ललित मोदी (फाइल फोटो)
जयपुर:
भारत छोड़ लंदन में बैठे ललित मोदी एक बार फिर राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन की कमान संभालेंगे। आरसीए में मंगलवार को उस समय तब एक बार फिर नाटकीय मोड़ आया जब मोदी विरोधी पठान गुट ने मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव वापस ले लिया। इसके साथ ही ललित मोदी के दुबारा आरसीए प्रेसीडेंट बनने का रास्ता साफ हो गया। आईपीएल के पूर्व कमिश्नर और आरसीए के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी इस जिम्मेदारी की औपचारिक कमान किसी तरह से संभालेंगे, यह फिलहाल पहले की तरह यक्ष प्रश्न बना हुआ है।
मोदी विरोधी पठान गुट ने अविश्वास प्रस्ताव वापस लिया
ललित मोदी को इस महत्वपूर्ण पद पर चुनौती देने वाले अमीन पठान ने आरसीए में मंगलवार को मोदी गुट के साथ समझौता और अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने की घोषणा की। अमीन पठान ने दोनों गुटों के बीच समझौते का प्रस्ताव आरसीए घटनाक्रम की निगरानी कर रही रिटायर्ड जज ज्ञानसुधा मिश्र को सौंप दिया। जानकारी के मुताबिक अब जस्टिस मिश्र बुधवार सुबह 11.30 बजे औपचारिक फैसला सुनाएंगी।
जस्टिस मिश्रा पहले कर चुकीं सुनवाई
गौरतलब है कि जस्टिस ज्ञानसुधा मिश्र आरसीए में गतिरोध खत्म करने की कवायद में पहले ही दोनों गुटों का पक्ष सुन चुकी हैं। उस दौरान ही दोनों गुटों को आपसी मतभेद भुलाकर क्रिकेट के हित में काम करने लिए कहा गया था। जस्टिस मिश्रा ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद 28 नवम्बर तक मतदाता सूची में आपत्तियां दर्ज करवाने की अनुमति दी थी।
सवाल फिर वही - कैसे हटेगा आरसीए से बैन
ललित मोदी भले ही दुबारा आरसीए अध्यक्ष बनने जा रहे हैं, लेकिन इस बीच सवाल एक बार फिर यही सामने आ रहा है कि मोदी की वापसी के बाद आरसीए पर बीसीसीआई का लगाया गया बैन कैसे वापस होगा।
क्रिकेट की बेहतरी के लिए वापस लिया प्रस्ताव : पठान
ललित मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव वापस लाने वाले अमीन पठान ने कहा कि उन्होंने राजस्थान प्रदेश में क्रिकेट के विकास और बेहतरी के लिए प्रस्ताव वापस लिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही बीसीसीआई के साथ भी विवाद सुलझ जाएगा। मीडिया से बातचीत में पठान ने कहा कि स्पोर्ट्स एक्ट के आधार पर आने वाले दिनों में अपना पक्ष रखकर बीसीसीआई से अदालती लड़ाई लड़ी जाएगी।
मोदी ने राजस्थान हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से बर्खास्त किए गए ललित मोदी ने अपनी कार्यकारिणी को हटाए जाने के फैसले को राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। अदालत में दायर याचिका में मोदी गुट के 11 जिला संघ प्रतिनिधियों ने कहा है कि जिस तरह से उन्हें हटाया गया वह पूरी तरह गैरकानूनी और असंवैधानिक है। मोदी गुट का दावा था कि उन्हें 33 में से 22 जिला संघों का समर्थन हासिल है। मोदी गुट ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव, जयपुर कमिश्नर और ज्योति नगर थाना इंचार्ज को भी पार्टी बनाया था। आरोप था कि उन्होंने मिलीभगत कर अमीन पठान और उनके सहयोगियों को राजस्थान क्रिकेट संघ के दफ्तर पर असंवैधानिक तरीके से कब्ज़ा करवाने में मदद की। अक्टूबर 2014 में कोटा जिला संघ अध्यक्ष अमीन पठान ने जिला संघों की एक्स्ट्रा आर्डिनरी मीटिंग बुलाकर ललित मोदी और उनकी कार्यकारिणी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उन्हें बर्खास्त कर दिया था और दफ्तर पर कब्ज़ा कर लिया था। कार्यकारी अध्यक्ष चुने गए पठान ने 33 में से 24 जिला क्रिकेट संघों के समर्थन का दावा किया था।
कोर्ट ने कार्यकारिणी को बर्खास्त करने के फैसले को गलत ठहराया
अदालत ने पिछले साल अक्टूबर में अमीन पठान गुट द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के जरिए मोदी सहित चार लोगों की कार्यकारिणी को बर्खास्त किए जाने की प्रक्रिया को गलत ठहराया था। मोदी गुट ने अमीन पठान गुट को यह कहकर चुनौती दी थी कि मोदी गुट को हटाने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत थी और मीटिंग बुलाने के लिए 21 दिन पहले नोटिस दिया जाना जरूरी था। इस नियम का पालन नहीं किया गया। अदालत ने मोदी गुट की दलील सही मानते हुए अविश्वास प्रस्ताव खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि अगर मोदी विरोधी गुट के पास बहुमत है तो वह उसे प्रक्रिया के तहत फिर से सिद्ध करे।
