हैदराबाद:
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर का कहना है कि अपने सबसे भारी रॉकेट के सफल प्रक्षेपण के बाद अब इसरो को इंसान को अंतरिक्ष में भेजने के अभियान पर, 'सेमी क्रायोजेनिक ईंजन' के अधिक विकास पर और पुन: प्राप्त एवं प्रयोग की जा सकने वाली प्रक्षेपण प्रणाली पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
नायर ने कहा, ''जीएसएलवी मार्क 3 के कुछ प्रक्षेपण किए जाने चाहिए ताकि हम अपनी विश्वसनीयता साबित कर सकें और इसके साथ-साथ ही हमारे इंसानी मिशन (अंतरिक्ष में इंसान को भेजने) के कार्यक्रम की शुरुआत कर सकें और फिर निश्चित तौर पर सेमी-क्रायोजेनिक परियोजना पर काम कर सकें.''
नायर ने कहा, ''यदि आप पर्यावरण के अनुकूल रॉकेट चाहते हैं, भविष्य के लिए ज्यादा दक्ष रॉकेट प्रणाली चाहते हैं तो इस लिहाज से सेमी-क्रायोजेनिक बेहद अहम है.'' उन्होंने कहा, ''आने वाले दिनों में सेमी क्रायोजेनिक ईंजन को कुछ बूस्टरों की जगह ले लेनी चाहिए.'' इसरो के अधिकारियों के अनुसार, अंतरिक्ष एजेंसी हाल के वर्षों में इंसानों की अंतरिक्ष उड़ान के अभियान के लिए कुछ बेहद अहम प्रौद्योगिकियों पर काम करती रही है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
नायर ने कहा, ''जीएसएलवी मार्क 3 के कुछ प्रक्षेपण किए जाने चाहिए ताकि हम अपनी विश्वसनीयता साबित कर सकें और इसके साथ-साथ ही हमारे इंसानी मिशन (अंतरिक्ष में इंसान को भेजने) के कार्यक्रम की शुरुआत कर सकें और फिर निश्चित तौर पर सेमी-क्रायोजेनिक परियोजना पर काम कर सकें.''
नायर ने कहा, ''यदि आप पर्यावरण के अनुकूल रॉकेट चाहते हैं, भविष्य के लिए ज्यादा दक्ष रॉकेट प्रणाली चाहते हैं तो इस लिहाज से सेमी-क्रायोजेनिक बेहद अहम है.'' उन्होंने कहा, ''आने वाले दिनों में सेमी क्रायोजेनिक ईंजन को कुछ बूस्टरों की जगह ले लेनी चाहिए.'' इसरो के अधिकारियों के अनुसार, अंतरिक्ष एजेंसी हाल के वर्षों में इंसानों की अंतरिक्ष उड़ान के अभियान के लिए कुछ बेहद अहम प्रौद्योगिकियों पर काम करती रही है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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