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This Article is From May 18, 2015

उपराज्यपाल नजीब से छिड़ी जंग पर कल राष्ट्रपति से मिलेंगे केजरीवाल

उपराज्यपाल नजीब से छिड़ी जंग पर कल राष्ट्रपति से मिलेंगे केजरीवाल
नई दिल्ली: दिल्ली में कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है। अब उपराज्यपाल नजीब जंग ने राजिंदर कुमार की नियुक्ति ख़ारिज कर दी है, जिन्हें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नियुक्त किया था।

इससे पहले शनिवार को, कार्यवाहक मुख्य सचिव के रूप में शकुंतला गैमलिन की नियुक्ति को लेकर उपराज्यपाल के साथ अपने विवाद के बाद मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति से मुलाकात का समय मांगा था।

सूत्रों ने बताया कि केजरीवाल राष्ट्रपति के साथ अपनी इस मुलाकात के दौरान नौकरशाहों के ट्रांसफर और पोस्टिंग सहित चुनी हुई सरकार की राय को नजरअंदाज कर उपराज्यपाल द्वारा लिए गए सभी 'एकतरफा फैसलों' को सामने रखेंगे। सूत्रों ने बताया कि केजरीवाल उपराज्यपाल के कार्यालय की भूमिका और क्षेत्राधिकार पर भी चर्चा करेंगे।

इससे पहले एलजी ने अनिंदो मजूमदार को नियुक्त किया था, लेकिन केजरीवाल ने उन्हें हटा दिया था। दिल्ली सरकार नियमों का हवाला देते हुए यह कह रही है कि एलजी दिल्ली में बिना उनके सलाह के कोई नियुक्ति नहीं कर सकते। अब अरविंद केजरीवाल इस मामले में मंगलवार को राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे।

इससे पहले आज सुबह जब मजूमदार अपने कार्यालय पहुंच तो उन्हें वहां ताला लगा मिला और वह बाहर दूसरे कमरे से अपना काम करने लगे हैं। सरकार के सूत्रों ने बताया कि कार्यालय पर ताला लगाने का आदेश मुख्यमंत्री के कार्यालय से आया है। बता दें कि दिल्ली सचिवालय की सातवीं मंजिल पर मजूमदार का कार्यालय है।

मजूमदार का केजरीवाल ने शनिवार को तबादला दूसरे विभाग में कर दिया था, क्योंकि उन्होंने जंग के निर्देश पर गैमलिन को नियुक्ति पत्र जारी किया था। उपराज्यपाल ने उसी शाम मजूमदार के तबादले को 'अवैध' करार दिया और कहा कि इस फैसले पर उनकी मंजूरी नहीं है।

केजरीवाल को भेजे अपने पत्र में जंग ने कहा कि उन्होंने कुमार की नियुक्ति को नामंजूर कर दिया है, क्योंकि यह निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं के खिलाफ है।

कुमार की नियुक्ति पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जंग ने केजरीवाल को एक पत्र लिख मारा, जिसमें मजूमदार के स्थान पर उनकी नियुक्ति को 'अवैध' ठहराया गया और साथ ही साफ तौर पर कहा गया कि वरिष्ठ नौकरशाहों के तबादले और नियुक्ति पर आखिरी फैसला लेने का हक उनके पास है।

यह पत्र जैसे ही मीडिया में पहुंचा उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया, 'हैरानी है कि एक संवैधानिक अधिकरण मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र उन तक पहुंचने से पहले ही लीक कर रहा है। क्या भारत के संविधान में इसकी इजाजत है।' (एजेंसी इनपुट के साथ)

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