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दोनों बच्चियों को लाइलाज बीमारी... पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने बताई सरकारी बंगला खाली न कर पाने की मजबूरी

पूर्व सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि उनकी दोनों बेटियां प्रियंका और माही को नेमालाइन मायोपैथी नामक एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है, जो शरीर की मांसपेशियों को प्रभावित करता है.

पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उनकी दोनों बेटियां गंभीर आनुवांशिक बीमारी से पीड़ित हैं.

  • पूर्व सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकारी बंगला खाली नहीं करने के विवाद पर एनडीटीवी से बातचीत की है.
  • चंद्रचूड़ की दोनों बेटियां नेमालाइन मायोपैथी नामक एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार से पीड़ित हैं.
  • इस विकार के कारण बेटियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं और विशेष देखभाल की आवश्यकता है.
  • चंद्रचूड़ ने बताया कि वह और उनकी पत्नी बच्चों का जीवन सार्थक बनाने का प्रयास कर रहे हैं.
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नई दिल्‍ली :

पूर्व सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकारी बंगला खाली ना करने के विवाद को लेकर एनडीटीवी से विस्‍तार से बातचीत की है. चंद्रचूड़ ने सरकारी बंगला खाली ना करने की अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि उनकी दोनों बेटियों लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं. AIIMS और PGI चंडीगढ़ के डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी करती हैं और सीजेआई आवास में ही आईसीयू बनाया गया है. साथ ही उन्‍होंने कहा कि मां-बाप की दुनिया अपने बच्‍चों के इर्द-गिर्द घूमती है. इस बातचीत के दौरान उन्‍होंने अपने संघर्ष की कहानी को भी बताया. 

एनडीटीवी से बातचीत में पूर्व सीजेआई ने कहा कि प्रियंका और माही को नेमालाइन मायोपैथी नामक एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है, जो शरीर की मांसपेशियों को प्रभावित करता है. इस विकार का वर्तमान में दुनिया में कहीं भी कोई उपचार या इलाज नहीं है, हालांकि भारत और विदेशों में इस पर शोध चल रहा है. 

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श्‍वसन प्रणाली होती है प्रभावित: चंद्रचूड़ 

उन्‍होंने बताया कि नेमालाइन मायोपैथी मांसपेशियों और मोटर कौशल के क्षरण का कारण बनती है. यह श्वसन प्रणाली को गंभीर रूप से प्रभावित करता है. गंभीर स्कोलियोसिस निगलने, सांस लेने और बोलने से संबंधित समस्याओं का कारण बनता है और सभी अंगों को नुकसान पहुंचाता है. इसलिए, उन्हें हर दिन श्वसन व्यायाम, डिस्फेगिया के लिए थेरेपी (निगलने में सहायता करने और घुटन को रोकने और अन्नप्रणाली में रुकावटों को रोकने के लिए), न्यूरोलॉजिकल व्यायाम, मांसपेशियों के क्षरण को रोकने वाली व्यावसायिक थेरेपी, स्कोलियोसिस प्रबंधन और दर्द प्रबंधन की आवश्यकता होती है. 

उन्‍होंने बताया कि उनकी स्थिति के अनुसार बाथरूम सहित घर में बदलाव किया गया है. उन्हें एक विशेष आहार की आवश्यकता होती है और यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि वे थकान से पीड़ित न हों क्योंकि यह मांसपेशियों को और खराब कर देता है. 

पूर्व सीजेआई ने कहा कि उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने के लिए पल्मोनोलॉजिस्ट, ICU  विशेषज्ञ न्यूरोलॉजिस्ट, श्वसन चिकित्सक, व्यावसायिक चिकित्सक, भौतिक चिकित्सक, भाषण चिकित्सक और परामर्शदाताओं सहित स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की एक टीम हर दिन या साप्ताहिक आधार पर एक साथ काम करती है. 

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घर पर ही बना है ICU: चंद्रचूड़

उन्‍होंने बताया कि प्रियंका दिसंबर 2021 से श्वसन सहायता पर है और उसकी एक ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब एक बिपैप मशीन से जुड़ी हुई है. उसे तेरह साल की उम्र में पीजीआई चंडीगढ़ में तीन बार वेंटिलेटर पर रखा गया था. ट्यूब को महीने में कई बार और कभी-कभी सप्ताह में दो बार बदलना पड़ता है. उसकी दैनिक देखभाल करने वाले ट्यूब प्रबंधन के विशेषज्ञ हैं. घर पर एक ICU सेटिंग है, जिसकी देखरेख एक आईसीयू विशेषज्ञ नर्स करती है. 

अपनी बेटी के बारे में बताते हुए पूर्व सीजेआई ने कहा कि प्रियंका संक्रमण के प्रति संवेदनशील है और उसे धूल, एलर्जी और संक्रमण से बचाना होता है और ट्यूब को हर दिन कई बार साफ करना पड़ता है. प्रियंका और माही पीजीआई चंडीगढ़ और एम्स दिल्ली में समर्पित और विशेषज्ञ डॉक्टरों के प्रबंधन में हैं, जिनमें डॉ गोवर्धन पुरी (वर्तमान में एम्स जोधपुर के निदेशक), डॉ विवेक लाल (पीजीआई चंडीगढ़ के निदेशक), डॉ गौरव मित्तल, पल्मोनोलॉजिस्ट और आईसीसीयू विशेषज्ञ और अन्य डॉक्टर शामिल हैं. एम्स और पीजीआई चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने बच्चों को उल्लेखनीय देखभाल प्रदान की है और प्रदान करना जारी रखा है. 

उन्‍होंने कहा कि हम माता-पिता के लिए, दुनिया उनके कल्याण के इर्द-गिर्द घूमती है. अपनी पत्‍नी को लेकर उन्‍होंने कहा कि कल्पना ने दुनिया भर के विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और देखभाल करने वालों से संपर्क स्थापित करने का प्रयास किया है. वह इलाज खोजने के प्रयास में वर्तमान शोध का सक्रिय रूप से अनुसरण कर रही है. 

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उनके जीवन को सार्थक बनाने की कोशिश: चंद्रचूड़ 

साथ ही कहा कि माता-पिता के रूप में हम बच्चों के बिना एक साथ यात्रा करने से बचते हैं. माता-पिता के रूप में हम उनके जीवन को सार्थक, मजेदार बनाने की कोशिश करते हैं और ऐसा माहौल बनाते हैं जहां वे एक संपूर्ण जीवन जीते हैं. जब प्रियंका 44 दिनों तक आईसीयू में थी और उसके ठीक होने के दौरान कल्पना कई महीनों तक सो नहीं पाई और उसका खुद का नींद चक्र भी बाधित हो गया. उन्‍होंने कहा कि हम सामाजिक रूप से नहीं मिलते हैं और बच्चों के साथ घर पर खाली समय बिताना पसंद करते हैं. 

इस दौरान उन्‍होंने बताया कि बच्चियां 11 बिल्लियों को भी पाल रही हैं. माही का जानवरों और पक्षियों से खास लगाव है. प्रियंका और माही दोनों ही सक्रिय पर्यावरणविद हैं और नैतिक जीवन जीती हैं. वे हमें शाकाहारी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं. 

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से उनका सरकारी आवास खाली करने को कहा है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक पत्र भी लिखा है. इस पत्र में आग्रह किया गया है कि सरकार पूर्व सीजेआई से उनका पुराना आवास खाली करने का आग्रह करे. 

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