दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना का निधन
नई दिल्ली:
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना का जन्म 15 अक्टूबर 1936 में पाकिस्तान के लैयलपुर जिसे अब फैसलाबाद के नाम से जाना जाता है में हुआ था. वह महज 12 वर्ष के थे जब बंटवारे की वजह से उनके परिवार को दिल्ली आना पड़ा. दिल्ली आने के बाद मदनलाल खुराना के परिवार को कुछ दिनों तक कीर्ति नगर के पास एक शरणार्थी शिविर में रहना पड़ा. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने दिल्ली विश्वविद्याल के किरोड़ी मल कॉलेज से बैचलर की डिग्री ली थी. वह 1959 में पहली बार छात्र राजनीति में सक्रिय हुए और उन्हें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का जनरल सेक्रेटरी चुना गया. इसके बाद वह 1960 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जनरल सेक्रेटरी चुने गए. राजनीति में प्रवेश करने से पहले मदन लाख खुराना दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज में बतौर शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे थे.
मदन लाल खुराना ने विजय कुमार मल्होत्रा व अन्य के साथ मिलकर दिल्ली में जनसंघ के केंद्र की स्थापना की थी. जिसे आगे चलकर बीजेपी के रूप में जाना गया. पार्टी के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने और कर्मठता की वजह से मदनलाल खुराना को दिल्ली का शेर भी कहा जाता था. मदनलाल खुराना 1993 में दिल्ली के मुख्यमंत्री बने और 1996 में इस्तीफा देने तक इस पद पर रहे. मदनलाल खुराना अपने राजनीतिक करियर के ऊंचाई पर रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे. इसके अलावा उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल के रूप में अभी अपनी सेवाएं दी.
वह 14 जनवरी से 28 अक्टूबर 2004 तक राजस्थान के राज्यपाल रहे. इसके बाद उन्होंने एक बार फिर राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए इस पद से इस्तीफा दे दिया थआ. 20 अगस्त 2005 को उन्हें तत्कालीन बीजेपी के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी की आलोचना के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए पार्टी से निकाल दिया था. हालांकि 12 सितंबर 2005 को मदनलाल खुराना द्वारा माफी मांगने के बाद उन्हें बीजेपी में दोबारा शामिल भी कर लिया गया था. इसके बाद उन्हें एक बार फिर पार्टी विरोधी बयानों की वजह से 19 मार्च 2006 में निष्कासित कर दिया गया था. वर्ष 1991 में हवाला कांड में भी बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ मदनलाल खुराना का नाम भी आया था.
मदन लाल खुराना ने विजय कुमार मल्होत्रा व अन्य के साथ मिलकर दिल्ली में जनसंघ के केंद्र की स्थापना की थी. जिसे आगे चलकर बीजेपी के रूप में जाना गया. पार्टी के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने और कर्मठता की वजह से मदनलाल खुराना को दिल्ली का शेर भी कहा जाता था. मदनलाल खुराना 1993 में दिल्ली के मुख्यमंत्री बने और 1996 में इस्तीफा देने तक इस पद पर रहे. मदनलाल खुराना अपने राजनीतिक करियर के ऊंचाई पर रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे. इसके अलावा उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल के रूप में अभी अपनी सेवाएं दी.
वह 14 जनवरी से 28 अक्टूबर 2004 तक राजस्थान के राज्यपाल रहे. इसके बाद उन्होंने एक बार फिर राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए इस पद से इस्तीफा दे दिया थआ. 20 अगस्त 2005 को उन्हें तत्कालीन बीजेपी के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी की आलोचना के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए पार्टी से निकाल दिया था. हालांकि 12 सितंबर 2005 को मदनलाल खुराना द्वारा माफी मांगने के बाद उन्हें बीजेपी में दोबारा शामिल भी कर लिया गया था. इसके बाद उन्हें एक बार फिर पार्टी विरोधी बयानों की वजह से 19 मार्च 2006 में निष्कासित कर दिया गया था. वर्ष 1991 में हवाला कांड में भी बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ मदनलाल खुराना का नाम भी आया था.
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