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This Article is From Aug 29, 2019

जम्मू-कश्मीर को लेकर इस्तीफा देने वाले IAS गोपीनाथन से बोली सरकार- इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं हुआ, आप काम करते रहें

आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने 21 अगस्त को गृह मंत्रालय को अपना इस्तीफा सौंपा था.

जम्मू-कश्मीर को लेकर इस्तीफा देने वाले IAS गोपीनाथन से बोली सरकार- इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं हुआ, आप काम करते रहें
आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन.
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के मामले को लेकर पिछले सप्ताह अपने पद से इस्तीफे देने वाले आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन को सरकार ने कहा है कि जब तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हो जाता, वह वापस लौटे और काम करते रहें. गोपीनाथन ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" से वंचित किया जा रहा है, उन्हें यह स्वीकार्य नहीं था. कन्नन गोपीनाथन केंद्र शासित प्रदेशों दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली के बिजली विभाग के सचिव थे. गोपीनाथन ने 21 अगस्त को गृह मंत्रालय को अपना इस्तीफा सौंपा था. दमन और दीव कार्मिक विभाग ने उन्हें इस्तीफा स्वीकार नहीं होने तक कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा है. 

चूंकि वह दादर और नगर हवेली की राजधानी सिलवासा में मौजूद नहीं थे, इसलिए अधिकारियों ने सरकारी गेस्टहाउस के दरवाजे पर नोटिस चिपका दिया, जहां वह रहता था. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के नियमों का हवाला देते हुए, नोटिस में कहा गया है कि एक सरकारी अधिकारी का इस्तीफा तब प्रभावी होता है, जब उसे स्वीकार कर लिया जाता है. 'इसलिए आपको निर्देश दिए जाते हैं कि जब तक आपके इस्तीफे पर कोई फैसला ना हो जाए, तब तक आप अपने पद की जिम्मेदारियों निभाते रहें.' संपर्क करने पर गोपीनाथन ने पीटीआई को बताया कि उन्हें नोटिस के बारे में नहीं पता, लेकिन उन्होंने आगे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

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बता दें, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद के बने हालात को लेकर अपने पद से इस्तीफा देने वाले IAS अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने NDTV से खास बातचीत की. इस बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि मैंने सिर्फ इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि सरकार लोकतंत्र में लोगों को उनके मौलिक अधिकार से वंचित कर रही है. कश्मीर में सरकार ने जो निर्णय लिया वह सही है या गलत वो विवाद का विषय हो सकता है लेकिन सरकार के इस निर्णय पर कश्मीर की जनता का प्रतिक्रिया देने का अधिकार है. लेकिन सरकार उन्हें ऐसा नहीं करने दी रही है. मैं इसके खिलाफ हूं.

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कन्नन ने कहा कि ये संवेदनशीलता कश्मीर मुद्दे से ज्यादा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर है. अगर देश में कहीं भी कुछ गलत हो रहा है, तो उस पर लोगों को प्रतिक्रिया देनी चाहिए.  चुनी हुई सरकार को फैसले लेने का हक है लेकिन जनता का भी हक है उस पर प्रतिक्रिया देने का. उन्होंने कहा कि सरकार का फैसला एक तरफ लेकिन उस पर प्रतिक्रिया देना मौलिक अधिकार है और उसका सम्मान होना चाहिए.  

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