बिहार में सत्ताधारी जद(यू) से निष्कासित प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर संकेत कर दिये गये '' पिछलग्गू '' वाले अपने बयान पर बुधवार को सफाई देते हुए कहा कि जिस प्रकार जद(यू) प्रमुख ने राज्य को कोई लाभ दिलवाये बिना केवल सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा के समक्ष जिस तरह ‘आत्मसमर्पण' किया है, उससे वह परेशान हैं. अतीत में भाजपा के साथ काम करने के बावजूद भाजपा को नाथूराम गोडसे से जोड़े जाने के कारण आलोचनाओं के निशाने पर आये प्रशांत ने कहा कि मुख्यधारा के किसी राजनीतिक संगठन द्वारा महात्मा गांधी के हत्यारे की सार्वजनिक प्रशंसा किये जाने का एक हालिया चलन पिछले छह से आठ महीने में देखने को मिला है.
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नीतीश और उनकी सरकार की ओर इशारा करते हुए प्रशांत ने कहा कि वे ‘‘ एक तरफ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा बताए गए सात पापों से संबंधित शिलापट प्रदेश में लगवा रहे हैं तो दूसरी तरफ ऐसे लोगों के साथ खड़े हैं जो बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे जिंदाबाद कह रहे हैं. दोनों एक साथ नहीं चल सकता. उसमें से एक जो अच्छा लगे, चुन लें.'' बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने नीतीश की आलोचना करने पर मंगलवार को प्रशांत किशोर पर बरसते हुए कहा था ''अजीब पाखंड है कि कोई किसी को पितातुल्य बताये और पिता के लिए 'पिछलग्गू' जैसा घटिया शब्द चुने''.
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प्रशांत किशोर ने सुशील की टिप्पणी का जवाब देने से बुधवार को इंकार कर दिया. किंतु उन्होंने कहा, ‘‘पिछले पांच—छह साल जब मैं और नीतीश जी साथ रहे. हमारा संबंध विशुद्ध रूप से राजनीतिक संबंध नहीं था ...मैं उनको कई मायने में पितातुल्य ही मानता हूं .'' राजनीतिक रणनीतिकार ने ‘‘पिछलग्गू'' वाली अपनी टिप्पणी पर सफाई देते हुए कहा,‘‘किसी के साथ गठबंधन के तहत सरकार चलाना अलग बात है पर किसी के सामने आत्मसमर्पण कर उसके मातहत हो जाना दूसरी बात है . '' जद(यू) से निकाले गये नेता कहा, ‘‘बिहार का जो मुख्यमंत्री है, वह कोई मैनेजर का पद नहीं है . ...वह ऐसा पद नहीं है कि किसी पार्टी का नेता इंगित कर दे कि ये आदमी बिहार के मुख्यमंत्री होंगे .'' उन्होंने कहा, ‘‘अगर नीतीश जी भाजपा के पिछलग्गू बनकर काम कर रहे हैं और उसकी वजह से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और नरेंद्र मोदी जी ने डेढ लाख करोड़ रूपये के विशेष की जो घोषणा की है, का एक हिस्सा भी मिल जाता है तो मान लेते हैं .
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लेकिन अगर आप पिछलग्गू दिल्ली विधानसभा चुनाव में दो सीट, जिसे आप जीत नहीं सके, पाने के लिए बने रहे तो इससे किसी का फायदा नहीं है.'' भाजपा के साथ पूर्व में काम करने के बावजूद पार्टी पर गोडसे की बात करने का आरोप लगाये जाने के बारे में पूछने पर प्रशांत ने कहा कि देश में ‘‘किसी भी मुख्यधारा की पार्टी ने गोडसे के कुकृत्य को न्यायोचित ठहराने. उसे बेहतर बताने, किसी तौर पर सम्मानित करने या जिंदाबाद कहने की बात देश में पहले नहीं देखी गयी . यह पिछले छह आठ मीहने में सुनने को आ रही है .'' उन्होंने कहा, इसलिए यह सवाल उठ रहा है.. किसी दल का चुना हुआ सांसद लोकसभा में गोडसे की तारीफ कर दे और आप (जदयू)उसी के साथ बैठे हैं . इतनी भी आपकी हिम्मत नहीं कि उसकी निंदा करें .'' उन्होंने लोकसभा में भोपाल सांसद से जुड़ी एक घटना का परोक्ष संकेत करते हुए यह बात कही.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं