कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के चलते देश भर में स्कूल-कॉलेज बंद हैं और विद्यार्थियों में ऑनलाइन क्लास की आदत होती जा रही है. लेकिन यह भी सच है कि सभी विद्यार्थियों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे स्मार्टफोन और यहां तक कि इंटरनेट कनेक्शन भी ले सकें. लेकिन झारखंड के दुमका के शिक्षकों ने छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में आने वाली यह बाधा दूर कर दी है.
बनकाठी गांव की मिडिल स्कूल के हेडमास्टर श्याम किशोर सिंह महामारी के कारण स्कूल बंद होने से परेशान अपने 200 छात्रों के शिक्षण के लिए एक नया तरीका ईजाद किया है. उन्होंने पूरे गांव में पेड़ों और दीवारों पर कई लाउडस्पीकर लगवा दिए हैं. उनके छात्र-छात्राएं गांव के अलग-अलग स्थानों पर लाउडस्पीकर के पास में बैठकर कक्षाएं अटैंड करते हैं. यह कक्षाएं रोज दो घंटे की होती हैं. यह कक्षाएं 16 अप्रैल से लग रही हैं.
हर दिन सुबह 10 बजे क्लास शुरू होती हैं. क्लास रूम में पांच टीचर माइक्रोफोन के जरिए पढ़ाते हैं. इस क्लास के वीडियो में साफ दिखता है कि छात्र एक-दूसरे से दूरी बनाकर बैठते हैं. शिक्षक विभिन्न विषयों को पढ़ाते हैं और विद्यार्थी बाकायदा सामान्य क्लास की तरह ही उसे अपनी नोट बुक में लिखते हैं. एक छात्र कहता है कि शिक्षक से दूरी होने के बावजूद इन कक्षाओं में सब कुछ आसानी से समझ में आ जाता है.
'Loudspeaker Classes' In #Jharkhand Village For Students Amid #COVID19 pic.twitter.com/RwuBPhbIW4
— STELLA (@BrownKhaleesi) June 26, 2020
The students are impressed! Innovation is needed in these testing #COVID19 times as many students cannot afford a smartphone or an internet connection. pic.twitter.com/glIrizxTsQ
— STELLA (@BrownKhaleesi) June 26, 2020
शिक्षक श्याम किशोर सिंह कहते हैं कि कुल 246 छात्रों में से सिर्फ 42 के घर पर स्मार्टफोन है. जाहिर है यहां ऑनलाइन क्लास की युक्ति ठीक नहीं हो सकती. छात्र सवाल कैसे पूछते हैं? इस प्रश्न पर सिंह कहते हैं कि ''छात्र किसी भी मोबाइल से अपने सवाल भेज देते हैं. हम उन्हें अगले दिन की क्लास में समझा देते हैं. ''
वे यह भी कहते हैं कि लाउडस्पीकर से टीचिंग के आइडिया के पीछे सभी बच्चों को शिक्षा देने का उद्देश्य है, भले ही किसी के परिवार के पास स्मार्टफोन हो या न हो.
दुमका की डिप्टी कमिश्नर राजेश्वरी बी शिक्षकों के सभी बच्चों को पढ़ाने के प्रयासों के लिए उनकी तारीफ करती हैं. वे कहती हैं कि छात्र-छात्राओं की मदद का यह एक इनोवेटिव रास्ता है. इससे अभिभावक भी यह जान सकते हैं कि स्कूल में क्या पढ़ाया जाता है. यह काफी स्वागत योग्य कदम है.
ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से छात्रों के लिए स्मार्टफोन और इंटरनेट का खर्च उठाना संभव नहीं है. ऐसे में इन इलाकों में ऑनलाइन क्लासें चलाना बहुत मुश्किल है.
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