झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास और भाजपा का चुनाव में 'नक्सल समस्या पर काबू पाने का दावा' शायद अब चुनाव में मुद्दा नहीं बन पाएगा. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने झारखंड चुनाव के 5 चरणों में चुनाव कराने के पीछे ये तर्क दिया कि वहां 81 विधानसभा सीटों में से 67 न केवल नक्सल प्रभावित हैं बल्कि 19 अति नक्सल प्रभावित हैं. ऐसे में विपक्ष के एक दिन चुनाव कराने को मांग को नहीं माना जा सकता. झारखंड में चुनावों से पहले विपक्ष को रघुवर सरकार के खिलाफ बैठे बिठाए एक मुद्दा मिल गया. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि झूठ बोलने की भी एक सीमा होती है.
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रघुबर सरकार के आँकड़ों के हवाले से मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा की झारखण्ड के 67 विधानसभा अति-उग्रवाद ग्रस्त हैं इसलिए पाँच चरण के चुनाव।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) November 3, 2019
यहाँ मुख्यमंत्री चिल्ला-चिल्ला अपनी सभाओं में कह रहे थे नक्सलवाद समाप्त हो चुका है राज्य में।
झूठ बोलने की भी एक सीमा होती है जिसे 1/2 pic.twitter.com/9j8XzQrYYw
वहीं झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव का कहना है कि हमारी पार्टी पहले से मानती आई हैं कि ज़मीन पर कोई काम ना होने के कारण इस राज्य की सभी समस्याएं बरक़रार हैं. उनका कहना हैं कि अगर मुख्य चुनाव आयुक्त ने ये मजबूरी दिखाई है तो राज्य सरकार के आला अधिकारियो ने ही उन्हें ब्रीफ किया होगा. बीजेपी पर निशाना साधते हुए उरांव ने कहा कि भाजपा के नेता यह मान चुके हैं कि ये मुद्दा उनके हाथ से निकल गया हैं.
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बता दें कि, झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2020 को पूरा हो रहा है, उससे पहले नई सरकार का गठन किया जाएगा. पिछली बार झारखंड में पांच चरणों में चुनाव हुए थे. 81 सदस्यों की विधानसभा में बीजेपी आजसू गठबंधन ने 42 सीटें जीती थीं. बीजेपी ने 72 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 37 सीटें जीती थीं. जबकि उसके सहयोगी आजसू ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा था और पांच सीटें जीती थीं.
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