
- उदयगिरि भारतीय नौसेना का नया फ्रिगेट है
- उदयगिरि में 8 ब्रह्मोस मिसाइल और अन्य आधुनिक हथियार मौजूद
- यह युद्धपोत पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बनाया गया
- उदयगिरि की लंबाई 142.5 मीटर और वजन लगभग 6600 टन
Indian Navy: नौसेना के तरकश में तमाल के बाद एक और घातक तीर जुड़ गया है, वो है उदयगिरि. तमाल रूस में बना है तो उदयगिरि अपने देश में. प्रोजेक्ट 17 ए के तहत मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड ने इसे तैयार किया हैं. मझगांव डॉकयार्ड ऐसे सात फ्रिगेट बना रहा है जिसमे उदयगिरि दूसरा है. ये लॉन्चिंग के 37 महीने में नौसेना को हैंड ओवर कर दिया गया है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है.

उदयगिरि नीलगिरी क्लास का दूसरा फ्रिगेट है
उदयगिरि को आप शिवालिक क्लास का आधुनिक संस्करण कह सकते हैं. वैसे ये नीलगिरी क्लास का दूसरा फ्रिगेट हैं. ये मल्टी मिशन फ्रिगेट ब्लू वाटर नेवी संचालन में सक्षम है. ये भारत के समुद्री इलाके में पारंपरिक और आपारंपरिक खतरों का मुकाबला करने में पूरी तरह सक्षम हैं.
क्या है उदयगिरि की खासियत?
अगर इसकी खासियत की बात करे तो इसमें सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक मिसाइल है. यूं कहें तो बेहतर होगा कि इसमें दुश्मनों का काल ब्रह्मोस और बराक मिसाइल भी हैं. एक नही 8 ब्रह्मोस मिसाइल से लैस है. ये स्टील्थ तकनीक से बनाई गई है जिसे दुश्मन के रडार पकड़ नही पाएंगे. मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, 76 मिलीमीटर नौसैनिक तोप और 30 मिमी और 12.7 मिमी की तेज गति से चलने वाली क्लोज इन हथियार प्रणाली है.

सबमरीन रॉकेट लांचर है लैस
एंटी सबमरीन वाॅरफेयर के लिए वरणास्त्र और अंतिम सबमरीन रॉकेट लांचर से भी लैस है. इसका वजन है करीब 6600 टन. लंबाई है 142.5 मीटर और चौड़ाई है 16.9 मीटर. रफ्तार की बात करें तो वो है 52 किलोमीटर प्रतिघंटा. इसमें सी किंग और एम एच 60 आर हेलीकॉप्टर होंगे.
पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक से है बना
उदयगिरि में कई सेंसर और दूर से आने वाले लक्ष्यों को ट्रैक करने वाले रडार भी लगे हैं. इसका निर्माण और डिजाइन पूरी तरह से देश मे ही हुआ है. इसमें तैनात किये गये 75 फीसदी उपकरण देश से बनी कंपनियों से लिए गये हैं. सही मायने में इस ताकतवर युद्धपोत को देखकर कह सकते है कि ये आत्मनिर्भर भारत की मिसाल भी है.

और बढ़ने वाली है नौसेना की ताकत
आने वाले सालों में भारतीय नौसेना के पास 20 गाइडेड मिसाइल स्टेल्थ फ्रिगेट होंगे, जो समंदर में चीन और पाकिस्तान से मिलने वाली चुनौती का बखूबी सामना कर पाएंगे.
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