New Delhi:
कर्नाटक के राज्यपाल एचआर भारद्वाज को वापस बुलाने की भाजपा की मांग को सिरे से खारिज करते हुए केन्द्र ने सोमवार को कहा कि इसका सवाल ही नहीं उठता। उसने कहा कि राज्यपाल अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। सरकार ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की राज्यपाल की सिफरिश को किन्हीं वैधानिक कारणों से लागू नहीं किया गया है। लेकिन इन सिफारिशों के आधार पर येदियुरप्पा सरकार को एडवाइज़री भेजी जा रही है। गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मंत्री समूह मीडिया ब्रीफिंग में कहा, केवल वैधानिक पहलुओं को ध्यान में रख कर कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाने की राज्यपाल की सिफारिश को स्वीकार नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति में यह राय बनी कि राष्ट्रपति शासन लगाने की शक्ति काफी सीमित है। इसके अलावा राज्य के हालात अभी संविधान के अनुच्छेद 356 को लागू करने पर खरा नहीं उतरते। साथ ही इस संदर्भ में उच्चतम न्यायालय के निर्णय को भी ध्यान में रखा गया है। चिदंबरम ने कहा कि इन सब पहलुओं को देखते हुए कर्नाटक के मामले में अहम को तूल नहीं देते हुए राष्ट्रपति शासन लागू करने की राज्यपाल की सिफारिश को नहीं मानने का निर्णय किया गया। राष्ट्रपति शासन नहीं लागू करने के बावजूद केन्द्र ने हालांकि, बी एस येदियुरप्पा सरकार को भारद्वाज की रिपोर्ट के आधार पर एडवाइज़री भेजने का फैसला किया हैं। गृह मंत्री ने बताया कि एडवाइज़री तैयार की जा रही है और इसे कल तक कर्नाटक सरकार को भेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्यपाल की रिपोर्ट में कई बिन्दु सही हैं और उन्हें एडवाइज़री का आधार बनाया गया है। एडवाइज़री में भ्रष्टाचार, अवैध खनन, राज्य के मंत्रियों के खिलाफ मामले, लोकायुक्त की शिकायतों और राज्य में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव तथा उत्पीड़न के बारे में सलाह दी गई है। उधर राष्ट्रीय राजधानी आए येदियुरप्पा ने कहा, भाजपा ने भारद्वाज को वापस बुलाने की अपनी मांग पर कायम रहने का फैसला किया है, हालांकि, विधानसभा को निलंबित रखे जाने की राज्यपाल की सिफारिश को स्वीकार नहीं करने के लिये भारत सरकार की प्रशंसा करता हूं। यह लोकतंत्र और मेरी बहुमत वाली सरकार के लिये एक बड़ी जीत है।