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This Article is From Oct 30, 2019

पुरानी भूमिका में ही रहेंगे जम्मू-कश्मीर कैडर के IAS और IPS अधिकारी

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अनुसार जब तक दो नए केन्द्र शासित क्षेत्र जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए उप राज्यपालों द्वारा नए आदेश जारी नहीं होते, तब तक प्रांतीय सेवाओं के अधिकारी अपने वर्तमान पद पर सेवाएं देते रहेंगे.

पुरानी भूमिका में ही रहेंगे जम्मू-कश्मीर कैडर के IAS और IPS अधिकारी
प्रतीकात्मक तस्वीर
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Summary is AI generated, newsroom reviewed.
गुरुवार को नया केन्द्र शासित प्रदेश बनाया जा रहा है कश्मीर को
इन सेवाओं में नई भर्तियों को एजीएमयूटी कैडर दिया जाएगा
जम्मू कश्मीर की विधायिका पुडुचेरी की भांति रहेगी
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर को लद्दाख से अलग करके गुरुवार को नया केन्द्र शासित प्रदेश बनाया जा रहा है. ऐसे में जम्मू कश्मीर कैडर के IAS, IPS और अन्य केन्द्रीय सेवाओं के अधिकारी दो केन्द्र शासित क्षेत्रों (यूटी) में सेवाएं देना जारी रखेंगे. वहीं इन सेवाओं में नई भर्तियों को एजीएमयूटी कैडर दिया जाएगा. जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अनुसार जब तक दो नए केन्द्र शासित क्षेत्र जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए उप राज्यपालों द्वारा नए आदेश जारी नहीं होते, तब तक प्रांतीय सेवाओं के अधिकारी अपने वर्तमान पद पर सेवाएं देते रहेंगे. इसके अनुसार जम्मू कश्मीर की विधायिका पुडुचेरी की भांति रहेगी. वहीं लद्दाख का प्रारूप बिना विधायिका वाले चंडीगढ़ की तरह होगा. 

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बता दें, व्यय सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू को जम्मू कश्मीर और पूर्व रक्षा सचिव राधाकृष्ण माथुर को लद्दाख का नया उप राज्यपाल नियुक्त किया गया है. अरुणाचल, गोवा, मिजोरम केन्द्र शासित क्षेत्र को आम तौर पर एजीएमयूटी कहा जाता है. अधिनियम के अनुसार भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFOS) के कैडर मौजूदा जम्मू और कश्मीर राज्य के लिए, पर और नियुक्ति तिथि (31 अक्टूबर) तक मौजूदा कैडरों पर कार्य करना जारी रखेंगे. 

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अधिनियम में कहा गया है कि दो नए केन्द्र शासित प्रदेशों के गठन और अधिसूचित होने के बाद उपराज्यपाल अधिकारियों की शक्ति, संरचना और आवंटन पर निर्णय लेंगे. अधिनियम में कहा गया है कि राज्य सरकार के कर्मचारी जम्मू कश्मीर और लद्दाख किसी भी केन्द्र शासित क्षेत्र में सेवा देने का विकल्प चुन सकते हैं और उनके स्थानांतरण पर निर्णय उप राज्यपाल लेंगे. इसके साथ ही केन्द्र सरकार के पास वह शक्ति होगी कि वह इस प्रावधान के तहत जारी किसी भी आदेश की समीक्षा कर सकती है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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