सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट के अदालत कक्ष में बुधवार को उस समय हैरानी भरी स्थिति पैदा हो गई जब एक मानहानि मामले में राहुल गांधी की अपील पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा शीर्ष वकील और साथी न्यायाधीश यूयू ललित के पिता यूआर ललित को पहचान नहीं पाए और अपराध कानून में वकालत का उनका अनुभव तक पूछ लिया।
मुंबई के रहने वाले शीर्ष फौजदारी वकील ललित निजी आपराधिक मानहानि शिकायतों की जांच के लिए पुलिस से कहने की मजिस्ट्रेटों की शक्ति के बारे में पीठ द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देने का प्रयास कर रहे थे।
इस पीठ में न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन भी शामिल थे। पीठ ने मानहानि कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी और गांधी सहित अन्य की याचिकाओं पर सुनाए गए पिछले फैसले का जिक्र किया और कहा कि पुलिस से निजी मानहानि शिकायतों की जांच के लिए नहीं कहा जा सकता।
ललित ने कहा कि फैसले में इस अदालत द्वारा बताये गए कानून का पहलू नया है और इसलिए इस पर चर्चा की जानी चाहिए। पीठ ने सवाल किया, ''क्या आपने अपराध कानून में वकालत की है?'' गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने संकेत देते हुए कहा कि उन्होंने (ललित) हमसे ज्यादा अपराध कानून में वकालत की है। मुंबई से ही आने वाले न्यायमूर्ति नरीमन ने न्यायमूर्ति मिश्रा से कुछ बात की।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ''अब मैं सिब्बल से बैठने को कहूंगा। अफसोस है, आपने कभी मेरे सामने पैरवी नहीं की। इसलिए मैं आपको पहचान नहीं पाया।'' ललित ने नम्रतापूर्वक कहा, ''फिर भी यह मेरी भूल है। जो व्यक्ति कभी-कभार सुप्रीम कोर्ट आता है उसे इसके लिए तैयार रहना चाहिए।'' न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ''फिर से (बोलूंगा) अफसोस है। अब हम इस विशेष कानूनी बिन्दु पर आपसे (ललित) जानकारी लेना चाहेंगे।''
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मुंबई के रहने वाले शीर्ष फौजदारी वकील ललित निजी आपराधिक मानहानि शिकायतों की जांच के लिए पुलिस से कहने की मजिस्ट्रेटों की शक्ति के बारे में पीठ द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देने का प्रयास कर रहे थे।
इस पीठ में न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन भी शामिल थे। पीठ ने मानहानि कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी और गांधी सहित अन्य की याचिकाओं पर सुनाए गए पिछले फैसले का जिक्र किया और कहा कि पुलिस से निजी मानहानि शिकायतों की जांच के लिए नहीं कहा जा सकता।
ललित ने कहा कि फैसले में इस अदालत द्वारा बताये गए कानून का पहलू नया है और इसलिए इस पर चर्चा की जानी चाहिए। पीठ ने सवाल किया, ''क्या आपने अपराध कानून में वकालत की है?'' गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने संकेत देते हुए कहा कि उन्होंने (ललित) हमसे ज्यादा अपराध कानून में वकालत की है। मुंबई से ही आने वाले न्यायमूर्ति नरीमन ने न्यायमूर्ति मिश्रा से कुछ बात की।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ''अब मैं सिब्बल से बैठने को कहूंगा। अफसोस है, आपने कभी मेरे सामने पैरवी नहीं की। इसलिए मैं आपको पहचान नहीं पाया।'' ललित ने नम्रतापूर्वक कहा, ''फिर भी यह मेरी भूल है। जो व्यक्ति कभी-कभार सुप्रीम कोर्ट आता है उसे इसके लिए तैयार रहना चाहिए।'' न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ''फिर से (बोलूंगा) अफसोस है। अब हम इस विशेष कानूनी बिन्दु पर आपसे (ललित) जानकारी लेना चाहेंगे।''
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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