों की तुलना में गजेंद्र के पास उतनी योग्यता नहीं है, लेकिन अगर सरकार को अपने ही किसी आदमी को बिठाना था तो शत्रुघ्न सिन्हा या हेमा मालिनी को भी यह पद दिया जा सकता था... हालांकि मुझे नहीं लगता कि छात्रों का इस तरह विरोध करना सही है... गजेंद्र को खुद को साबित करने का मौका तो एक बार मिलना चाहिए..."
इन सबके बीच 'महाभारत' के 'भीष्म पितामह', यानी अभिनेता मुकेश खन्ना ने काफी खुलकर अपनी बात सामने रखी। मुकेश ने कड़ा रुख़ अपनाते हुए कहा कि यह फैसला सरकार लेती है और छात्रों को अपनी शर्तें रखने का कोई हक नहीं। अगर गजेंद्र को लगता है कि वह इस लायक हैं तो उन्हें मौका दिया जाना चाहिए। अगर छात्रों को समस्या है तो वे एफटीआईआई से चले जाएं, छात्रों की सोच गलत है।
गौरतलब है कि मुकेश खन्ना पिछले 15 साल से भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करते आ रहे हैं और हाल ही में उन्हें चिल्ड्रन फिल्म सोसायटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
वहीं 'द्रौपदी' के नाम से पहचानी जाने वाली रूपा गांगुली ने भी इस पूरे घटनाक्रम के लिए छात्रों को ही जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने भी एक बार गजेंद्र को मौका दिए जाने की बात दोहराई। पश्चिम बंगाल में भाजपा की सदस्य रूपा गांगुली मानती हैं कि किसी को इस तरह अपमानित करना गलत है। भले ही गजेंद्र का करियर बहुत यादगार न रहा हो, लेकिन इसमें शायद उनकी किस्मत का दोष ज्यादा था। वैसे भी इंडस्ट्री में हर किसी को उसकी काबिलियत के हिसाब से मौके कहां मिल पाते हैं।
लेकिन इस मामले में 'महाभारत' में 'दुर्योधन' की भूमिका निभाने वाले अभिनेता पुनीत इस्सर ने गजेंद्र चौहान का साथ देते हुए एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि उनके टीवी के चचेरे भाई के साथ अन्याय हो रहा है। पुनीत कहते हैं, "दुख की बात है कि यह मामला बद से बदतर होता जा रहा है... गजेंद्र को मौका दिए बगैर ही उनकी काबिलियत पर कैसे सवाल उठा सकते हैं...? इसकी क्या गारंटी है कि कोई ज़्यादा 'बड़ा नाम' एफटीआईआई को बेहतर तरीके से चला पाएगा...?"
इस मामले में सिर्फ 'दुर्योधन' ही नहीं, 'महाभारत' में उनके 'सौतेले बड़े भाई कर्ण', यानी अभिनेता पंकज धीर भी ऐसा ही कुछ कहते नज़र आते हैं। पंकज के मुताबिक, "अगर सरकार ने गजेंद्र को यह काम सौंपा है तो उसमें कुछ तो बात रही होगी... वैसे भी एफटीआईआई चेयरमैन का काम पढ़ाने का नहीं, संस्था चलाने का है, इसलिए इस पोस्ट का चौहान के एक्टिंग करियर से कोई लेना-देना नहीं है..."
पंकज धीर ने यह भी कहा कि कई बार औसत टीचर से पढ़कर भी कई छात्र कुछ बड़ा कर जाते हैं। वैसे भी काफी बड़ी हस्तियां एफटीआईआई के चेयरमैन की कुर्सी पर बैठीं, लेकिन वे अपनी जिम्मेदारियां अच्छे से नहीं निभा पाईं।
इन दोनों के अलावा 'महाभारत' के 'मुख्य खलनायकों' में से एक 'शकुनि' की भूमिका अदा करने वाले गूफी पेंटल ने कहा, "यह सच है कि एफटीआईआई के पूर्व अध्यक्षों की तुलना में गजेंद्र के पास उतनी योग्यता नहीं है, लेकिन अगर सरकार को अपने ही किसी आदमी को बिठाना था तो शत्रुघ्न सिन्हा या हेमा मालिनी को भी यह पद दिया जा सकता था... हालांकि मुझे नहीं लगता कि छात्रों का इस तरह विरोध करना सही है... गजेंद्र को खुद को साबित करने का मौका तो एक बार मिलना चाहिए..."
इन सबके बीच 'महाभारत' के 'भीष्म पितामह', यानी अभिनेता मुकेश खन्ना ने काफी खुलकर अपनी बात सामने रखी। मुकेश ने कड़ा रुख़ अपनाते हुए कहा कि यह फैसला सरकार लेती है और छात्रों को अपनी शर्तें रखने का कोई हक नहीं। अगर गजेंद्र को लगता है कि वह इस लायक हैं तो उन्हें मौका दिया जाना चाहिए। अगर छात्रों को समस्या है तो वे एफटीआईआई से चले जाएं, छात्रों की सोच गलत है।
गौरतलब है कि मुकेश खन्ना पिछले 15 साल से भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करते आ रहे हैं और हाल ही में उन्हें चिल्ड्रन फिल्म सोसायटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
वहीं 'द्रौपदी' के नाम से पहचानी जाने वाली रूपा गांगुली ने भी इस पूरे घटनाक्रम के लिए छात्रों को ही जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने भी एक बार गजेंद्र को मौका दिए जाने की बात दोहराई। पश्चिम बंगाल में भाजपा की सदस्य रूपा गांगुली मानती हैं कि किसी को इस तरह अपमानित करना गलत है। भले ही गजेंद्र का करियर बहुत यादगार न रहा हो, लेकिन इसमें शायद उनकी किस्मत का दोष ज्यादा था। वैसे भी इंडस्ट्री में हर किसी को उसकी काबिलियत के हिसाब से मौके कहां मिल पाते हैं।
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