नई दिल्ली:
आतंकवाद या मुठभेड़ के मुद्दों में राजनीति नहीं करने के लिए कांग्रेस को आगाह करने के साथ भाजपा ने बुधवार को आरोप लगाया कि इशरत जहां मामले संबंधी सीबीआई के आरोप-पत्र में लश्कर-ए-तैयबा और आतंकियों की भूमिका को कमतर किया गया है।
मुख्य विपक्षी दल ने इशरत जहां के साथियों के बारे में सीबीआई की चुप्पी पर भी सवाल उठाते हुए कहा, समझा जाता है कि उसके साथी आतंकी गतिविधियों में शामिल थे।
पार्टी की प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘भाजपा का मानना है कि आरोप-पत्र में साफ तौर पर लश्कर-ए-तैयबा और आतंकियों की भूमिका को कमतर किया गया है। इसके साथ ही खुफिया ब्यूरो पर दोष लगाकर उसने उसके मनोबल को गिराया गया है।’’
उन्होंने याद दिलाया कि जब इशरत जहां मुठभेड़ हुई उस समय केन्द्र में कांग्रेस नीत संप्रग की ही सरकार थी। ‘‘कांग्रेस आतंकी हमलों, आतंकी मुठभेड़ों पर राजनीति बंद करे, क्योंकि ये राष्ट्रीय सुरक्षा से जुडे मुद्दे हैं।’’
सीतारमण के अनुसार, लंबी जांच पड़ताल के बाद भी सीबीआई की इस मामले की पृष्ठभूमि और इसमें शामिल लोगों की गतिविधियों पर चुप्पी उत्तर से अधिक प्रश्न खड़े करती है।
उन्होंने कहा कि इतनी लंबी जांच के बाद सीबीआई यह नहीं बता पा रही है कि इशरत जहां के साथ जो लोग थे वे कौन थे, जोकि अपने सैटलाइट फोन के जरिये अपने आतंकी षड्यंत्रकारियों के साथ जुड़े हुए थे।
उनके अनुसार सीबीआई के आरोप-पत्र में केन्द्रीय खुफिया ब्यूरो और गुजरात पुलिस पर तो दोष मढ़ा गया लेकिन आश्चर्य है कि यह एजेंसी इशरत जहां के साथ जो लोग थे उन पर चुप रही।
मुख्य विपक्षी दल ने इशरत जहां के साथियों के बारे में सीबीआई की चुप्पी पर भी सवाल उठाते हुए कहा, समझा जाता है कि उसके साथी आतंकी गतिविधियों में शामिल थे।
पार्टी की प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘भाजपा का मानना है कि आरोप-पत्र में साफ तौर पर लश्कर-ए-तैयबा और आतंकियों की भूमिका को कमतर किया गया है। इसके साथ ही खुफिया ब्यूरो पर दोष लगाकर उसने उसके मनोबल को गिराया गया है।’’
उन्होंने याद दिलाया कि जब इशरत जहां मुठभेड़ हुई उस समय केन्द्र में कांग्रेस नीत संप्रग की ही सरकार थी। ‘‘कांग्रेस आतंकी हमलों, आतंकी मुठभेड़ों पर राजनीति बंद करे, क्योंकि ये राष्ट्रीय सुरक्षा से जुडे मुद्दे हैं।’’
सीतारमण के अनुसार, लंबी जांच पड़ताल के बाद भी सीबीआई की इस मामले की पृष्ठभूमि और इसमें शामिल लोगों की गतिविधियों पर चुप्पी उत्तर से अधिक प्रश्न खड़े करती है।
उन्होंने कहा कि इतनी लंबी जांच के बाद सीबीआई यह नहीं बता पा रही है कि इशरत जहां के साथ जो लोग थे वे कौन थे, जोकि अपने सैटलाइट फोन के जरिये अपने आतंकी षड्यंत्रकारियों के साथ जुड़े हुए थे।
उनके अनुसार सीबीआई के आरोप-पत्र में केन्द्रीय खुफिया ब्यूरो और गुजरात पुलिस पर तो दोष मढ़ा गया लेकिन आश्चर्य है कि यह एजेंसी इशरत जहां के साथ जो लोग थे उन पर चुप रही।
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