विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ फिलीपीन के विवाद के बीच मंगलवार को कहा कि अपनी राष्ट्रीय संप्रभुत्ता को बनाए रखने में दक्षिणपूर्व एशियाई देश का भारत दृढ़ता से समर्थन करता है और वह रक्षा एवं सुरक्षा समेत सहयोग के नए क्षेत्रों में संभावनाएं तलाशना चाहता है. जयशंकर ने मनीला में फिलीपीन के विदेश मंत्री एनरिक मनालो के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में ये टिप्पणियां कीं.
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘फिलीपीन के मंत्री मनालो के साथ सार्थक मुलाकात हुई. राजनीति, रक्षा, सुरक्षा व समुद्री सहयोग, व्यापार व निवेश, बुनियादी ढांचा, विकास सहयोग, शिक्षा, डिजिटल, प्रौद्योगिकी, संस्कृति तथा दूतावास संबंधी क्षेत्रों में संबंध मजबूत बनाने पर व्यापक चर्चा हुई.''
Pleased to visit the Indian Coast Guard Ship Samudra Paheredar during its port call to Manila.
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) March 26, 2024
My visit and the ship's presence signifies the deepening 🇮🇳 🇵🇭 relations.
India's long and distinguished Indian maritime tradition's civilizational imprint is still visible in this… pic.twitter.com/gLYqmoBe9l
उन्होंने हिंद-प्रशांत, दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान), पश्चिम एशिया, यूक्रेन, गुट निरपेक्ष आंदोलन तथा संयुक्त राष्ट्र समेत वैश्विक, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर विचार साझा किए.
मनालो के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने कहा ‘‘मैं इस अवसर पर दृढ़ता के साथ दोहराना चाहता हूं कि भारत राष्ट्रीय संप्रभुत्ता को बनाए रखने में फिलीपीन का समर्थन करता है.'' उन्होंने कहा कि बदलती दुनिया के साथ यह आवश्यक है कि भारत और फिलीपीन उभरते विश्व को आकार देने में अधिक निकटता से सहयोग करें.
विदेश मंत्री ने एक सवाल पर कहा कि प्रत्येक देश को अपनी राष्ट्रीय संप्रभुत्ता को बनाए रखने का अधिकार है. उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस पर भी चर्चा की है.''जयशंकर ने कहा कि हाल में भारत और फिलीपीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में बहुत उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आज यह स्वाभाविक है कि जब दो देशों के बीच यह विश्वास तेजी से बढ़ रहा है, लिहाजा हम सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों की संभावनाओं को तलाश करेंगे. और निश्चित तौर पर रक्षा तथा सुरक्षा उनमें से एक है.''
गौरतलब है कि चीन ज्यादातर दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा जताता है जबकि फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रूनेई और ताइवान भी उस पर अपने दावे जताते हैं. मनालो ने कहा कि जब समुद्री क्षेत्र की बात आती है तो फिलीपीन ने लगातार अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय नियमों व विनियमों का पालन करने की आवश्यकता की पुष्टि की है.
दक्षिण चीन सागर में बीजिंग की हालिया गतिविधियों के बारे में उन्होंने चीन पर फिलीपीन के जहाजों को उसके सैनिकों तक सामान की आपूर्ति करने से रोकने का आरोप लगाया. मनालो ने कहा, ‘‘भारत और फिलीपीन की मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने में गहरी रूचि है. और इस संदर्भ में, हम रक्षा व सुरक्षा सहयोग पर नियमित रूप से व्यापक बातचीत कर रहे हैं.''
उन्होंने कहा, ‘‘बैठकें तथा यात्राएं हमारे दोनों देशों के बीच बढ़ती निकटता का एक संकेतक है. लेकिन यह व्यापार और निवेश तथा स्वास्थ्य व खाद्य सुरक्षा से लेकर शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रक्षा तथा समुद्री सहयोग तक कई क्षेत्रों में समान रूप से दिखायी देता है.''
उन्होंने कहा, ‘‘मंत्री मनालो के साथ हुई चर्चा में मेरा संदेश यही था कि हर साल करीब सात फीसदी की दर से वृद्धि कर रही पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था फिलीपीन के साथ अपनी भागीदारी बढ़ाने की तैयारी कर रही है.''
जयशंकर ने कहा कि उन्होंने और उनके समकक्ष ने ‘‘यह देखते हुए समुद्री सुरक्षा में हमारे साझा हितों पर चर्चा की कि हमारे दोनों देशों ने वैश्विक जहाजरानी उद्योग में कितना योगदान दिया है.''
उन्होंने लाल सागर तथा अरब सागर में मौजूदा खतरों से निपटने के लिए भारतीय नौसेना की तैनाती के बारे में भी मनालो को जानकारी दी. जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ की ओर बढ़ने पर उन्हें विश्वास है कि और भी बहुत कुछ उनका इंतजार कर रहा है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं