
देश के लोग हाल के दिनों में भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं. ऐसे में लोगों को अब मॉनसून (Monsoon 2025) का बेसब्री से इंतजार है. दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR Weather) और देश के कुछ अन्य इलाकों में मंगलवार को बारिश और मौसम में आए बदलाव और ठंडी हवाओं ने लोगों की मॉनसून को लेकर बेसब्री को और बढ़ा दिया है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) ने जानकारी दी है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून मंगलवार को बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी भाग, अंडमान सागर के दक्षिणी भाग, निकोबार द्वीप समूह और अंडमान सागर के उत्तरी भाग के कुछ क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है. साथ ही मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि मॉनसून इस बार वक्त से पहले दस्तक देने जा रहा है.

मौसम विभाग ने कहा कि पिछले दो दिनों में निकोबार द्वीपसमूह में मध्यम से भारी वर्षा हुई. इस दौरान बंगाल की खाड़ी के दक्षिण, निकोबार द्वीप समूह और अंडमान सागर के ऊपर पछुआ हवाओं का प्रभाव काफी बढ़ा है. समुद्र तल से 1.5 किलोमीटर ऊपर हवा की गति 20 समुद्री मील से अधिक हो गई है और कुछ क्षेत्रों में यह 4.5 किलोमीटर तक बढ़ गई है.
About Advance of Southwest 2025 on 13th May 2025:
— India Meteorological Department (@Indiametdept) May 13, 2025
1) Widespread moderate rainfall with heavy rainfall at a few places occurred over the Nicobar Islands during past 24 hours. Thus, the widespread rainfall with isolated/scattered heavy rainfall continued over the Nicobar Islands… pic.twitter.com/JyabwSPGIc
मॉनसून के लिए अनुकूल हैं स्थितियां
आईएमडी ने बताया कि ‘आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन' भी इस क्षेत्र में कम हुआ है, इसे बादल छाए रहने का सूचक माना जाता है. यह पृथ्वी से अंतरिक्ष में निकलने वाली विकिरण ऊर्जा का एक माप है, विशेष रूप से लंबी तरंग दैर्ध्य (जैसे कि इंफ्रारेड) पर. यह पृथ्वी की सतह और वायुमंडल द्वारा उत्सर्जित होती है. इसे उत्सर्जित स्थलीय विकिरण भी कहा जाता है. मौसम विभाग ने कहा कि ये स्थितियां इस क्षेत्र में मॉनसून के आगमन के लिए काफी अनुकूल होती हैं.

मौसम विभाग ने कहा कि अगले तीन से चार दिनों में दक्षिण अरब सागर, मालदीव और कोमोरिन क्षेत्र के अधिकतर भाग, दक्षिण बंगाल की खाड़ी के अधिकतर क्षेत्रों, पूरे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अंडमान सागर के शेष भागों और मध्य बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं.

27 मई तक केरल पहुंच सकता है मॉनसून
आम तौर पर दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून एक जून तक केरल में दस्तक देता है और 8 जुलाई तक पूरे देश पर छा जाता है. इसके करीब ढाई महीने बाद यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू होता है और अक्टूबर मध्य तक तक पूरी तरह से वापस चला जाता है. हालांकि इस बार मॉनसून के 27 मई तक ही केरल पहुंचने की संभावना जताई जा रही है.
आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, यदि मॉनसून उम्मीद के अनुसार केरल पहुंचता है तो यह 2009 के बाद भारतीय मुख्य भूमि पर सबसे जल्द होगा. 2009 में यह 23 मई को ही केरल पहुंच गया था.

सामान्य से ज्यादा बारिश का अनुमान: IMD
अप्रैल में IMD ने 2025 के मानसून सीजन में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान जताया था और जिसमें अल नीनो की स्थिति की संभावना को खारिज कर दिया था. अलनीनो को भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम बारिश से जोड़कर देखा जाता है.
भारत के कृषि क्षेत्र के लिए मॉनसून बेहद महत्वपूर्ण है. यह करीब 42 फीसदी आबादी की आजीविका इसी पर टिकी है, वहीं यह देश की जीडीपी में करीब 18 प्रतिशत का योगदान देता है. यह देश भर में पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी जरूरी है.
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