अगस्ता मामले में कथित बिचौलिये किश्चियन मिशेल जेम्स ने NDTV से खास बातचीत की।
दुबई:
अगस्ता डील मामले में एक कथित बिचौलिये ने NDTV से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है कि वर्ष 2008 में एक पत्र में उसने कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को शीर्ष राजनेताओं के उपयोग हेतु नए हेलीकॉप्टर खरीदने के सौदे में फैसले के लिए 'असली ताकत (ड्राइविंग फोर्स)' बताया था। उस समय कांग्रेस पार्टी केंद्र में सत्तारूढ़ थी। गौरतलब है कि अगस्ता मामले में भारत ने इस बिचौलिये से पूछताछ की इच्छा जताई है।
हालांकि दुबई में रह रहे किश्चियन मिशेल जेम्स ने यह भी कहा कि वह निजी तौर पर न तो श्रीमती गांधी और न ही उनके पुत्र व कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को जानता है। जेम्स के अनुसार, 'इनकी' राजनयिकों द्वारा लॉबिंग की गई के लिखित सुझाव का यह मतलब नहीं है कि इनको रिश्वत दी गई। इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि उनकी (गांधी की) घोटाले में कोई भूमिका नहीं थी, मिशेल ने कहा, 'खुद को बचाने के लिए 'गांधी' को बचाना जरूरी है। खुद को बेकसूर साबित करने के लिए मुझे यह साबित करना है कि वे बेकसूर हैं।'
मिशेल ने कहा कि वह अपने इस दावे पर अभी भी कायम हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल न्यूयॉर्क में इटली के प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान अगस्ता डील के बारे में जानकारी देने के बदले भारत में मर्डर के आरोप में बंद इटली के दो नौसैनिकों को छोड़ने का ऑफर दिया था, क्योंकि इस जानकारी से सोनिया गांधी को शर्मसार होना पड़ता या उन्हें घेरा जा सकता था।
अपने शीर्ष नेतृत्व के अगस्ता स्कैम में शामिल होने की बात को नकारते हुए कांग्रेस ने उस कथन की प्रमाणिकता पर सवाल उठाया था, जिसकी पुष्टि आज मिशेल ने की है। एंग्लो-इटालियन फर्म अगस्ता के जेल में बंद अन्य एग्जिक्यूटिव के पत्रों में भी श्रीमती गांधी और कांग्रेस के अन्य शीर्ष नेताओं के नामों का जिक्र है। इन पेपर्स की मिलान कोर्ट ने समीक्षा की थी और अगस्ता को भारत में रिश्वत देने का दोषी पाया है।
कुछ ही हफ्ते पहले आए इस फैसले ने बीजेपी को अगस्ता स्कैंडल को एक बार फिर हवा देने और इसे राष्ट्रीय विवाद के रूप में पेश करने का पर्याप्त मसाला दे दिया है। इसके साथ ही उसे हेलिकॉप्टर घोटाले में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की मिलीभगत को लेकर नए प्रमाण उपलब्ध करा दिए हैं। इटली में जांच शुरू होने के बाद 2014 में 3600 करोड़ का यह ऑर्डर रद्द कर दिया गया था।
मिशेल ने पिछले कुछ महीनों में बार-बार यह दावा किया है कि जब पीएम मोदी यूएन समिट के लिए न्यूयॉर्क में थे, तो उन्होंने इटली की जांच में एकत्र किए गए वह विवरण हासिल करने के लिए इटली के अपने समकक्ष से गुपचुप मुलकात की थी, जिनका उपयोग सोनिया गांधी के खिलाफ किया जा सके। संसद में सरकार ने ऐसी किसी भी मुलाकात से इंकार किया है। मिशेल ने NDTV को बताया कि उन्होंने यह जानकारी दिल्ली स्थित इटली के दूतावास के आधिकारिक सूत्रों से हासिल की है।
हालांकि दुबई में रह रहे किश्चियन मिशेल जेम्स ने यह भी कहा कि वह निजी तौर पर न तो श्रीमती गांधी और न ही उनके पुत्र व कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को जानता है। जेम्स के अनुसार, 'इनकी' राजनयिकों द्वारा लॉबिंग की गई के लिखित सुझाव का यह मतलब नहीं है कि इनको रिश्वत दी गई। इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि उनकी (गांधी की) घोटाले में कोई भूमिका नहीं थी, मिशेल ने कहा, 'खुद को बचाने के लिए 'गांधी' को बचाना जरूरी है। खुद को बेकसूर साबित करने के लिए मुझे यह साबित करना है कि वे बेकसूर हैं।'
मिशेल ने कहा कि वह अपने इस दावे पर अभी भी कायम हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल न्यूयॉर्क में इटली के प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान अगस्ता डील के बारे में जानकारी देने के बदले भारत में मर्डर के आरोप में बंद इटली के दो नौसैनिकों को छोड़ने का ऑफर दिया था, क्योंकि इस जानकारी से सोनिया गांधी को शर्मसार होना पड़ता या उन्हें घेरा जा सकता था।
अपने शीर्ष नेतृत्व के अगस्ता स्कैम में शामिल होने की बात को नकारते हुए कांग्रेस ने उस कथन की प्रमाणिकता पर सवाल उठाया था, जिसकी पुष्टि आज मिशेल ने की है। एंग्लो-इटालियन फर्म अगस्ता के जेल में बंद अन्य एग्जिक्यूटिव के पत्रों में भी श्रीमती गांधी और कांग्रेस के अन्य शीर्ष नेताओं के नामों का जिक्र है। इन पेपर्स की मिलान कोर्ट ने समीक्षा की थी और अगस्ता को भारत में रिश्वत देने का दोषी पाया है।
कुछ ही हफ्ते पहले आए इस फैसले ने बीजेपी को अगस्ता स्कैंडल को एक बार फिर हवा देने और इसे राष्ट्रीय विवाद के रूप में पेश करने का पर्याप्त मसाला दे दिया है। इसके साथ ही उसे हेलिकॉप्टर घोटाले में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की मिलीभगत को लेकर नए प्रमाण उपलब्ध करा दिए हैं। इटली में जांच शुरू होने के बाद 2014 में 3600 करोड़ का यह ऑर्डर रद्द कर दिया गया था।
मिशेल ने पिछले कुछ महीनों में बार-बार यह दावा किया है कि जब पीएम मोदी यूएन समिट के लिए न्यूयॉर्क में थे, तो उन्होंने इटली की जांच में एकत्र किए गए वह विवरण हासिल करने के लिए इटली के अपने समकक्ष से गुपचुप मुलकात की थी, जिनका उपयोग सोनिया गांधी के खिलाफ किया जा सके। संसद में सरकार ने ऐसी किसी भी मुलाकात से इंकार किया है। मिशेल ने NDTV को बताया कि उन्होंने यह जानकारी दिल्ली स्थित इटली के दूतावास के आधिकारिक सूत्रों से हासिल की है।
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