- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु में चोल सम्राट राजराजा चोल, राजेंद्र चोल की भव्य प्रतिमाओं की घोषणा की.
- मोदी ने कहा कि चोल काल की आर्थिक और सैन्य उपलब्धियां आज भी भारत के विकास के लिए प्रेरणा स्रोत हैं.
- इतिहासकार संजीव सान्याल के अनुसार चोल साम्राज्य ने समुद्र पार कर व्यापक समुद्री व्यापार और सैन्य अभियान चलाए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तमिलनाडु में प्रतिष्ठित चोल सम्राट राजराजा चोल और उनके पुत्र राजेंद्र चोल प्रथम की भव्य प्रतिमाओं का निर्माण कराने की घोषणा की. प्रधानमंत्री मोदी ने राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित आदि तिरुवथिरई महोत्सव को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि ये प्रतिमाएं भारत की ऐतिहासिक चेतना के आधुनिक स्तंभ को प्रतिबिंबित करेंगी. प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कहा, 'चोल काल में भारत ने जो आर्थिक और सैन्य ऊंचाइयां हासिल कीं, वे आज भी हमें प्रेरित करती हैं. राजराजा चोल ने एक शक्तिशाली नौसेना बनाई, जिसे राजेंद्र चोल ने और मजबूत किया.'
पीएम मोदी से सहमत इतिहासकार
पीएम मोदी की मानें तो अगर भारत को एक विकसित देश बनाना है तो चोल साम्राज्य उसके लिए एक रोडमैप की तरह है. पीएम मोदी की बात से इतिहासकार भी सरोकार रखते है. इतिहास संजाव सान्याल ने NDTV से खास बातचीत में कि हम अपनी सभ्यता के इतिहास को कभी टेक्स्टबुक या कहीं और भी पढ़ते हैं तो आपको पढ़कर लगेगा कि हम लोग कुछ डरे हुए, भटके हुए सभ्यता हैं, जबकि ऐसा नहीं है. किसी तरह से हम मतलब समुद्र को पार करने से भी डरते थे. उनका कहना था कि हम हमेशा यही इतिहास पढ़ते आए है कि कहीं-कहीं से लोगों ने आकर हमारे ऊपर राज किया और उनकी वजह से ही हमारी सभ्यता में थोड़ा जोश आया है. मुगलों ने हमें बिरयानी दी , अंग्रेजों ने हमें रेल गाड़ी दी, अभी तक यह पढ़ते आए हैं और यह पूरी तरह से गलत है.
#KhabroKiKhabar | इतिहासकार संजीव सान्याल से समझिए राजेंद्र चोल प्रथम ने कैसे भारत का मान बढ़ाया@manogyaloiwal | #RajendraChola pic.twitter.com/EhGQoGmRsn
— NDTV India (@ndtvindia) July 27, 2025
पूरी दुनिया के साथ व्यापार
इसके बाद उन्होंने भी चोल और उनकी तरह कुछ और बहादुर भारतीय राजाओं का जिक्र किया. सान्याल ने कहा, 'अगर आप हमारे इतिहास को ठीक से समझेंगे तो आप देखेंगे की ऐसे बहुत सारे राजा हैं. जैसे राजेंद्र चोल जो समुद्र को पार करके कहां, सुमात्रा और मलय पेनिनसुला पर उन्होंने नौसैनिक अटैक किया. वह पूरी दुनिया के साथ सामुद्रिक व्यापार करते थे. एक बार तो वह तमिलनाडु से निकलकर बंगाल पहुंचे और गंगा के जरिये पहुंचे थे. इसकी वजह से उन्हें 'गंगा का विजेता' भी कहा गया.'

उनका कहना था कि कांस्य युग से मतलब आज से चार 5000 साल पहले से ही हम एक सामुद्रिक शक्ति थे. राजेन्द्र चोल के पहले भी बहुत सारे ऐसे साम्राज्य थे जैसे कलिंग के राजा थे, पल्लव राजा थे, चालुक्य भी थे, कादंब थे और ऐसे बहुत सारे साम्राज्य थे जो समुद्र से ही उनकी आर्थिक सांस्कृतिक विस्तार हुआ, उसी से ही जुड़ा हुआ था. हमारा इतिहास जोशीला है, हम डरी हुई सभ्यता नहीं हैं, हमारी सभ्यता जीवित है, इसका बड़ा कारण यही है कि हमारे पास जोश है.
कई देशों तक फैली थी सभ्यता
हमारी सभ्यता कि पहुंच कई देशों तक फैली हुई थी. अभी थाईलैंड-कंबोडिया के बीच एक शिव मंदिर को लेकर युद्ध हो रहा है. इसका मतलब है कि हम वहां सालों पहले पहुंच चुके थे. संजीव सान्याल के अनुसार ऐसी बहुत सी सामुद्रिक शक्तियां उभरकर आई हैं. राजेंद्र चोल ने 1000 साल पहले श्रीविजया साम्राज्य पर हमला किया तो वह इसलिए था क्योंकि वहां के ट्रेड मार्गों पर ज्यादा टैक्स लगा रहे थे. नौसैनिक हमले में उन्हें हराया गया और उस रास्ते को खोल दिया ताकि भारत और चीन के बीच व्यापार कायम रहे.

उनकी मानें तो इस इतिहास में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने हमारी आर्थिक शक्ति या नौसैनिक शक्ति के आधार पर अपना प्रभाव बढ़ाया. सान्याल की मानें तो चोल और बाकी राजाओं से भारत यह सीख सकता है कि अगर उसे एक वैश्विक शक्ति के तौर पर अगर उभरना है तो अपने हितों की रक्षा करने की काबिलियत भी होनी चाहिए.
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