केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली.
नई दिल्ली:
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने उद्योगों को मिले कर्जमाफी की खबरों पर सफाई जारी की है. उन्होंने सोमवार को सफाई देते हुए कहा है कि राइट-ऑफ से किसी प्रकार की कर्जमाफी नहीं हुई है और बैंकों की वसूली की प्रक्रिया सख्ती से जारी है. वित्तमंत्री ने यह सफाई उन खबरों पर दिया है, जिनमें कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले चार साल में की गई वसूली की रकम की सात गुनी राशि के बराबर कर्ज का निरस्तीकरण(राइट-ऑफ) किया है.जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, "रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के दिशानिर्देश के आधार पर बैंकों ने तकनीकी निरस्तीकरण का सहारा लिया है. हालांकि इससे कोई कर्जमाफी नहीं होती है। बैंकों द्वारा कर्ज की वसूली सख्ती से की जा रही है."
जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ कड़े कदम उठाएं बैंक : अरुण जेटली
सोमवार को आई मीडिया रिपोर्ट में आरबीआई के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि अप्रैल 2014 से लेकर अप्रैल 2018 के बीच सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों ने 3,16,500 करोड़ रुपये के कर्ज का निरस्तीकरण किया, जबकि उनकी वसूली 44,900 करोड़ रुपये की हो पाई.जेटली ने कहा कि आरबीआई के दिशानिर्देश और बैंकों के निदेशक मंडल द्वारा स्वीकृत नीति के अनुसार, गैर-निष्पादित कर्जो का निरस्तीकरण कर उन्हें बैंक के तुलन पत्र से हटा दिया गया है, जिनमें वे कर्ज भी शामिल हैं जिनमें चार साल की समाप्ति पर पूर्ण प्रावधान किया गया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, "गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) का निरस्तीकरण तुलन पत्र की सफाई करने और कराधान दक्षता हासिल करने संबंधी बैंकों द्वारा किया जाने वाले नियमित कार्य है। कर लाभ उठाने और पूंजी का अधिकतम उपयोग करने के मकसद से कर्ज का निरस्तीकरण अन्य विषयों में किया जाता है."
वीडियो-फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान में विरोधाभास'
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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, "गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) का निरस्तीकरण तुलन पत्र की सफाई करने और कराधान दक्षता हासिल करने संबंधी बैंकों द्वारा किया जाने वाले नियमित कार्य है। कर लाभ उठाने और पूंजी का अधिकतम उपयोग करने के मकसद से कर्ज का निरस्तीकरण अन्य विषयों में किया जाता है."
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