कानूनमंत्री कपिल सिब्बल ने यौन हमले के आरोप का सामना कर रहे तहलका के संपादक तरुण तेजपाल का बचाव करने संबंधी भाजपा के आरोप को खारिज करते हुए गुरुवार को कहा कि अगर वह दोषी है, तो कानून को अपना काम करते हुए उसे सजा देनी चाहिए।
संवाददाताओं से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, 'जो कुछ भी हुआ, कानून को अपना काम करना चाहिए। अगर व्यक्ति दोषी है तो उसे सजा अवश्य मिले। अगर वह दोषी नहीं है तो उसे दंडित नहीं किया जाए।'
साथ ही उन्होंने कहा कि अन्य नेताओं की तरह वह इस मामले में अपना फैसला नहीं सुनाएंगे। 'यह मेरा काम नहीं है। इससे गलत संकेत जाएंगे।'
तेजपाल से रिश्तेदारी संबंधी मीडिया में आ रही अटकलों पर केन्द्रीय मंत्री ने व्यंग्य किया, 'तरुण मेरा संबंधी है। तो क्या इस देश के सभी तरुण मेरे संबंधी हैं?' इस बात से भी उन्होंने इनकार किया कि तेजपाल की कंपनी में वह शेयरधारक हैं। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि राजग शासन के समय जब तहलका 'उत्पीड़न' का सामना कर रहा था, तब तेजपाल उनसे मदद मांगने आए थे और उन्होंने पांच लाख रुपये का चेक दिया था।
सिब्बल ने कहा, 'वह (तेजपाल) कई लोगों के पास गए। वह मेरे पास भी आए। मैं उन्हें नहीं जानता था। वह चंदा था। वह शेयर के लिए नहीं दिया गया था। उन्होंने मुझसे अखबार शुरू करने के लिए मदद मांगी, ...मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा कर रहा था। इस तरह मैं तहलका का संस्थापक सदस्य हूं। लेकिन मैंने कभी भी शेयर के लिए आवेदन नहीं किया।'
यह कहे जाने पर कि दस्तावेज बताते हैं कि तेजपाल की कंपनी में उनके शेयर हैं, कानून मंत्री ने कहा, 'हो सकता है तेजपाल ने (ऐसा) किया हो ...मेरा इससे कोई मतलब नहीं है। तथ्य यह है कि मुझे कभी भी आधिकारिक रूप से शेयर का आवंटन नहीं हुआ। इसके लिए मुझे पहले आवेदन करना होता और मैंने कभी शेयर के लिए आवेदन नहीं किया।'
शेयर के बारे में और पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा, अगर यह मान भी लिया जाए कि किसी कंपनी में उनके शेयर हैं, तो भी उस कंपनी के किसी अधिकारी के गलत कार्यों के लिए उन्हें कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
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