पिछले साल भी सेना ने एक्सकैलिबर नाम की इस स्वदेशी राइफल को रिजेक्ट कर दिया था.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान को करारा झटका लगा है. भारतीय सेना ने लगातार दूसरी साल स्वदेशी असॉल्ट राइफल एक्स-कैलिबर को रिजेक्ट कर दिया है. इस राइफल का इस्तेमाल एके-47 और इंसास की जगह किया जाना था जो कि फिलहाल भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मुख्य हथियार हैं. NDTV को मिली जानकारी के मुताबिक सरकार के ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड द्वारा निर्मित राइफल का पिछले सप्ताह परीक्षण किया गया था लेकिन यह परीक्षण में फेल रही. इसमें कई खामियां मिलीं.
सेना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, एक्स-कैलिबर फायरिंग के बाद ज्यादा तेजी से झटका देती है. इतना ही नहीं, अत्यधिक चमक और तेज ध्वनि की भी समस्या है जिससे उसे लड़ाई में इस्तेमाल के लिए मुफीद नहीं पाया गया है.
सूत्रों के मुताबिक, राइफल की लोडिंग को आसान बनाने के लिए मैगजीन को फिर से डिजाइन किए जाने की जरूरत है. राइफल में कई सुरक्षा खामियां हैं. कई खामियों और फायरिंग में रुकावट (परीक्षण के दौरान) 20 से भी अधिक बार देखी गई जो कि मानक है.
पिछले साल भी सेना ने एक्स-कैलिबर नाम की इस स्वदेशी राइफल को रिजेक्ट कर दिया था. सूत्रों के मुताबिक, 5.56 एमएम की एक्स-कैलिबर सेना के फायरपावर आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती. सूत्रों का यह भी कहना है कि "एक्स-कैलिबर को फिलहाल इस्तेमाल की जा रही 5.56 एमएम की इंसास राइफल का संभावित विकल्प माना जा रहा है लेकिन परीक्षण के दौरान कई खमियां मिलने से इंतजार और बढ़ गया है."
स्वदेशी राइफल के फेल हो जाने की स्थिति में भारतीय सेना को अब अंतरराष्ट्रीय हथियार निर्माता कंपनियों की ओर रुख करना होगा. बोली के निविदा बुलाई जाएगी. निविदा जीतने वाली कंपनी को बड़ी संख्या में असॉल्ट राइफल के निर्माण के लिए भारतीय कंपनियों से संपर्क करना होगा. हालांकि यह बहुत लंबी प्रक्रिया है जिसमें कई वर्षों का समय लग सकता है.
भारतीय सेना फिलहाल एके 47 और इंसास राइफल का इस्तेमाल कर रही है जिसे 1988 में सेना में शामिल किया गया था. बॉर्डर पर दुश्मनों से निपटने के उच्च मारक क्षमता वाली एक्स कैलिबर को इस साल सेना में शामिल किया जाना था. वैसे भारतीय सेना 70 फीसदी हथियार आयात करती है. हालांकि मोदी सरकार ने सेना के आधुनिकीकरण पर अगले एक दशक में लगभग 250 अरब डॉलर खर्च करने का लक्ष्य तय किया है.
सेना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, एक्स-कैलिबर फायरिंग के बाद ज्यादा तेजी से झटका देती है. इतना ही नहीं, अत्यधिक चमक और तेज ध्वनि की भी समस्या है जिससे उसे लड़ाई में इस्तेमाल के लिए मुफीद नहीं पाया गया है.
सूत्रों के मुताबिक, राइफल की लोडिंग को आसान बनाने के लिए मैगजीन को फिर से डिजाइन किए जाने की जरूरत है. राइफल में कई सुरक्षा खामियां हैं. कई खामियों और फायरिंग में रुकावट (परीक्षण के दौरान) 20 से भी अधिक बार देखी गई जो कि मानक है.
पिछले साल भी सेना ने एक्स-कैलिबर नाम की इस स्वदेशी राइफल को रिजेक्ट कर दिया था. सूत्रों के मुताबिक, 5.56 एमएम की एक्स-कैलिबर सेना के फायरपावर आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती. सूत्रों का यह भी कहना है कि "एक्स-कैलिबर को फिलहाल इस्तेमाल की जा रही 5.56 एमएम की इंसास राइफल का संभावित विकल्प माना जा रहा है लेकिन परीक्षण के दौरान कई खमियां मिलने से इंतजार और बढ़ गया है."
स्वदेशी राइफल के फेल हो जाने की स्थिति में भारतीय सेना को अब अंतरराष्ट्रीय हथियार निर्माता कंपनियों की ओर रुख करना होगा. बोली के निविदा बुलाई जाएगी. निविदा जीतने वाली कंपनी को बड़ी संख्या में असॉल्ट राइफल के निर्माण के लिए भारतीय कंपनियों से संपर्क करना होगा. हालांकि यह बहुत लंबी प्रक्रिया है जिसमें कई वर्षों का समय लग सकता है.
भारतीय सेना फिलहाल एके 47 और इंसास राइफल का इस्तेमाल कर रही है जिसे 1988 में सेना में शामिल किया गया था. बॉर्डर पर दुश्मनों से निपटने के उच्च मारक क्षमता वाली एक्स कैलिबर को इस साल सेना में शामिल किया जाना था. वैसे भारतीय सेना 70 फीसदी हथियार आयात करती है. हालांकि मोदी सरकार ने सेना के आधुनिकीकरण पर अगले एक दशक में लगभग 250 अरब डॉलर खर्च करने का लक्ष्य तय किया है.
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