अटारी:
पाकिस्तान की जेल में पिछले 27 सालों से बंद भारतीय नागरिक गोपाल दास गुरुवार को रिहा होने के बाद दोपहर तक अपने घर लौट आए। उन्हें 1984 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तानी अधिकारियों ने गुरुवार सुबह गोपाल दास (50) को जेल से रिहा किया और उन्हें बाघा बॉर्डर पर भारतीय अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया गया। यहां उनके परिजन उन्हें लेने पहुंचे थे, जिनके साथ वह दोपहर तक अमृतसर में अपने घर पहुंच गए। भारत पहुंचने पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने सरकार की यह कहते हुए आलोचना की कि पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीय कैदियों को रिहा करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे। जासूसी के आरोप में 1984 में गिरफ्तारी के बाद से वह लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद थे। उन्हें इस साल के अंत में रिहा किया जाना था, लेकिन 27 मार्च को पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने दास की सजा माफ करते हुए मानवीय आधार पर उन्हें रिहा करने की घोषणा की थी। यह घोषणा 30 मार्च को मोहाली में क्रिकेट विश्व कप का सेमीफाइनल मुकाबला देखने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री युसुफ रजा गिलानी के यहां पहुंचने से तीन दिन पहले हुई थी। गिलानी भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आमंत्रण पर यहां पहुंचे थे।
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