सेना के अधिकारियों ने बताया कैसे पूरा हुआ ऑपरेशन सिंदूर
पाकिस्तान और पीओके के आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना के एयरस्ट्राइक को लेकर विदेश मंत्रालय और सेना के अधिकारियों ने बुधवार को एक प्रेस ब्रीफिंग की. इस ब्रीफिंग के दौरान भारत ने ये साफ कर दिया कि इस एयरस्ट्राइक के साथ हमने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर अपना बदला पूरा कर लिया है. इस प्रेस ब्रीफिंग के दौरान विदेश सचिव ने कहा कि ये सिर्फ पहलगाम आतंकी हमले का हिसाब नहीं है, हमने इस एयरस्ट्राइक से मुंबई हमले से लेकर तमाम अन्य हमलों का हिसाब बराबर कर लिया है.

उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान पहले भी ऐसी घटनाओं को अंजाम दे चुका है. पाकिस्तान आज आतंकवादियों के लिए पनाहगाह बना हुआ है. इस प्रेस ब्रीफिंग के दौरान सेना के अधिकारियों ने बताया कि आखिर भारतीय सेना ने एयरस्ट्राइक के दौरान 9 ठिकानों को ही निशाना क्यों बनाया गया है.

प्रेस ब्रीफिंग के दौरान सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पहलगाम हमले के पीड़ितों को न्याय देने के लिए चलागा गया. 9 आतंकी हमलों को पूरी तरह तबाह किया गया. यह ऑपरेशन रात 1.05 से 1.30 बजे तक, कुल 25 मिनट चला.इस ऑपरेशन के दौरान आतंकियों के ट्रेनिंग सेंटर ,लॉन्च पैड पर हमला किया गया, उन्हें तबाह किया गया. उन्होंने बताया कि हमने उन आतंकी ठिकानों पर भी हमला किया है जहां कसाब, हेडली ने ट्रेनिंग ली वहां भी हमला. पाकिस्तान ने किसी भी सैन्य या नागरिक ठिकानों को निशाना नहीं बनाया गया है. इस स्ट्राइक में नौ आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाकर नष्ट कर दिया गया. पाकिस्तान में पिछले तीन दशकों से आतंकवादी इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा था, जो पाकिस्तान और पीओके दोनों में फैला हुआ है.
अब हम आपको बताते हैं कि आखिर पाकिस्तान के कौन से गुनाह हैं जिसका भारत ने जवाब दिया है...
सवाई नाला कैंप मुजफ्फराबादः सबसे पहले सवाईनाला कैंप मुजफ्फराबाद जो LoC से 30 किमी दूर है. लश्कर तैयबा को ट्रेनिंग सेंटर है.
गुनाहः 20 अक्तूबर 2024 सोनमर्ग, 24 अक्तूबर 2024 गुलमर्ग, 22 अप्रैल 2025 पहलगाम, इन हमलों के आतंकियों ने यहीं से ट्रेनिंग ली थी.
सैयदना बिलाल कैंप, मुजफ्फराबादः जैश ए मोहम्मद का स्टेजिंग एरिया है. यह हथियार, जंगल ट्रेनिंग और हथियार मुहैया कराते थे.
गुलपुर कैंप कोटलीः एलओली से 30 किमी दूर है. लश्कर का बेस था. राजौरी और पुंछ में सक्रिय था.
गुनाहः 20 अप्रैल 2023 पुंछ और 9 जून 2024 तीर्थयात्रियों को बस हमले में यहीं से आतंकियों को ट्रेंड किया गया.
अब्बास कैंप कोटलीः Loc से 13 किलोमीटर दूर.
गुनाहः लश्कर का फिदायीन यहां तैयार होता था. क्षमता 15 टेररिस्ट को ट्रेन करने की थी.
बरनाला कैंप - ये आतंकियों का लॉन्च पैड है. ये अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी के बेहद करीब है. यहां से अकसर आतंकियों को ट्रेनिंग देकर भारत में घुसपैठ कराई जाती रही है.
गुनाह: भारत में हुए कई आतंकी हमलों में यहां से निकले आतंकियों के शामिल रहने की बात पहले भी सामने आ चुकी है. ये आतंकी भारत के अलग-अलग हिस्सों में पहले आतंकी घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं.
पाकिस्तान के अंदर के टारगेट
सरजल कैंप सियालकोट
अंतरराष्ट्रीय सीमा से 6 किलोमीटर दूर
गुनाहः मार्च 2025 में जम्मू और कश्मीर पुलिस के चार जवानों की जो हत्या की गई थी, उन आतंकवादियों को यही ट्रेंड किया गया था.
महमूना जोया कैंप सियालकोट
सीमा से 18 से 12 किलोमीटर दूर है.
गुनाहः हिजबुल मुजाहिदीन का बहुत बड़ा कैंप था. कठुआ जम्मू क्षेत्र में आतंक फैलाने का कंट्रोल रूम था. पठानकोट एयरबेस पर हमला यहीं यही से प्लान किया गया था.
मरकज तैयबा, मुरीदके
आईबी से 18 से 25 किलोमीटर दूर है. 2008 के मुंबई हमले के आतंकियों ने यहीं से ट्रेनिंग ली थी.अजमल कसाब और डेविड हेडली को भी यहीं से ट्रेनिंग मिली थी.
मरकज सुभानअल्लाह, बहावलपुर
अंतरराष्ट्रीय सीमा से 100 किलोमीटर दूर है.
जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था. भर्ती, ट्रेनिंग दी जाती थी. टॉप आतंकी अक्सर यहां आते थे.
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