इसरो का जीएसएलवी रॉकेट.
चेन्नई:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो ISRO) सोमवार की शाम सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-एमके 3 डी1 के प्रक्षेपण के लिए पूरी तरह तैयार है और इस प्रक्रिया की उलटी गिनती 'सामान्य तौर पर चल रही' है. श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित होने वाला यह रॉकेट अपने साथ 3,136 किलोग्राम वजन का संचार उपग्रह जीसैट-19 लेकर जाएगा.
अधिकारियों ने कहा कि साढ़े पच्चीस घंटे की उलटी गिनती की शुरुआत रविवार की दोपहर तीन बजकर 58 मिनट पर शुरू हुई और यह 'सामान्य रूप से चल रही' है. फिलहाल वैज्ञानिक जीएसएलवी-एमके3 डी1 में प्रणोदक भरने के काम में लगे हैं.
रॉकेट का प्रक्षेपण यहां से लगभग 120 किमी दूर स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से शाम पांच बजकर 28 मिनट पर होना है.
अब तक 2,300 किलो से ज्यादा वजन वाले संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इसरो को विदेशी प्रक्षेपकों पर निर्भर रहना पड़ता था. जीएसएलवी एमके3-डी1 भूस्थतिक कक्षा में 4000 किलो तक के और पृथ्वी की निचली कक्षा में 10,000 किलो तक के पेलोड (या उपग्रह) ले जाने की क्षमता रखता है.
इसरो के अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने कहा था कि यह अभियान अहम है क्योंकि 'देश से प्रक्षेपित किया जाने वाला यह अब तक का सबसे भारी रॉकेट और उपग्रह है.' इससे पहले इसरो ने 3,404 किलो के संचार उपग्रह जीसैट-18 को फ्रेंच गुयाना स्थित एरियाने से प्रक्षेपित किया था.
जीएसएलवी-एमके 3-डी1 तीन चरणीय यान है, जिसमें स्वदेशी क्रायोजेनिक ऊपरी चरणीय ईंजन लगा है. आज का यह अभियान भारत के संचार संसाधनों को बढ़ावा देगा क्योंकि अकेला एक जीसैट-19 उपग्रह पुरानी किस्म के छह-सात संचार उपग्रहों के बराबर होगा.
अधिकारियों ने कहा कि साढ़े पच्चीस घंटे की उलटी गिनती की शुरुआत रविवार की दोपहर तीन बजकर 58 मिनट पर शुरू हुई और यह 'सामान्य रूप से चल रही' है. फिलहाल वैज्ञानिक जीएसएलवी-एमके3 डी1 में प्रणोदक भरने के काम में लगे हैं.
रॉकेट का प्रक्षेपण यहां से लगभग 120 किमी दूर स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से शाम पांच बजकर 28 मिनट पर होना है.
अब तक 2,300 किलो से ज्यादा वजन वाले संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इसरो को विदेशी प्रक्षेपकों पर निर्भर रहना पड़ता था. जीएसएलवी एमके3-डी1 भूस्थतिक कक्षा में 4000 किलो तक के और पृथ्वी की निचली कक्षा में 10,000 किलो तक के पेलोड (या उपग्रह) ले जाने की क्षमता रखता है.
इसरो के अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने कहा था कि यह अभियान अहम है क्योंकि 'देश से प्रक्षेपित किया जाने वाला यह अब तक का सबसे भारी रॉकेट और उपग्रह है.' इससे पहले इसरो ने 3,404 किलो के संचार उपग्रह जीसैट-18 को फ्रेंच गुयाना स्थित एरियाने से प्रक्षेपित किया था.
जीएसएलवी-एमके 3-डी1 तीन चरणीय यान है, जिसमें स्वदेशी क्रायोजेनिक ऊपरी चरणीय ईंजन लगा है. आज का यह अभियान भारत के संचार संसाधनों को बढ़ावा देगा क्योंकि अकेला एक जीसैट-19 उपग्रह पुरानी किस्म के छह-सात संचार उपग्रहों के बराबर होगा.
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