मोदी विरोधी पठान गुट ने अविश्वास प्रस्ताव वापस लिया
ललित मोदी को इस महत्वपूर्ण पद पर चुनौती देने वाले अमीन पठान ने आरसीए में मंगलवार को मोदी गुट के साथ समझौता और अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने की घोषणा की। अमीन पठान ने दोनों गुटों के बीच समझौते का प्रस्ताव आरसीए घटनाक्रम की निगरानी कर रही रिटायर्ड जज ज्ञानसुधा मिश्र को सौंप दिया। जानकारी के मुताबिक अब जस्टिस मिश्र बुधवार सुबह 11.30 बजे औपचारिक फैसला सुनाएंगी।
जस्टिस मिश्रा पहले कर चुकीं सुनवाई
गौरतलब है कि जस्टिस ज्ञानसुधा मिश्र आरसीए में गतिरोध खत्म करने की कवायद में पहले ही दोनों गुटों का पक्ष सुन चुकी हैं। उस दौरान ही दोनों गुटों को आपसी मतभेद भुलाकर क्रिकेट के हित में काम करने लिए कहा गया था। जस्टिस मिश्रा ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद 28 नवम्बर तक मतदाता सूची में आपत्तियां दर्ज करवाने की अनुमति दी थी।
सवाल फिर वही - कैसे हटेगा आरसीए से बैन
ललित मोदी भले ही दुबारा आरसीए अध्यक्ष बनने जा रहे हैं, लेकिन इस बीच सवाल एक बार फिर यही सामने आ रहा है कि मोदी की वापसी के बाद आरसीए पर बीसीसीआई का लगाया गया बैन कैसे वापस होगा।
क्रिकेट की बेहतरी के लिए वापस लिया प्रस्ताव : पठान
ललित मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव वापस लाने वाले अमीन पठान ने कहा कि उन्होंने राजस्थान प्रदेश में क्रिकेट के विकास और बेहतरी के लिए प्रस्ताव वापस लिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही बीसीसीआई के साथ भी विवाद सुलझ जाएगा। मीडिया से बातचीत में पठान ने कहा कि स्पोर्ट्स एक्ट के आधार पर आने वाले दिनों में अपना पक्ष रखकर बीसीसीआई से अदालती लड़ाई लड़ी जाएगी।
मोदी ने राजस्थान हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से बर्खास्त किए गए ललित मोदी ने अपनी कार्यकारिणी को हटाए जाने के फैसले को राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। अदालत में दायर याचिका में मोदी गुट के 11 जिला संघ प्रतिनिधियों ने कहा है कि जिस तरह से उन्हें हटाया गया वह पूरी तरह गैरकानूनी और असंवैधानिक है। मोदी गुट का दावा था कि उन्हें 33 में से 22 जिला संघों का समर्थन हासिल है। मोदी गुट ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव, जयपुर कमिश्नर और ज्योति नगर थाना इंचार्ज को भी पार्टी बनाया था। आरोप था कि उन्होंने मिलीभगत कर अमीन पठान और उनके सहयोगियों को राजस्थान क्रिकेट संघ के दफ्तर पर असंवैधानिक तरीके से कब्ज़ा करवाने में मदद की। अक्टूबर 2014 में कोटा जिला संघ अध्यक्ष अमीन पठान ने जिला संघों की एक्स्ट्रा आर्डिनरी मीटिंग बुलाकर ललित मोदी और उनकी कार्यकारिणी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उन्हें बर्खास्त कर दिया था और दफ्तर पर कब्ज़ा कर लिया था। कार्यकारी अध्यक्ष चुने गए पठान ने 33 में से 24 जिला क्रिकेट संघों के समर्थन का दावा किया था।
कोर्ट ने कार्यकारिणी को बर्खास्त करने के फैसले को गलत ठहराया
अदालत ने पिछले साल अक्टूबर में अमीन पठान गुट द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के जरिए मोदी सहित चार लोगों की कार्यकारिणी को बर्खास्त किए जाने की प्रक्रिया को गलत ठहराया था। मोदी गुट ने अमीन पठान गुट को यह कहकर चुनौती दी थी कि मोदी गुट को हटाने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत थी और मीटिंग बुलाने के लिए 21 दिन पहले नोटिस दिया जाना जरूरी था। इस नियम का पालन नहीं किया गया। अदालत ने मोदी गुट की दलील सही मानते हुए अविश्वास प्रस्ताव खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि अगर मोदी विरोधी गुट के पास बहुमत है तो वह उसे प्रक्रिया के तहत फिर से सिद्ध करे।
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