विज्ञापन
This Article is From Jun 29, 2017

उत्तराखंड से परंपरागत रास्ते से कैलाश मानसरोवर यात्रा जारी, डेढ़ सौ यात्री गए

उत्तराखंड के लिपुलेख से जाने वाले रास्ते से करीब 850 और यात्री मानसरोवर जाएंगे

उत्तराखंड से परंपरागत रास्ते से कैलाश मानसरोवर यात्रा जारी, डेढ़ सौ यात्री गए
उत्तराखंड के लिपुलेख के पारंपरिक मार्ग से मानसरोवर यात्रा के लिए यात्रियों के जत्थे रवाना हो गए हैं.
नई दिल्ली: कैलाश मानसरोवर यात्रा के परंपरागत रास्ते पर चीन ने कोई रोक नहीं लगाई है. यह रास्ता अब भी खुला हुआ है और इससे होकर यात्री बिना किसी रोकटोक के जा रहे  हैं. इस रास्ते से होकर अब तक करीब 150 यात्री कैलाश मानसरोवर जा चुके हैं और इसी रास्ते से करीब 850 यात्री और जाएंगे. अभी तक चीन की ओर से ऐसे कोई संकेत नहीं दिए गए हैं जिससे यह लगे कि वह इस रास्ते से होकर भारतीय तार्थ यात्रियों को कैलाश मानसरोवर नहीं जाने देगा.

चीन ने नाथूला-पास से होकर कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते पर रोक लगाई है. इस रास्ते से करीब 350 यात्रियों को जाना था, लेकिन अब यहां सीमा पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनाव हो गया है. चीन ने तो साफ कह दिया है कि जब तक भारतीय सेना वहां से पीछे नहीं हटती है तब तक यात्रा को आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा. इस मसले पर न तो सेना और न ही सरकार ने अपना रुख साफ किया है. बस इतना कहा कि यात्रा में कुछ परेशानी आ रही है जिसे जल्द सुलझा लिया जाएगा.
 
mansarovar yatra uttrakhand

इस वजह से इस रास्ते से होकर अब शायद ही तीर्थयात्री जा पाएं. यात्रियों के दो जत्थे वापस आ चुके हैं. इस रास्ते से यात्रियों के सात जत्थों को जाना था लेकिन अब इस रास्ते से सबका जाना खटाई में पड़ गया है. मानसरोवर जाने के लिए यह रास्ता सन 2015 में खोला गया था. इस रास्ते की सबसे बड़ी खासियत है कि इससे होकर जाने वाले यात्रियों को पैदल न के बराबर चलना होता है. इस रास्ते से सड़क मार्ग के जरिए सीधे कैलाश मानसरोवर तक पहुंचा जा सकता है.

वहीं कैलााश मानसरोवर जाने का परंपरागत रास्ता उत्तराखंड के लिपुलेख से होकर जाता है.  इस रास्ते से यात्रियों को करीब दो सौ किलोमीटर पैदल चलना होता है. अब तक इस रास्ते से होकर तीन जत्थे जा चुके हैं. एक जत्थे में करीब 50 यात्री होते हैं. अभी 14 और जत्थे इस रास्ते से कैलाश मानसरोवर जाएंगे. हलांकि यह रास्ता भी चीन के साथ 1962 में हुई लड़ाई के दौरान बंद हो गया था लेकिन फिर 1981 से शुरू हो गया. यह तीर्थयात्रा जून महीने में शुरू होकर अगस्त तक चलती है. उम्मीद है कि सिक्किम के नाथूला पास के रास्ते में जो भी अड़चन आई है उसका असर उत्तराखंड वाले रास्ते पर नहीं पड़ेगा.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
अंधेरी गुफा में तीन दिन और बाहर बर्फ ही बर्फ...कपकपी छुड़ा देगी मुनस्यारी में फंसे जवान की ये कहानी 
उत्तराखंड से परंपरागत रास्ते से कैलाश मानसरोवर यात्रा जारी, डेढ़ सौ यात्री गए
हम सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता हासिल करने नहीं आए थे...अरविंद केजरीवाल की कही 10 बड़ी बातें
Next Article
हम सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता हासिल करने नहीं आए थे...अरविंद केजरीवाल की कही 10 बड़ी बातें
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com