आर्थिक मंदी का सबसे ज़्यादा असर ऑटोमोबाइल सेक्टर पर पड़ा है. बाज़ार में गाड़ियों की डिमांड घटने से ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियां भी बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं. पिछले चार-पांच महीनों में ऑटो कम्पोनेन्ट्स बनाने वाली कंपनियों के बिजनेस में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन बिज़नेस अब भी 50% डाउन है. अब वह वित्त मंत्री से बजट 2020 में टैक्स राहत चाहते हैं. पिछले साल सितंबर के दूसरे हफ्ते में आर्थिक मंदी के असर से जूझ रही एलएनएम ऑटो इंडस्ट्री के मालिक संदीप मल्ल ने NDTV को बताया कि, 'भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों की तरफ से ऑटो कम्पोनेन्ट्स के ऑर्डर 2018 के मुकाबले इस समय सिर्फ 10 से 15 % तक रह गए हैं. यानी 80 से 85% तक सप्लाई ऑर्डर घट गए हैं.
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फरीदाबाद इंडस्ट्रियल एरिया में उनकी कंपनी बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए कल पुर्जे बनाती है. अब संदीप मल्ल कहते हैं ऑटो कंपनियों की तरफ से डिमांड में सुधार तो आया है, लेकिन पिछले वित्तीय साल के मुकाबले बिजनेस इस साल 50% तक डाउन है. मल्ल के मुताबिक 2018 के स्तर पर बिज़नेस को ले जाना 2021 तक ही संभव हो सकेगा. संदीप मल्ल पर मंदी की दोहरी मार पड़ी है. वो अमेरिका, यूरोप, चीन और पश्चिम एशिया के देशों में इंजिनियरिंग गुड्स का निर्यात भी करते हैं. अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में मंदी की वजह से एक्सपोर्ट ऑर्डर भी 15% से 20% तक डाउन है. संदीप मल्ल कहते हैं कि वित्त मंत्री को बजट 2020 में टैक्स राहत देने पर विचार करना चाहिये.
बजट 2020 से चमड़ा उद्योग को सरकार से हैं कई उम्मीदें
मल्ले के मुताबिक छोटे और मझोले उद्योगों को कॉर्पोरेट टैक्स रेट में पिछले साल सितंबर में जो कटौती की गई उसका फायदा नहीं मिल पाया है. उनकी मांग है कि वित्त मंत्री बजट 2020 में उनके छोटे और मध्यम स्तर के उद्यमी को टैक्स में राहत दें. गाड़ियों के कलपुर्जे बनाने वाले उद्योग में इस गिरावट का असली ख़तरा तब समझ में आता है जब हम पाते हैं कि भारत में ये कारोबार कुल 51.2 अरब डॉलर का है. भारत की 2.3 फ़ीसदी जीडीपी इसी से आती है और करीब 15 लाख लोग इससे सीधे या परोक्ष रूप से रोज़गार पाते हैं. अब देखना होगा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2020 में छोटे और मझोले उद्योगों की टैक्स रिलीफ की मांग से कैसे निपटती हैं.
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