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गुरपतवंत पन्नू केस: कौन है निखिल गुप्ता? क्यों लाया गया अमेरिका? भारत के लिए क्या है टेंशन की बात?

Gurpatwant Pannun Case: 52 वर्षीय गुप्ता को पिछले साल 30 जून को चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद अमेरिका ने उनके प्रत्यर्पण की मांग की थी. इस साल की शुरुआत में चेक संवैधानिक न्यायालय में उनके प्रत्यर्पण के खिलाफ उनकी अपील के कारण उनका प्रत्यर्पण रुका हुआ था. पिछले महीने उनकी अपील खारिज होने पर उन्हें अमेरिका भेजे जाने का रास्ता साफ हो गया.

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गुरपतवंत पन्नू केस: कौन है निखिल गुप्ता? क्यों लाया गया अमेरिका? भारत के लिए क्या है टेंशन की बात?
निखिल गुप्ता अदालत में पेश, पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने से किया इनकार
नई दिल्‍ली:

अमेरिका में खालिस्तानी नेता  गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोपी भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता को चेक रिपब्लिक से अमेरिका लाया गया है. 52 वर्षीय निखिल गुप्‍ता के खिलाफ पिछले वर्ष नवंबर में मुकदमा दाखिल किया था. गुप्ता पर भारत सरकार के एक कर्मचारी के साथ मिलकर खालिस्तानी अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश रचने का आरोप है. पन्नू अमेरिका में रहता है और उसके पास अमेरिकी और कनाडा की दोहरी नागरिकता है. हालांकि, निखिल गुप्‍ता ने अपने पर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है. 

निखिल गुप्‍ता को क्‍यों लाया गया अमेरिका

निखिल गुप्‍ता पर अमेरिका में मुकदमा चलेगा, क्‍योंकि पन्‍नू के पास अमेरिका की भी नागरिकता है. निखिल गुप्ता को सोमवार को यहां एक संघीय अदालत में पेश किया गया. गुप्ता ने साजिश में शामिल होने से इनकार किया. दक्षिणी न्यूयॉर्क के संघीय अदालत में मजिस्ट्रेट न्यायाधीश जेम्स कॉट ने 28 जून को होने वाली सुनवाई तक उन्हें हिरासत में रखने का आदेश दिया. गुप्ता के वकील जेफरी चैब्रो ने जमानत के लिए आवेदन नहीं किया. वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक़, अगर आरोप साबित हुए तो उन्हें लंबी सजा हो सकती है. बीते वीकेंड में निखिल गुप्‍ता को अमेरिका लाया गया. 

कौन है निखिल गुप्‍ता?

अदालत के दस्तावेज के मुताबिक, "निक" नाम का भी इस्तेमाल करने वाले निखिल गुप्ता पर एक अनाम भारतीय "वरिष्ठ फील्ड अधिकारी" के साथ मिलकर "पंजाब को (भारत से) अलग कर खालिस्तान नाम से एक स्वायत्त राष्ट्र बनाने की वकालत करने वाले एक अमेरिकी संगठन" के नेता की हत्या की साजिश रचने का आरोप है. चेक गणराज्य से प्रत्यर्पण के बाद गुप्ता को ब्रुकलिन में एक जेल में रखा गया है. 52 वर्षीय गुप्ता को पिछले साल 30 जून को चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद अमेरिका ने उनके प्रत्यर्पण की मांग की थी. इस साल की शुरुआत में चेक संवैधानिक न्यायालय में उनके प्रत्यर्पण के खिलाफ उनकी अपील के कारण उनका प्रत्यर्पण रुका हुआ था. पिछले महीने उनकी अपील खारिज होने पर उन्हें अमेरिका भेजे जाने का रास्ता साफ हो गया. अदालती दस्तावेज में खालिस्तान समर्थक नेता के नाम का उल्लेख नहीं है, लेकिन मामला गुरपतवंत सिंह पन्नून से जुड़ा है, जो पेशे से वकील है और अमेरिका तथा कनाडा की नागरिकता रखता है. वह न्यूयॉर्क में रहता है और खालिस्तान के समर्थन में अभियान चलाता है. उसे भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित कर रखा है. 

