साल 1991 की एक सुबह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सो ही रहे थे कि उन्हें पीवी नरसिंह राव की सरकार में वित्तमंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव मिला और तत्कालीन प्रधानमंत्री राव ने तब उनसे मजाक में कहा था कि अगर 'उन्होंने अच्छा नहीं किया' तो उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा। मनमोहन सिंह की बेटी की पुस्तक में यह दावा किया गया है।
मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह की किताब (स्ट्रिक्टली पर्सनल : मनमोहन एंड गुरशरण) के मुताबिक सिंह का कहना है कि उन्हें 1991 में पीसी अलेकजेंडर ने जब पीवी नरसिंह राव की ओर से वित्तमंत्री बनने का प्रस्ताव देने के लिए फोन किया, तो वह सो रहे थे और यह उनके लिए अप्रत्याशित था। अलेक्जेंडर उस वक्त के प्रधानमंत्री राव के प्रधान सचिव थे।
मनमोहन सिंह के अनुसार राव की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका यह रही कि उन्होंने उन्हें उदारीकरण की प्रक्रिया की इजाजत दी और अपना पूरा सहयोग दिया। पूर्व प्रधानमंत्री का कहना है कि राव उदारीकरण को लेकर पहले थोड़ा संशय में थे, लेकिन उन्होंने उनको मनाया।
यह पुस्तक दमन की अपने माता-पिता के साथ की गई बातचीत तथा पुस्तकालयों एवं अभिलेखागारों में बिताए समय पर आधारित है।
मनमोहन सिंह का कहना है, 'मुझे उन्हें मनाना पड़ा था। मेरा मानना है कि वह इसे (उदारीकरण) शुरू करने को लेकर संशय में थे, लेकिन बाद में मान गए कि हम जो कर रहे थे वो सही था। परंतु वह बीच का रास्ता भी कायम रखना चाहते थे जिसमें हमें उदारीकरण अपनाने के साथ समाज के निचले तबकों एवं गरीबों का खयाल भी रखना था।'
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