सूर्य के कितने करीब जाएगा भारत का 'आदित्य-एल1'?

इसरो के अनुसार, सूर्य और पृथ्वी के बीच पांच लैग्रेंजियन बिंदु हैं, और प्रभामंडल कक्षा में ‘एल1’ बिंदु से उपग्रह सूर्य को बिना किसी बाधा/बिना किसी ग्रहण के लगातार देखकर अध्ययन संबंधी अधिक मदद मिलेगी.

नई दिल्‍ली:

चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब इसरो(ISRO) की नजर सूर्य पर है. इसरो आज अपने पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 को लॉन्च करने जा रहा है. सूर्य बेहद गर्म ग्रह है, ऐसे में ज्‍यादातर लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर अंतरिक्षयान आदित्‍य-एल1 सूर्य के कितने करीब जाएगा...? 

क्‍या सूर्य पर लैंड करेगा आदित्य-एल1...?
आदित्य-एल1 मिशन सूर्य पर नहीं "उतरेगा", क्योंकि बेहद गर्म ग्रह होने के कारण ऐसा कर पाना असंभव है. हालांकि, इसे सूर्य-पृथ्वी प्रणाली की कक्षा में स्थापित किया जाएगा. अंतरिक्ष यान विद्युत चुम्बकीय कण और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग करके प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड ले जाएगा. 

तो, आदित्य-एल1 कहाँ जा रहा है?
आदित्य-एल1 को सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (एल1) के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा. उपग्रह और पेलोड एक ही सापेक्ष स्थिति में सूर्य के चारों ओर घूमेंगे और बिना किसी ग्रहण के लगातार सूर्य को देखेंगे. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का निरीक्षण करने में मदद मिलेगी.

‘आदित्य एल1' को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1' (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. सूर्य के अध्ययन के लिए ‘आदित्य एल1' को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंजियन-1' बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे. 

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