
- भारत सरकार और केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने गुरुकुल छात्रों के लिए सेतुबंध विद्वान योजना की शुरुआत की है.
- योजना के तहत चयनित छात्रों को हर महीने स्कॉलरशिप और पोस्टग्रेजुएट और पीएचडी स्तर की डिग्री दी जाएगी.
- योजना का उद्देश्य पारंपरिक शिक्षा प्राप्त छात्रों को मुख्यधारा की शिक्षा और अनुसंधान से जोड़ना है.
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भारतीय ज्ञान परंपरा (IKS) ने एक खास योजना की शुरुआत की है.इस योजना के तहत पारंपरिक गुरुकुल प्रणाली से पढ़ाई कर चुके मेधावी छात्रों को औपचारिक डिग्री और रिसर्च के मौके दिए जाएंगे और वह भी देश की प्रतिष्ठित IITs में.
सेतुबंध विद्वान योजना क्या है?
इस योजना का नाम है सेतुबंध विद्वान योजना. इसके तहत चुने गए छात्रों को 40,000 से 65,000 प्रति माह तक की स्कॉलरशिप और उनके ज्ञान के आधार पर पोस्टग्रेजुएट या पीएच.डी. स्तर की डिग्री दी जाएगी. पोस्टग्रेजुएट छात्रों को 40 हजार से 1 लाख और पीएच.डी. रिसर्च छात्रों को 65 हजार से 2 लाख का ग्रांट दिया जाएगा. यह डिग्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जाएगी.
क्या है योजना का मकसद?
योजना का मकसद उन विद्वानों को मुख्यधारा की उच्च शिक्षा और अनुसंधान से जोड़ना है, जिन्होंने पारंपरिक प्रणाली से शिक्षा ग्रहण की है लेकिन जिनके पास औपचारिक शैक्षणिक प्रमाणपत्र नहीं हैं. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि यह योजना पारंपरिक गुरुकुल शिक्षा और आधुनिक अनुसंधान के बीच एक सेतु का काम करेगी. इससे गुरुकुल परंपरा के छात्रों को न केवल सम्मान मिलेगा, बल्कि उच्च शिक्षा और अनुसंधान में आगे बढ़ने के नए द्वार भी खुलेंगे. यह योजना भारतीय ज्ञान परंपरा के पुनरुद्धार और पारंपरिक रूप से शिक्षित छात्रों को मुख्यधारा में लाने का एक सार्थक प्रयास है.
छात्रों के लिए क्या होगा क्राइटेरिया?
- अधिकतम आयु: 32 साल
- न्यूनतम 5 सालों तक गुरुकुल या परंपरागत गुरु के अधीन अध्ययन जरूरी
- औपचारिक डिग्री की अनिवार्यता नहीं
- शास्त्रीय या पारंपरिक विषयों में उत्कृष्टता का प्रमाण जरूरी
- 15 अगस्त तक इस योजना के लिए आवेदन करे
इन 18 विषयों में मिलेगा रिसर्च का मौका
छात्रों को पारंपरिक-आधुनिक विषय क्षेत्रों में IITs में शोध के अवसर मिलेंगे:
1. आन्वीक्षिकी विद्या – वैदिक दर्शन, संज्ञान विज्ञान
2. भाषा एवं वाग्विश्लेषण – भाषा विज्ञान, व्याकरण
3. इतिहास एवं सभ्यता विद्या भारतीय इतिहास और संस्कृति
4. धर्मशास्त्र एवं लौकिकशास्त्र – धर्म, समाज और कानून
5. राजनीति एवं अर्थशास्त्र राजनीतिक और रणनीतिक अध्ययन
6. गणित-भौत-ज्योतिष गणित, भौतिकी और ज्योतिष
7. भैषज्य एवं आरोग्य विद्या आयुर्वेद और स्वास्थ्य विज्ञान
8. द्रव्य-गुण-संयोग विद्या रसायन, औषधि और पोषण
9. कृषि एवं पशुपालन विद्या कृषि और पशुपालन
10. वास्तु एवं निर्माण विद्या वास्तुकला और निर्माण विज्ञान
11. रस-धातु विद्या रसायन विज्ञान और धातुकर्म
12. यांत्रिक एवं नव्य अभियांत्रिकी यांत्रिकी और डिजिटल इंजीनियरिंग
13. गांधर्व विद्या नाट्य, संगीत और प्रदर्शन कला
14. शिल्प-आलेख्य विद्या ललित कला और मूर्तिकला
15. अलंकारादि विद्या फैशन और इंटीरियर डिजाइन
16. शैक्षणिक-क्रीड़नीयक विद्या शिक्षा और मनोरंजन
17. वेद-वेदांग दर्शन विद्या वेद और दर्शन
18. दण्डनीति विद्या शासन और विधिशास्त्र
वरखेड़ी ने कहा कि यह योजना केवल डिग्री देने का जरिया नहीं बल्कि भारत की पारंपरिक विद्या परंपराओं को वैश्विक रिसर्च के पटल पर पुनर्स्थापित करने का एक ऐतिहासिक प्रयास है.
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