नई दिल्ली:
इस साल मॉनसून के कमजोर रहने की भविष्यवाणी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि 'चुनौती' को एक 'अवसर' में बदला जाना चाहिए और सिंचाई के अन्य तरीकों पर गौर किया जाना चाहिए। उन्होंने इसी संदर्भ में अल्पकालिक उपाय के रूप में खेतों में तालाब बनाए जाने के कार्यक्रम को मजबूती से चलाने पर जोर दिया।
मोदी ने 'प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना' की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए देश के सिंचाई नेटवर्क को बढ़ाने के लिए बहु-आयामी रणनीति तेजी से अपनाये जाने पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के एक बयान के अनुसार मौसम विभाग के इस साल कमजोर मानसून के अनुमान के संदर्भ में मोदी ने अधिकारियों से सामान्य से कमजोर बारिश की 'चुनौती को एक अवसर के रूप में लेने को कहा।' उन्होंने सिंचाई क्षेत्र में प्रशासनिक व्यवस्था, वित्तीय व्यवस्था तथा प्रौद्योगिकी के उपयोग पर नए तरीके से विचार करने को कहा है ताकि निर्णय लेने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत छोटी, अधिक व्यापक हो तथा जिससे किसानों के लिए परिणाम जल्दी प्राप्त हों।
प्रधानमंत्री ने देशभर में खेतों में तालाब बनाने के लिए सघन अल्पकालिक प्रयास की वकालत की।
उन्होंने कहा कि सिंचाई योजना को जिला स्तर पर तैयार किए जाने की जरूरत है और सिविल सेवा के युवा अधिकारियों से जिला स्तरीय सिंचाई योजना का प्रस्ताव देने को कहना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने भूजल स्तर में लगातार गिरावट को रेखांकित करते हुए कहा कि इसकी वजह से खेती की पद्धति में बदलाव जरूरी हो गया है। सिंचाई के विस्तार को सभी राज्यों में फसलों की खेती के स्वरूप के व्यापक मूल्यांकन के साथ जोड़ा जाए। साथ ही विवेकपूर्ण तरीके से टपक और छिड़काव (ड्रिप और स्प्रिंकल) जैसे आधुनिक एवं सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का मिला-जुला उपयोग किया जाए।
देश भर में विभिन्न परंपरागत सिंचाई प्रणाली के विस्तृत अध्ययन का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों के युवा शोधकर्ताओं को सिंचाई नीति योजना में शामिल किया जाना चाहिए।
पीएमओ के बयान के अनुसार कुछ राज्यों में भूमिगत जल स्तर में कमी को देखते हुए फसल प्रतिरूप में तत्काल बदलाव जरूरी हो गया है। उन्होंने मक्का और मक्के में मूल्य वर्धन के उपायों का आह्वान किया ताकि यह किसानों के लिये ज्यादा आकर्षक हो।
बैठक में जल संसाधन मंत्री उमा भारती, ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह और कृषि राज्यमंत्री संजीव बालयान के अलावा कृषि, जल संसाधन, ग्रामीण विकास और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
मोदी ने 'प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना' की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए देश के सिंचाई नेटवर्क को बढ़ाने के लिए बहु-आयामी रणनीति तेजी से अपनाये जाने पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के एक बयान के अनुसार मौसम विभाग के इस साल कमजोर मानसून के अनुमान के संदर्भ में मोदी ने अधिकारियों से सामान्य से कमजोर बारिश की 'चुनौती को एक अवसर के रूप में लेने को कहा।' उन्होंने सिंचाई क्षेत्र में प्रशासनिक व्यवस्था, वित्तीय व्यवस्था तथा प्रौद्योगिकी के उपयोग पर नए तरीके से विचार करने को कहा है ताकि निर्णय लेने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत छोटी, अधिक व्यापक हो तथा जिससे किसानों के लिए परिणाम जल्दी प्राप्त हों।
प्रधानमंत्री ने देशभर में खेतों में तालाब बनाने के लिए सघन अल्पकालिक प्रयास की वकालत की।
उन्होंने कहा कि सिंचाई योजना को जिला स्तर पर तैयार किए जाने की जरूरत है और सिविल सेवा के युवा अधिकारियों से जिला स्तरीय सिंचाई योजना का प्रस्ताव देने को कहना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने भूजल स्तर में लगातार गिरावट को रेखांकित करते हुए कहा कि इसकी वजह से खेती की पद्धति में बदलाव जरूरी हो गया है। सिंचाई के विस्तार को सभी राज्यों में फसलों की खेती के स्वरूप के व्यापक मूल्यांकन के साथ जोड़ा जाए। साथ ही विवेकपूर्ण तरीके से टपक और छिड़काव (ड्रिप और स्प्रिंकल) जैसे आधुनिक एवं सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का मिला-जुला उपयोग किया जाए।
देश भर में विभिन्न परंपरागत सिंचाई प्रणाली के विस्तृत अध्ययन का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों के युवा शोधकर्ताओं को सिंचाई नीति योजना में शामिल किया जाना चाहिए।
पीएमओ के बयान के अनुसार कुछ राज्यों में भूमिगत जल स्तर में कमी को देखते हुए फसल प्रतिरूप में तत्काल बदलाव जरूरी हो गया है। उन्होंने मक्का और मक्के में मूल्य वर्धन के उपायों का आह्वान किया ताकि यह किसानों के लिये ज्यादा आकर्षक हो।
बैठक में जल संसाधन मंत्री उमा भारती, ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह और कृषि राज्यमंत्री संजीव बालयान के अलावा कृषि, जल संसाधन, ग्रामीण विकास और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
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