निखिल गुप्‍ता पर क्‍या है आरोप 

निखिल गुप्ता पर भारत सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित खालिस्तान के लिए अभियान चलाने वाले गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की साजिश रचने का आरोप है. आरोपपत्र में कहा गया है कि गुप्ता को "वरिष्ठ फील्ड अधिकारी" ने हत्या को अंजाम देने का जिम्मा सौंपा था। गुप्ता ने इस काम के लिए एक और व्यक्ति से संपर्क किया जिसे वह अपराधी समझ रहा था, लेकिन वह वास्तव में अमेरिकी कानून प्रवर्तक के लिए काम करने वाला गुप्त सूत्र था. दस्तावेजों में आरोप लगाया गया है कि उस व्यक्ति ने गुप्ता को एक शूटर से मिलवाया जो दरअसल अमेरिकी कानून प्रवर्तन एजेंसी का एक अंडरकवर अधिकारी था. उसे हत्या को अंजाम देने के लिए एक लाख डॉलर का ऑफर दिया गया. हालांकि, निखिल गुप्‍ता ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है. साथ ही कहा है कि वह किसी की भी हत्‍या में शामिल नहीं है. 

कौन है गुरपतवंत सिंह पन्नू?

गुरपतवंत सिंह पन्नू को भारत सरकार ने 1 जुलाई 2020 को व्यक्तिगत आतंकवादी घोषित किया था. एनआईए ने उसके संगठन सिख फॉर जस्टिस पर युवाओं को चरमपंथी बनाने और आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. पन्‍नू को लेकर भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ समय से राजनयिक तनाव भी बना हुआ है. पन्‍नू भारत से ही अमेरिका गया है. पेशे से वकील पन्नू का परिवार पहले पंजाब के एक गांव में रहता था. पंजाब में ही पन्‍नू का जन्‍म हुआ था. पिता महिंदर सिंह पंजाब मार्केटिंग बोर्ड के सचिव थे, पैसे की कोई कमी नहीं थी, इसलिए पन्‍नू पढ़ाई करने के लिए अमेरिका आ गए. हालांकि, पन्‍नू ने शरुआती पढ़ाई लुधियाना में ही की थी. पंजाब यूनिवर्सिर्टी से ही पन्‍नू ने वकालत की पढ़ाई की थी. कॉलेज के दिनों से ही वह राजनीति में कूद पड़े थे. साल 1991 पन्नू अमेरिका चले गए, यहां उन्‍होंने एमबीए किया और फिर न्‍यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ली. 

भारत के लिए क्या है टेंशन की बात?

भारत सरकार ने शुरुआत में ही अमेरिका में खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था. साथ ही कहा था कि वह इस मामले में किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार है. भारत का स्‍टेंड साफ है, ऐसे में निखिल गुप्‍ता का कोर्ट में पेश किया जाना कोई चिंता की बात नहीं है. इस मामले से भारत-अमेरिका के संबंधों पर भी कोई प्रभाव देखने को नहीं मिला है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने खबर को खारिज कर दिया था और पन्नू की हत्या की साजिश में भारतीय एजेंटों की संलिप्तता के दावे को गलत बताया था. भारत ने कहा कि पन्नू की कथित हत्या की साजिश को लेकर अमेरिका द्वारा साझा किए गए प्रमाण की उच्च स्तरीय जांच की जा रही है. हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि हत्या की एक असफल साजिश में किसी भारतीय के शामिल होने के आरोपों से भारत-अमेरिका संबंधों की प्रगति पर कोई असर नहीं पड़ा है. एक इंटरव्‍यू के दौरान जयशंकर ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों के बुनियादी सिद्धांत बहुत मजबूत हैं और आरोपों का संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ा है. उन्होंने कहा, "अमेरिका ने सकारात्मक भाव के साथ हमारा ध्यान कुछ जानकारी की ओर दिलाया है. हमारा यह भी मानना है कि इसमें से कुछ का हमारी अपनी प्रणाली पर प्रभाव पड़ता है."
(भाषा इनपुट के साथ...)

ये भी पढ़ें :- पन्नू मामले पर वॉशिंगटन पोस्ट की खबर को विदेश मंत्रालय ने बताया 'अवांछित, निराधार'

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