फाइल फोटो
नई दिल्ली:
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में एक एनजीओ के उन आरोपों को खारिज कर दिया कि सूखे की मार झेल रहे किसानों के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के तहत निधि जारी करने में उसकी तरफ से देरी हुई. इस मामले में याचिकाकर्ता एनजीओ ने शीर्ष अदालत में यह मुद्दा उठाया है. एनजीओ ने दावा किया कि मनरेगा के तहत निधि भेजने के आदेश दिए जाने से लेकर लाभार्थियों को वास्तव में भुगतान किए जाने तक बहुत देरी की गई.
दिवाली पर भी मजदूरों की जेब खाली, घरों में छाया अंधेरा; नहीं मिली महीनों से मजदूरी
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति एन वी रमना की पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से इस संबंध में चार सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा. न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा इन आरोपों को खारिज करने के बाद हलफनामा देने के लिए कहा. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए अगले साल 18 जनवरी की तारीख तय की है.
वीडियो : मनरेगा के मजदूरों का प्रदर्शन
एनजीओ स्वराज अभियान ने यह भी दावा किया कि निधि भेजने के आदेश की प्रति मिलने के बाद भी इस योजना के तहत निधि जारी करने में केंद्र की तरफ से काफी देरी की गई.
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एनजीओ स्वराज अभियान ने यह भी दावा किया कि निधि भेजने के आदेश की प्रति मिलने के बाद भी इस योजना के तहत निधि जारी करने में केंद्र की तरफ से काफी देरी की गई.