भारत - अमेरिका ने इंटरोऑपरेबिलिटी को और मजबूत करने पर दिया जोर

इस बातचीत के बाद एक स्टेटमेंट भी जारी किया गया. जिसमें कहा गया कि अधिकारियों ने पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय सुरक्षा विकास और रणनीतिक प्राथमिकताओं पर भी चर्चा की. 

भारत - अमेरिका ने इंटरोऑपरेबिलिटी को और मजबूत करने पर दिया जोर

आपसी संबंधों को और मजबूत करने के लिए भारत और अमेरिका के बीच हुई बात (प्रतीकात्मक चित्र)

नई दिल्ली:

भारत और अमेरिका के बीच संबंध और मजबूत हों, इसे लेकर दोनों देशों के अधिकारियों ने आपस में बात की है. इस बातचीत के दौरान आपसी सहयोग के साथ-साथ कई क्षेत्रों में और बढ़चढ़कर काम करने पर सहमति बनी है. पेंटागन ने कहा कि मंगलवार को आयोजित भारत-अमेरिका 2+2 इंटरसेशनल डायलॉग के दौरान, अधिकारियों ने हिंद महासागर क्षेत्र में संयुक्त समुद्री गतिविधियों के साथ-साथ अंतरिक्ष और साइबर डोमेन में विस्तारित सहयोग पर भी चर्चा की. 

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव वाणी राव और रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव विश्वेश नेगी ने किया. जबकि अमेरिकी पक्ष का नेतृत्व भारत-प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक रक्षा सचिव डॉ. एली रैटनर और दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के सहायक सचिव डोनाल्ड लू ने किया. 

इस बातचीत के बाद एक स्टेटमेंट भी जारी किया गया. जिसमें कहा गया कि अधिकारियों ने पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय सुरक्षा विकास और रणनीतिक प्राथमिकताओं पर भी चर्चा की. पेंटागन ने कहा कि 2+2 इंटरसेशनल डायलॉग ने रक्षा और सुरक्षा, उभरती प्रौद्योगिकियों, लोगों से लोगों के बीच संबंध, स्वच्छ ऊर्जा और सप्लाई चेन में रेसिलेंस सहित अमेरिका-भारत साझेदारी के दायरे में महत्वाकांक्षी पहलों की एक विस्तृत श्रृंखला को आगे बढ़ाया. 

रक्षा पक्ष पर, रैटनर और उनके समकक्षों ने अमेरिका-भारत रक्षा औद्योगिक सहयोग के रोडमैप को लागू करने में दोनों देशों द्वारा की गई प्रगति की समीक्षा की. बयान में कहा गया है कि उन्होंने नई सह-उत्पादन पहल पर प्रगति का स्वागत किया और आपूर्ति व्यवस्था की सुरक्षा और पारस्परिक रक्षा खरीद समझौतों पर बातचीत को तेजी से पूरा करने के लिए प्रतिबद्धता जताई.

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इसमें कहा गया है कि अधिकारियों ने अमेरिका-भारत संबंधों में परिवर्तनकारी गति को रेखांकित किया और पुष्टि की कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और समृद्धि बनाए रखने के लिए दोनों देशों के बीच एक मजबूत साझेदारी आवश्यक है. पेंटागन ने कहा कि रैटनर ने स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए भारत के साथ काम करने की विभाग की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।