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‘हिंदी’ ने किया एकजुट! उद्धव-राज ठाकरे अब एक साथ करेंगे आंदोलन, संजय राउत से NDTV की खास बातचीत

हिंदी भाषा पर महाराष्ट्र की राजनीति में घमासान मचा हुआ है. स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया गया है, लेकिन विपक्षी दलों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इस मुद्दे पर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आंदोलन करेंगे. संजय राउत ने इसकी जानकारी दी.

‘हिंदी’ ने किया एकजुट! उद्धव-राज ठाकरे अब एक साथ करेंगे आंदोलन, संजय राउत से NDTV की खास बातचीत
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे 5 जुलाई को एक साथ करेंगे आंदोलन
  • महाराष्ट्र में स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य बनाने का मुद्दा गरमा गया है.
  • इस मुद्दे पर उद्धव और राज ठाकरे मिलकर आंदोलन करने जा रहे हैं.
  • संजय राउत ने बताया कि प्राथमिक स्कूलों में हिंदी थोपने का विरोध किया जाएगा.
  • 5 जुलाई को इसको लेकर आंदोलन किया जाएगा
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मुंबई:

महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाए जाने के मुद्दे ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे को एक बार फिर साथ आने का मौका दे दिया है. इस मुद्दे को लेकर उद्धव और राज ठाकरे एक साथ आंदोलन करने वाले हैं. इसकी जानकारी खुद शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने दी है. NDTV से खास बातचीत के दौरान संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में फिलहाल प्राइमरी स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने की बात चल रही है. भाषा के नाम पर बच्चों पर हिंदी भाषा लादी जा रही है. हिंदी भाषा से किसी प्रकार का विरोध नहीं है. लेकिन प्राइमरी स्कूलों पर उसे थोपने नहीं देंगे. इस विषय पर राज ठाकरे ने एक भूमिका अपनाई है. वहीं भूमिका उद्धव ठाकरे की भी है.

एक साथ करेंगे आंदोलन

संजय राउत ने कहा कल राज ठाकरे के पास सरकार की तरफ से कुछ लोग गए. उन्होंने अपना मत रखा जो राज ठाकरे को पसंद नहीं आया. ठीक उसी समय उन्होंने एक मोर्चा निकालने की घोषणा की. हमें इसके बारे में मातोश्री पर तब जानकारी नहीं थी. मातोश्री से बाहर निकलने के बाद मुझे राज ठाकरे का फोन आया. उन्होंने कहा ऐसी भूमिका है कि उद्धव साहब ने 7 जुलाई को मोर्चा निकालने की बात कही है और मैं 6 जुलाई को निकाल रहा हूं. यह ठीक नहीं लग रहा कि मराठी भाषा को लेकर अलग-अलग मोर्चा निकले. अगर आंदोलन एक साथ किया गया तो इसका ज्यादा असर पड़ेगा और मराठी भाषा के लोगों को भी अच्छा लगेगा.

5 जुलाई को निकलेगा मोर्चा

संजय राउत ने कहा राज ठाकरे की पूरी बात सुनने के बाद मैंने कहा ठीक है इस विषय को लेकर मैं उद्धव ठाकरे से बात करता हूं. मैं फिर मातोश्री गया और मैं उद्धव ठाकरे से बात की. उन्होंने बिना कोई समय लिए कहा कि इस विषय पर मराठी व्यक्ति एक साथ दिखे यह आवश्यक है. लेकिन 6 को आषाढी एकादशी है, पूरे महाराष्ट्र में उसका उत्सव रहता है. इसलिए हमारी बात लोगों तक नहीं पहुंचेगी. क्योंकि मीडिया के लोग भी एकादशी दिखाते हैं. अब या तो वह 7 को हमारे साथ शामिल हो जाएं या हम 5 तारीख को मोर्चा निकाले. मैंने फिर एक बार राज ठाकरे से बातचीत की और उन्हें बताया उन्होंने तुरंत सहमति जताई. उनका फिर फोन आया और कहा कि हम इसे 5 तारीख को करते हैं, और राजनीतिक एजेंडा से अलग रखकर एक साथ आते हैं. संजय राउत ने कहा दोनों का एकत्र मोर्चा और आंदोलन अब 5 तारीख को निकलेगा, जो समय 10:00 बजे का रखा गया है. 

"ठाकरे ही ब्रांड हैं"

संजय राउत ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक फोटो भी शेयर की.। इसमें उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ नजर आ रहे हैं. उन्होंने लिखा, "महाराष्ट्र के स्कूलों में अनिवार्य हिंदी के खिलाफ एकजुट प्रदर्शन होगा. ठाकरे ही ब्रांड हैं."

इसके अलावा, राउत ने एक अन्य पोस्ट भी शेयर की और इस तस्वीर में उद्धव और राज ठाकरे एक साथ खड़े हुए दिख रहे हैं, जबकि उनके पीछे बाला साहेब ठाकरे की तस्वीर दिख रही है. उन्होंने इस फोटो के साथ कैप्शन में लिखा, "महाराष्ट्र की जय हो."

महायुति सरकार ने हिंदी भाषा को जबरन नहीं थोपा

इस पूरे मामले पर महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत की प्रतिक्रिया भी आई है. उन्होंने दावा किया है कि राज ठाकरे तो पहले से ही अपनी रैली 5 तारीख के लिए तय कर चुके थे. यानी उद्धव ठाकरे राज ठाकरे की रैली में शामिल हो रहे हैं, इसका अर्थ तो यही है. महायुति सरकार ने कहीं भी हिंदी भाषा को जबरन नहीं थोपा है. हिंदी को “अनिवार्य”नहीं बनाया गया है. उद्धव ठाकरे जब मुख्यमंत्री थे तब ही जनवरी  2022 में डॉ. रघुनाथ माशेलकर समिति ने कक्षा 1 से हिंदी को “अनिवार्य” रूप से पढ़ाने की सिफारिश की थी. इस प्रस्ताव को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली राज्य कैबिनेट ने ही मंजूरी दे दी थी. तो अब उद्धव क्यों विरोध कर रहे हैं? तब उन्होंने “अनिवार्य” शब्द को मंज़ूरी क्यों दी? जबकि हिंदी हमने तो हिंदी को “अनिवार्य” भी नहीं किया है. 

मंत्री उदय सामंत ने आगे कहा कि हिंदी “अनिवार्य” शब्द कहां से आया..? डॉ माशेलकर साहब की समिति द्वारा पेश रिपोर्ट से आया, उस समय राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे थे. उन्होंने इस शब्द को स्वीकार किया, उन्होंने हिंदी को जबरन थोपा और वही लोग आज विरोध कर रहे हैं.

भाई-भाई साथ आने पर मंत्री उदय सामंत ने कहा राज-उद्धव अगर किसी मोर्चे में साथ आ रहे हैं तो इसका मतलब ये थोड़े ही है की इनकी युति हो रही है. जब होगी तब इस बारे में चर्चा करेंगे, मैं इसपर क्या बोल सकता हूं

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