नई दिल्ली:
सूचना और प्रसारण मंत्रालय फिल्म और टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया यानी एफटीआईआई को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दे सकता है। यह फैसला उस समय लिया जा रहा है जब मंत्रालय और एफटीआईआई के स्टूडेंट्स के बीच गतिरोध चल रहा है।
दरअसल, कैबिनेट सेक्रेटरी पी.के सिन्हा की अध्यक्षता में 25 जून को हुई मीटिंग में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने FTII को कॉमन यूनिवर्सिटीज एक्ट में शामिल करने के बारे में पूछा था। मंत्रालय के इस कदम से न सिर्फ इंस्टीट्यूट को स्वायत्तता दी जाएगी, बल्कि इसे डिग्री देने की अनुमति भी मिल जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ''हम एचआरडी मिनिस्ट्री से बात कर रहे हैं। साल के अंत तक हम संसद में ये बिल लायेंगे।''
आंकड़े के मुताबिक, एफटीआईआई छात्र पर सरकार एक साल में 12 लाख खर्च करती है। वहीं, एक आईआईटी छात्र पर सरकार एक साल में क़रीब 3.5 लाख खर्च करती है। हड़ताल पर गए एफटीआईआई के स्टूडेंट्स मांग कर रहे हैं कि गजेन्द्र चौहान को इंस्टीट्यूट के चैयरमैन पद से हटाया जाए। हाल ही में एफटीआईआई के स्टूडेंट्स और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात भी कर चुके हैं।
दरअसल, कैबिनेट सेक्रेटरी पी.के सिन्हा की अध्यक्षता में 25 जून को हुई मीटिंग में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने FTII को कॉमन यूनिवर्सिटीज एक्ट में शामिल करने के बारे में पूछा था। मंत्रालय के इस कदम से न सिर्फ इंस्टीट्यूट को स्वायत्तता दी जाएगी, बल्कि इसे डिग्री देने की अनुमति भी मिल जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ''हम एचआरडी मिनिस्ट्री से बात कर रहे हैं। साल के अंत तक हम संसद में ये बिल लायेंगे।''
आंकड़े के मुताबिक, एफटीआईआई छात्र पर सरकार एक साल में 12 लाख खर्च करती है। वहीं, एक आईआईटी छात्र पर सरकार एक साल में क़रीब 3.5 लाख खर्च करती है। हड़ताल पर गए एफटीआईआई के स्टूडेंट्स मांग कर रहे हैं कि गजेन्द्र चौहान को इंस्टीट्यूट के चैयरमैन पद से हटाया जाए। हाल ही में एफटीआईआई के स्टूडेंट्स और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात भी कर चुके हैं।
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