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अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस 2025: ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ की ओर बढ़ता भारत, जानें पिछले 10 सालों में क्‍या थी थीम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 जून को अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस घोषित करने का प्रस्ताव रखा था. यह प्रस्ताव 11 दिसंबर 2014 को पारित हुआ. इसके बाद 2015 से हर साल इस दिन को दुनिया भर में योग के महापर्व के रूप में मनाया जाता है.

अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस 2025: ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ की ओर बढ़ता भारत, जानें पिछले 10 सालों में क्‍या थी थीम
नई दिल्ली:

योग भारत की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर है, जो आज पूरी दुनिया के लिए स्वास्थ्य और संतुलन का प्रतीक बन चुका है. हर साल 21 जून को मनाया जाने वाला अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस आज न केवल भारत, बल्कि वैश्विक स्तर पर जन-जन को जोड़ने वाला पर्व बन गया है. यह भारत के उस संदेश को सशक्त करता है जिसमें ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' की भावना निहित है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 जून को अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस घोषित करने का प्रस्ताव रखा था. यह प्रस्ताव 193 देशों के समर्थन और 173 सह-प्रायोजन के साथ 11 दिसंबर 2014 को पारित हो गया. इसके बाद 2015 से हर साल इस दिन को दुनिया भर में योग के महापर्व के रूप में मनाया जाता है.

2015 से 2025 तक कैसे मनाया गया योग दिवस

साल 2015 से अब तक अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस के थीम और देश में मुख्य आयोजन के विवरण इस प्रकार हैं -

  • 2015 - योगा फॉर हार्मनी एंड पीस: पहला योग दिवस नई दिल्ली के राजपथ पर प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में मनाया गया, जिसमें 35,985 लोगों ने भाग लिया और 84 देशों के नागरिकों की भागीदारी के साथ दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बने.
  • 2016 - योगा फॉर द अचीवमेंट ऑफ एसडीजीएस: चंडीगढ़ में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 30,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया. पहली बार योग पुरस्कारों की घोषणा की गई और योग तथा डायबिटीज पर विशेष ध्यान दिया गया.
  • 2017 - योगा फॉर हेल्थ: लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में 51,000 लोगों की उपस्थिति रही. नई दिल्ली में ‘योग फॉर वेलनेस' विषय पर अंतरराष्‍ट्रीय सम्मेलन हुआ, जिसमें 44 देशों से 600 प्रतिनिधि शामिल हुए.
  • 2018 - योगा फॉर पीस: देहरादून और दिल्ली में हुए भव्य आयोजनों में 65,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया. देशभर में लगभग 9.59 करोड़ लोगों ने योग किया. कुतुब मीनार जैसे धरोहर स्थलों पर भी आयोजन हुए.
  • 2019 - योगा फॉर हार्ट: झारखंड की राजधानी रांची में मुख्य कार्यक्रम हुआ जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने 30,000 लोगों के साथ योग किया. भारत के हर जिले और 150 देशों में कार्यक्रम हुए. विश्व के प्रसिद्ध स्थलों जैसे एफिल टॉवर, ओपेरा हाउस और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर भी योग आयोजन हुए.
  • 2020 और 2021 - कोरोना काल में ‘घर पर योग, परिवार के साथ योग' और ‘योगा फॉर वेलनेस': कोविड-19 के चलते वर्चुअल आयोजनों का सिलसिला रहा. कॉमन योगा प्रोटोकॉल के वीडियो 22 भारतीय भाषाओं, संयुक्त राष्ट्र की छह भाषाओं और नौ विदेशी भाषाओं में उपलब्ध कराए गए. साल 2020 में 12.06 करोड़ और 2021 में 15.68 करोड़ लोगों ने भाग लिया.
  • 2022 - योगा फॉर ह्यूमैनिटी: देश में 22.13 करोड़ और वैश्विक स्तर पर 125 करोड़ लोगों तक योग की पहुंच रही. 75 विरासत स्थलों पर योग सत्र आयोजित हुए. ‘वन सन, वन अर्थ' के तहत 24 घंटे का ग्लोबल योगा रिंग भी चला.
  • 2023 - योगा फॉर वसुधैव कुटुंबकम: 23.14 करोड़ लोगों की रिकॉर्ड भागीदारी रही. प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में योग कर गिनीज रिकॉर्ड बनाया. 135 से अधिक देशों के नागरिकों की भागीदारी. सूरत में एक लाख से अधिक लोगों ने एक साथ योग कर विश्व रिकॉर्ड बनाया. ओशन रिंग ऑफ योगा और आर्कटिक से अंटार्कटिका तक योग जैसे नवाचार हुए.
  • 2024 - योगा फॉर सेल्फ एंड सोसायटी: प्रधानमंत्री ने श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर में योग सत्र का नेतृत्व किया. 24.53 करोड़ लोगों की भागीदारी हुई और कई नए विश्व रिकॉर्ड बने.
  • 2025 - योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ: 21 जून 2025 को 11वां अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' की थीम पर मनाया जाएगा. इस वर्ष का मुख्य आयोजन योग संगम आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में होगा, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6:30 से 7:45 बजे तक कॉमन योगा प्रोटोकॉल के तहत देशभर के लोगों के साथ योग करेंगे. देश के एक लाख से अधिक स्थलों पर एक साथ योग किया जाएगा.

10 विशेष सिग्‍नेचर इवेंट्स का होगा आयोजन

इस वर्ष 10 विशेष सिग्नेचर इवेंट्स भी आयोजित किए जाएंगे, जिनमें विभिन्न मंत्रालयों, संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों की भागीदारी रहेगी.

अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस भारत की उस वैश्विक भूमिका को दर्शाता है, जिसमें वह केवल सांस्कृतिक धरोहर का प्रचार नहीं कर रहा, बल्कि मानवता को स्वास्थ्य, संतुलन और शांति का मार्ग दिखा रहा है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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