संकट से जूझ रहे छोटे और लघु उद्योग, ग्राउंड रिपोर्ट में दिखी सच्चाई, बड़ी संख्या में फैक्ट्रियां बंद

बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में तोशी आटोमेटिक सिस्टम्स फैक्ट्री आधी से ज्यादा खाली पड़ी है. 7-8 मज़दूर काम कर रहे हैं जहां कोरोना संकट से पहले 40 के आस-पास मज़दूर काम करते थे.

नई दिल्ली:

कोरोनावायरस लॉकडाऊन (Coronavirus Lockdown) के असर से जूझ रहे 62% छोटे एवं लघु उद्योगों ने वर्करों की जॉब कट करने का फैसला किया है, जबकि 78% ने वर्करों के सैलरी में कटौती का फैसला किया है. लघु उद्योग संघ और स्कॉच ग्रुप के सर्वे में ये बात सामने आई है. एनडीटीवी ने बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया का दौरा किया तो पाया बड़ी संख्या में फैक्टरियां अब भी बंद हैं. जो फैक्टरियां चल रही हैं वो सिर्फ 15% से 20% तक की क्षमता से ही काम कर पा रही हैं. बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में तोशी आटोमेटिक सिस्टम्स फैक्ट्री आधी से ज्यादा खाली पड़ी है. 7-8 मज़दूर काम कर रहे हैं जहां कोरोना संकट से पहले 40 के आस-पास मज़दूर काम करते थे. फैक्ट्री मालिक संजीव सचदेव कहते हैं, 'लॉकडाऊन की वजह से सप्लाई चैन चरमरा गया है. इन्वेंटरी में तैयार माल का स्टॉक पड़ा है लेकिन उसे बेच नहीं पा रहे हैं.' 

संजीव सचदेव ने कहा, 'लॉकडाउन के असर की वजह से फैक्ट्री सिर्फ 15 से 20 प्रतिशत ही खाम कर रही है. सरकार ने रिलीफ पैकेज की घोषणा की लेकिन हमें सीधे तौर पर कुछ नहीं मिला. हमारे लिए वर्किंग कैपिटल सबसे बड़ी समस्या है. जब फैक्ट्री के मालिक के पास ही फंड नहीं होगा तो वर्कर को कैसे पेमेंट करेंगे?'

बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में लगभग हर फैक्ट्री का यही हाल है. वर्करों को धीरे धीरे काम तो मिल रहा है लेकिन कमाई कोरोना संकट से पहले के मुकाबले 20% भी नहीं हो पा रही है.  इस जगह कम करने वाले गेंदा लाल बताते हैं, 'पहले 400 से 500 रुपए प्रतिदिन मिलता था. अब 100 रुपए मिलते हैं. घर पैसे नहीं भेज पा रहे हैं.' ऐसा ही कुछ हाल यहां काम करने वाले विजय यादव का है, विजय ने बताया, 'हां अब कमाई घट गई है, घर पैसे नहीं भेज पा रहे हैं.'

लघु उद्योग संघ फिसमे (FISME)और स्कॉच ग्रुप ने छोटे और लघु उद्योगों के एक एहम सर्वे में पाया है कि कुल 62 प्रतिशत लघु उद्योग इकाइयों ने वर्करों की छंटनी की है. मई में 6% लघु उद्योग इकाइयों ने वर्करों की 100% छंटनी की, 30% एमएसएमई आधी नौकरियां और 26% एमएसएमई एक चौथाई नौकरियां ख़त्म करने की तैयारी में हैं. जबकि 78% एमएसएमई ने वर्करों की सैलरी में कटौती करने का फैसला किया है

लघु उद्योग संघ के महासचिव अनिल भारद्वाज ने एनडीटीवी से कहा, "62 % एमएसएमई ने वित्त मंत्री के फाइनेंशियल पैकेज में कॉन्फिडेंस नहीं दिखाया है. लगभग 70 % लोगों का ये कहना था की 25 से 50 प्रतिशत तक की जॉब कट प्लान कर रहे हैं. भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है". 

छोटे और लघु उद्योगों के सर्वे में ये बात सामने आई है की मई 2020 में 77% एमएसएमई को इमरजेंसी फंड की ज़रुरत है. साफ है, संकट बड़ा है और सरकार और बड़े स्टार पर हस्तक्षेप करना होगा. 

11 साल के निचले स्तर पर पहुंची जीडीपी की वृद्धि दर
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com