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This Article is From Jul 24, 2013

खाद्य सुरक्षा बिल पर कमलनाथ का मुलायम के समर्थन का दावा

खाद्य सुरक्षा बिल पर कमलनाथ का मुलायम के समर्थन का दावा
नई दिल्ली: संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने उम्मीद जताई है कि मॉनसून सत्र में सरकार खाद्य सुरक्षा बिल पास करा लेगी। एनडीटीवी इंडिया से खास बातचीत में कमलनाथ ने यह दावा किया कि उन्हें इस मसले पर समाजवादी पार्टी का समर्थन हासिल है। यही नहीं राज्यसभा में भी उन्होंने समर्थन हासिल करने की उम्मीद जताई है। कई मसलों पर हुई इस बातचीत में कमलनाथ ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर भी चिंता जताई कि जेल में बंद नेता चुनाव नहीं लड़ सकते।
उनसे यह बात की एनडीटीवी के पॉलीटिकल एडिटर मनोरंजन भारती ने...

संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने वाला है। अब तक कोई कामकाज नहीं हो पाया है। आपको लगता है इस सत्र में कुछ हो पाएगा

मुझे पूरा विश्वास है कि संसद के इस सत्र में पूरा काम होगा। सभी राजनीतिक दल ये चाहते हैं। हमें ये याद रखना है कि संसद कांग्रेस पार्टी की नहीं है, सरकार की नहीं है, संसद सभी राजनीतिक दलों की है, सभी सांसदों की है और इसका वे जितना उपयोग करेंगे वह उनके हित में होगा। और ऐसी कोई बात नहीं है जिस पर चर्चा या बहस नहीं हो सकती। यह बात उनको समझने की आवश्यकता है। और मुझे पूरा विश्वास है कि इस सत्र में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सही चलेंगी।

विपक्ष कहता है कि संसद चलाना सरकार का काम है। और इसी रवैये की वजह से पिछले दो सत्रों में कोई कामकाज नहीं हुआ

देखिये यह कहना बहानेबाजी है कि यह सरकार का काम है। जब तक सब मिलकर सब सांसद मिलकर सभी राजनीतिक दल मिलकर न चलाना चाहें संसद तो कैसे चलेगी। राजनीतिक दल और उनके नेता संसद के बाहर बहुत बात करेंगे जहां सरकार जवाब भी नहीं देती। मुझे यह समझ में नहीं आता कि वे संसद में बात क्यों नहीं करते ताकि सरकार उठ कर उनको जवाब दे।

क्या आपको नहीं लगता कि जो खाना खिलाने वाला− खाद्य सुरक्षा बिल− आप लाने वाले हैं उसे विपक्ष आपको पास करने नहीं देगा

मुझे पूरा विश्वास है कि यह बिल पास होगा क्योंकि इसका लाभ लगभग 70 फीसदी लोगों को होना है। यह एक ऐतिहासिक कानून बनने जा रहा है जिसमें सबको पूरा गल्ला पाने का कानूनी हक होगा। इसलिए मुझे विश्वास नहीं है कि कोई दल इसका विरोध करेगा।

अगर मैं विपक्ष में रहूंगा तो आपको ऐसा बिल क्यों लाने दूंगा जिससे आगे चल कर आपको फायदा हो

देखिए प्रश्न राजनीति का नहीं है। प्रश्न ये है कि ये किसके हित में है। आज संसद और हर सांसद का कर्तव्य बनता है कि वह देश के हित में कानून बनाए। तो कोई भी राजनीतिक दल हो कोई भी सरकार हो अगर वह इसमें राजनीति करना चाहे तो देश की जनता यह समझ जाएगी कि वह राजनीति कर रही है। जनता का हित नहीं देख रही।

बीजेपी अपने राज्यों में उसी तरह का कानून बना कर लोगों को अनाज दे रही है, लेकिन केंद्र में आपका विरोध कर रही है।

यही तो राजनीति है पर मुझे भरोसा है कि अंत में वह अपना सुझाव देंगे। वे कह सकते हैं कि और भी अच्छा होना चाहिए। ठीक है, जब एकबार लागू हो जाता है फिर जरूरी सुधार भी करेंगे।

राज्यसभा में क्या होगा इस बिल का
बिलकुल पास होगा

मुलायम सिंह साहब से बातचीत हो गई है

मेरी सबसे बातचीत हुई है और हो रही है जो उनकी शंकाएं थी मैं उनपर चर्चा कर रहा हूं। मुझे भरोसा है जब वे इसे समझ लेंगे तो वह भी इसका समर्थन करेंगे। सीबीआई के बारे में कहा जा रहा है कि सरकार इसके जरिये मुलायम सिंह को खुश कर रही है। सीबीआई का बहाना है। जब सूट करता हैं तो कहते हैं कि सीबीआई को ऐसा कहो, जब सूट नहीं करता तो कहते हैं कि सीबीआई ये कर रही है। सीबीआई और इससे कोई मतलब नहीं है।

जब भी संसद चलती है तो लगता है सरकार अब गिरेगी अब, चुनाव होंगे, क्या इस बार इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि  आपके पास जेडीयू का एक बफर भी है

हमें कोई चिंता नहीं है। कोई बफर की बात नहीं है। मैं पिछले आठ महीने से कह रहा हूं कि चुनाव सही समय पर होंगे, जब होने हैं, कोई चुनाव जल्दी नहीं होने वाले।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आप चुनाव नहीं लड़ सकते यदि आप जेल में हैं इस पर आप क्या कहेंगे।

ये बात एक तरह से सही है कि जो अपराधीकरण हो रहा है और राजनीतिक को अपराध से जोड़ा जा रहा है इसकी हम निंदा करते हैं, पर ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि राजनीतिक तनाव के कारण कोई ऐसा मुकदमा लगा दे, कोई छोटे कोर्ट से उसका फैसला ले आए और किसी का पूरा राजनीतिक जीवन समाप्त हो जाए। ये संतुलित होना चाहिए ताकि किसी का राजनीतिक भविष्य खराब ना हो।

बीजेपी ने जिस ढंग से मोदी को आगे किया है, आपको लगता है कि आपके पास कोई रणनीति है, क्योंकि आप इतने साल से राजनीतिक जीवन में हैं, गुजरात के प्रभारी भी रहे हैं। दंगों के बाद

मुझे पूरा भरोसा है कि हमारे देश की जनता ये सब समझती है आज हमारे देश की संस्कृति जोड़ने की है। भारत की पहचान उसकी संस्कृति और भाईचारे से है। जो भी इस संस्कृति के विपरीत काम करेगा, देश की जनता उसे कभी स्वीकार नहीं करेगी।

आपके सहयोगी दिग्विजय सिंह, शकील अहमद इन सबके जो बयान आ रहे हैं, क्या ये सही रणनीति है मोदी से लड़ने की।

देखिए मोदी से लड़ने की यह सैद्धांतिक बात है, अंत में बात हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति की है, हमारे सामने यही प्रश्न है। मोदी तो एक चेहरा हैं, क्या उसमें हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता फिट बैठती है, सवाल ये है।

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