
अहमदाबाद:
अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की 138वीं रथयात्रा धामधूम से निकली। गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने पहिंद विधि करके रथयात्रा को सुबह 7 बजे प्रस्थान कराया। पहिंद विधि यानी सोने के झाड़ू से भगवान जगन्नाथ के रथ को बुहारना और परंपरागत रूप से ये राज्य के मुख्यमंत्री करते हैं।
रथयात्रा चल पड़ी तो पुराने शहर के रास्ते त्योहार के रंग में रंगे दिखे। तीनों रथों पर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और दाऊ बलभद्र निकले और लोगों में उनके दर्शन का उत्साह दिखा। पूरा जुलूस काफी लंबा था। सबसे आगे 18 गजराज, फिर करीब 100 ट्रकों पर भारतीय संस्कृति की झांकियां, फिर 30 के करीब अखाड़े कसरत और कई करतब करते हुए और फिर कई भजन मंडलियां जो भगवान से जुड़े अलग-अलग भजन गाती चलती रहीं। और उनके पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ।
लोग कहते हैं कि रथयात्रा खास मौका रहता है, क्योंकि इस दिन भगवान खुद शहर में घूमने निकलते हैं और लोगों के घर जाकर दर्शन देते हैं, आमतौर पर तो लोगों को मंदिर में जाकर ही दर्शन करने पड़ते हैं। इसीलिए लाखों लोग रथयात्रा में शामिल होते हैं।
जहां शहर में रथयात्रा की धूम रही तो लगातार बीच-बीच में ईद की नमाज के लिए अज़ान की भी आवाज आती रही, लोग मस्जिदों में नमाज़ पढ़ते रहे और एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की बधाई देते रहे।
आमतौर पर दो संप्रदायों के त्योहार एक साथ हों तो सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी मुसीबत हो जाती है। लोगों में डर भी रहता है कि कहीं साम्प्रदायिक तनाव पैदा न हो जाए, लेकिन अहमदाबाद ने इसे तनाव के बजाय साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल बनाने का मौका बना दिया।
रथयात्रा चल पड़ी तो पुराने शहर के रास्ते त्योहार के रंग में रंगे दिखे। तीनों रथों पर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और दाऊ बलभद्र निकले और लोगों में उनके दर्शन का उत्साह दिखा। पूरा जुलूस काफी लंबा था। सबसे आगे 18 गजराज, फिर करीब 100 ट्रकों पर भारतीय संस्कृति की झांकियां, फिर 30 के करीब अखाड़े कसरत और कई करतब करते हुए और फिर कई भजन मंडलियां जो भगवान से जुड़े अलग-अलग भजन गाती चलती रहीं। और उनके पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ।
लोग कहते हैं कि रथयात्रा खास मौका रहता है, क्योंकि इस दिन भगवान खुद शहर में घूमने निकलते हैं और लोगों के घर जाकर दर्शन देते हैं, आमतौर पर तो लोगों को मंदिर में जाकर ही दर्शन करने पड़ते हैं। इसीलिए लाखों लोग रथयात्रा में शामिल होते हैं।
जहां शहर में रथयात्रा की धूम रही तो लगातार बीच-बीच में ईद की नमाज के लिए अज़ान की भी आवाज आती रही, लोग मस्जिदों में नमाज़ पढ़ते रहे और एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की बधाई देते रहे।
आमतौर पर दो संप्रदायों के त्योहार एक साथ हों तो सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी मुसीबत हो जाती है। लोगों में डर भी रहता है कि कहीं साम्प्रदायिक तनाव पैदा न हो जाए, लेकिन अहमदाबाद ने इसे तनाव के बजाय साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल बनाने का मौका बना दिया।
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