किसान एक बार फिर दिल्ली कूच कर रहे हैं. हालांकि, किसानों के दिल्ली कूच से ठीक पहले सूत्रों के हवाले से खबर आई की, मोदी सरकार ने अपने 10 वर्षों के शासनकाल के दौरान कई किसान-समर्थक कदम उठाए हैं. जिनमें कृषि के लिए बजट आवंटन में बढ़ोतरी, पीएम-किसान योजना के तहत सहायता और किसान क्रेडिट कार्ड प्रणाली मुख्य रूप से शामिल है. सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2013-14 की तुलना में 2023-24 में किसानों के लिए बजट आवंटन 5.26 गुना बढ़ाया गया है. एक सूत्र ने बताया कि पिछले एक दशक में सरकार ने बजट में प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने पर जोर दिया है, ताकि किसानों को व्यापक लाभ मिल सके.
सूत्रों के अनुसार सरकार दिसंबर 2018 से किसानों के बैंक खाते में सालाना 6,000 रुपये ट्रांसफर कर रही है. और अभी तक 11 करोड़ से अधिक किसानों को 2.81 लाख करोड़ रुपये की राशि नकद में दी गई है.
बता दें कि किसानों और केंद्र के बीच बातचीत विफल होने के पीछे प्रमुख कारणों में से एक इस बात पर असहमति है कि एमएसपी के किस फॉर्मूले का पालन किया जाए. किसानों का कहना है कि एमएसपी प्रदान करने की सरकार की शर्तें केवल आजीविका प्रदान करेंगी, आय नहीं. सूत्रों ने कहा कि सरकार ने 2018-19 से अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न के साथ अनिवार्य खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि की है.
सरकार ने बढ़ाई है अपनी खरीद
बीते कुछ सालों में किसानों से सरकारी खरीद भी बढ़ी है. वर्ष 2021-22 के दौरान पीएसएस (मूल्य समर्थन योजना) के तहत खरीद, ₹ 17,478.31 करोड़ के एमएसपी मूल्य वाले 31,82,591.64 मीट्रिक टन दालों, तिलहन और खोपरा की मात्रा से 14,68,699 किसानों को लाभ हुआ. 2022-23 सीज़न के दौरान एक मात्रा 22,728.23 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य वाली 40,02,057.73 मीट्रिक टन दालें, तिलहन और खोपरा की खरीद से 17,27,663 किसानों को लाभ हुआ है.
उत्पादन में रिसर्च को बढ़ाने पर जोर
सूत्रों के अनुसार किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत सरकार ने 2023-24 में किसानों के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का ऋण परिव्यय (क्रेडिट आउटले) निर्धारित किया है. उन्होंने कहा कि योजना का लाभ पशुपालन और मत्स्य पालन करने वाले किसानों को भी दिया गया है ताकि वे अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा कर सकें. सरकारी सूत्रों ने यह भी सूचीबद्ध करके बाजरा उत्पादन पर सरकार के जोर को रेखांकित किया है. सूत्रों के अनुसार सरकार ने बाजरा की खपत के लाभों को प्रदर्शित करने और इसके उत्पादन में रिसर्च को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग किया है.
दिल्ली-एनसीआर से प्रदूषण को कम करने पर भी रहा फोकस
सूत्रों के अनुसार दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र के कदमों को भी सामने रखा गया है. पराली जलाने के कारण होने वाले वायु प्रदूषण से निपटने के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और एनसीटी दिल्ली सरकार के प्रयासों का समर्थन करने के लिए, 2018- 19 से 2022-23 तक की अवधि के दौरान इन राज्यों को 3138.56 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है. पराली से होने वाले प्रदूषण कम करने के लिए मशीनों के इस्तेमाल को भी बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है.
सरकार के सूत्रों ने बताया कि कैसे केंद्र ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा का विस्तार किया है. अपनी बात को मजबूती से रखने के लिए उन्होंने जोर देकर कहा कि कैसे खाद्यान्न उत्पादन 2013-14 में 265.05 मिलियन टन से बढ़कर 2022-23 में 329.69 मिलियन टन हो गया. ये अब तक का सबसे अधिक है. किसानों की उपज को खराब होने से बचाने के लिए किसान रेल की भी शुरुआत की गई है. ताकि फसल के खराब होने से पहले ही उन्हें सही जगह पर पहुंचाया जा सके.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं