दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनलोकपाल बिल पास कराने को लेकर एक बार फिर से अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा में अगर जनलोकपाल बिल पास नहीं हुआ, तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।
केजरीवाल ने रविवार को एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा, 'हमारा सत्ता में रहने से ज्यादा महत्वपूर्ण है जनलोकपाल बिल का पास होना। अगर जनलोकपाल बिल पास नहीं हुआ तो हम इस्तीफा दे देंगे।'
उन्होंने कहा कि कि कांग्रेस और बीजेपी जनलोकपाल के रास्ते में अड़ंगा लगाने की कोशिश कर रही हैं और अगर विधानसभा में उन्होंने इस बिल में अड़ंगा लगाया, तो वह अपनी कुर्सी भी कु्र्बान कर देंगे।
उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस साथ नहीं देगी, तो मैं इस्तीफा दे दूंगा और जनता कांग्रेस को इसका सबक सिखाएगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार 13 फरवरी को जनलोकपाल बिल को विधानसभा में पेश करेगी।
इससे पहले केजरीवाल ने कहा था कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि वह कभी राजनीति में आएंगे। पिछले महीने कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए अभूतपूर्व तरीके से धरने पर बैठे केजरीवाल ने उस समय खुद को 'अराजकतावादी' कहा था। आज वह उस टिप्पणी की व्याख्या करते हुए तर्क देते हैं कि भ्रष्ट राजनीतिक और कॉरेपारेट नेता, कुछ नौकरशाह और मीडिया के कुछ लोग खुशी से रह रहे हैं, जबकि आम आदमी नाखुश है।
केजरीवाल ने कहा, जब हम व्यवस्था को बदलने की बात करते हैं तो इन लोगों के लिए यह अराजकता में बदल जाती है। उनके लिए, हां, मैं अराजकतावादी हूं। यह सवाल किए जाने पर कि क्या वह खुद को राजनीतिक क्रांतिकारी कहेंगे, 45-वर्षीय नेता ने कहा, हां, राजनीतिक क्रांतिकारी, हां। उनसे सवाल किया गया कि वह उन लोगों के लिए क्या कहेंगे, जो उन्हें तानाशाह बुलाते हैं। इस पर केजरीवाल ने कहा, क्या आपको लगता है कि प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव जैसे लोग एक तानाशाह के साथ काम कर सकते हैं? बहुत से लोग हमारे पास आ रहे हैं। क्या वे एक तानाशाह के साथ काम करेंगे?
केजरीवाल ने कहा कि 'आप' का नेतृत्व 'समग्रता' में रहा है और यदि हम तानाशाह होते तो, चार लोग भी हमारे साथ खड़े नहीं होते। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने कभी सोचा था कि उनके सपने राजनीति तक जाएंगे, केजरीवाल ने कहा कि अक्टूबर, 2012 में पार्टी का गठन किए जाने के बाद उन्हें कुछ अच्छा करने की उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने नहीं सोचा था कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री बन जाएंगे।
इस सवाल पर कि क्या अब उनकी प्रधानमंत्री बनने की तमन्ना है, उन्होंने ना में जवाब दिया और जोर देते हुए कहा कि उनका मकसद भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है, जिसके लिए 'आप' का संघर्ष जारी है। उन्होंने कहा, हम यहां सत्ता की राजनीति करने के लिए नहीं आए हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या इसके बावजूद वह प्रधानमंत्री बनेंगे, केजरीवाल ने कहा, कोई भी भविष्यवाणी कर सकते हैं। कौन जानता है?
केजरीवाल के लिए अभी यह तय नहीं है कि वह लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं, लेकिन उन्होंने कहा, यदि जरूरत पड़ी, तो मैं चुनाव लड़ूंगा, लेकिन मेरी पहली प्राथमिकता दिल्ली है। उन्होंने कहा कि 'आप' उन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान करेगी, जहां से दूसरी पार्टियों के भ्रष्ट उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं और हम उनके खिलाफ लड़ेंगे। यह संख्या 150 या 200 या 250 अथवा 350 हो सकती है। केजरीवाल ने कहा, हम यह नहीं कह रहे हैं कि हमारी पार्टी केंद्र में सरकार बनाएगी... लेकिन हमारे लोग जितने अधिक संख्या में संसद के लिए निर्वाचित होंगे, उतना ही भ्रष्ट लोगों के लिए मुश्किल बढ़ेगी।
नरेंद्र मोदी या राहुल गांधी पर कोई टिप्पणी करने से इनकार करते हुए केजरीवाल ने कहा, मैं केवल इतना कह सकता हूं कि दोनों एक ही राजनीतिक व्यवस्था के हिस्से हैं और मैं नहीं समझता कि आपको दोनों से कोई उम्मीद है। केजरीवाल इस मामले में पूरी तरह स्पष्ट थे कि लोकसभा चुनाव में त्रिशंकु फैसला आने की सूरत में 'आप' किसी राजनीतिक दल के साथ नहीं जाएगी या 'सत्ता की राजनीति' में भागीदार नहीं बनेगी। मुख्यमंत्री ने कहा, हम जिएंगे, लड़ेंगे और मरेंगे, आप देखेंगे।
केजरीवाल खुद को जल्दबाजी वाले मुख्यमंत्री कहलाए जाने का बुरा नहीं मानते। वह कहते हैं, मैं समझता हूं कि किसी को भी जल्दबाजी में होना चाहिए। समय कम है और जिंदगी छोटी है। एक दिन में केवल 24 घंटे होते हैं।
यह पूछे जाने पर कि सत्ता की कुर्सी पर बैठने के बाद उनकी जिंदगी में क्या बदलाव आया है, केजरीवाल ने कहा कि इसका सबसे पहला शिकार उनकी पारिवारिक जिंदगी हुई है। उन्होंने कहा, शनिवार को परिवार के साथ फिल्म देखना बंद हो गया है। केजरीवाल के सरकारी आवास में कोई पड़ोस नहीं है। गाजियाबाद में, जहां वह पहले रहते थे, उनकी मां और पत्नी घर से बाहर जाती थीं और पड़ोसियों के साथ गपशप करती थीं।
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