अरुण जेटली फाइल फोटो
नई दिल्ली:
देश में असहिष्णुता की बढ़ती घटनाओं के मुद्दे पर केन्द्र सरकार ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को लोगों को शांत रहते हुए संयम बनाए रखने का आ्ग्रह किया है। उन्होंने लोगों से कहा है- आपस में बातचीत करो, गुंडागर्दी नहीं ।
दिल्ली में एक मीडिया कांफ्रेंस में जेटली ने कहा, ' यह महत्वपूर्ण है कि इस तरह की घटनाओं में शामिल हो रहे लोगों की कड़ी आलोचना की जाए। सही समझ वाले वर्ग को इस तरह की गतिविधियों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। ' हाल के समय में गो-कशी और बीफ के मामले को लेकर देश के कई हिस्सों में हिंसा और तनाव की खबरें आई हैं। कॉलमिस्ट सुधींद्र कुलकर्णी और जम्मू-कश्मीर के एक विधायक पर स्याही और पेंट से हमला किया गया, तीन मशहूर बुद्धिजीवियों की हत्या की गई। यही नहीं, 40 से अधिक लेखकों ने इन घटनाओं को लेकर विरोध जताते हुए अपने साहित्य अकादमी अवार्ड वापस कर दिए।
जेटली ने कहा, 'इसमें से कुछ मसले बेहद गंभीर हैं। कुछ समाज के आंतरिक रिश्तों को तो कुछ अन्य जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्र की संवेदनशीलता को व्यक्त करते हैं। ऐसे में इन मसलों पर शांतिपूर्ण और समग्र तरीके से बातचीत और बहस होनी चाहिए। '
भाजपा के दूसरे नेताओं के लिए भी संदेश
वित्त मंत्री के इस बयान को भाजपा के उन नेताओं के लिए भी संदेश के तौर पर भी लिया जा रहा है, जिन्होंने दिल्ली के नजदीक दादरी की घटना को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए थे। सूत्रों के अनुसार, रविवार को भाजपा प्रमुख अमित शाह ने इन नेताओं की खिंचाई करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन बयानों से बेहद नाराज हैं। जेटली ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, 'पार्टी अध्यक्ष ने इसे बेहद सख्ती से लिया है। प्रधानमंत्री ने भी अपने विचारों से अवगत कराया है। इन सभी से बातचीत की गई है। '
विपक्ष के निशाने पर रहे हैं पीएम
दादरी जैसी घटनाओं पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर समूचे विपक्ष ने उन पर निशाना साध रखा था। बाद में पीएम ने 8 अक्टूबर को इस बारे में अपनी बात रखते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बात ध्यान में रखने की अपील की थी। हालांकि पीएम ने दादरी की घटना का जिक्र नहीं किया था, लेकिन उन्होंने राष्ट्रपति के इन शब्दों को अमल में लाने का अनुरोध किया था कि हिंदू और मुस्लिलों को एक-दूसरे से नहीं बल्कि मिल-जुलकर गरीबी से जंग लड़नी चाहिए। इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा है कि प्रधानमंत्री अगर देश में असहनशीलता की बढ़ती घटनाओं पर वाकई गंभीर हैं तो उन्हें अपने नेताओं पर कार्रवाई करनी चाहिए।
दिल्ली में एक मीडिया कांफ्रेंस में जेटली ने कहा, ' यह महत्वपूर्ण है कि इस तरह की घटनाओं में शामिल हो रहे लोगों की कड़ी आलोचना की जाए। सही समझ वाले वर्ग को इस तरह की गतिविधियों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। ' हाल के समय में गो-कशी और बीफ के मामले को लेकर देश के कई हिस्सों में हिंसा और तनाव की खबरें आई हैं। कॉलमिस्ट सुधींद्र कुलकर्णी और जम्मू-कश्मीर के एक विधायक पर स्याही और पेंट से हमला किया गया, तीन मशहूर बुद्धिजीवियों की हत्या की गई। यही नहीं, 40 से अधिक लेखकों ने इन घटनाओं को लेकर विरोध जताते हुए अपने साहित्य अकादमी अवार्ड वापस कर दिए।
जेटली ने कहा, 'इसमें से कुछ मसले बेहद गंभीर हैं। कुछ समाज के आंतरिक रिश्तों को तो कुछ अन्य जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्र की संवेदनशीलता को व्यक्त करते हैं। ऐसे में इन मसलों पर शांतिपूर्ण और समग्र तरीके से बातचीत और बहस होनी चाहिए। '
भाजपा के दूसरे नेताओं के लिए भी संदेश
वित्त मंत्री के इस बयान को भाजपा के उन नेताओं के लिए भी संदेश के तौर पर भी लिया जा रहा है, जिन्होंने दिल्ली के नजदीक दादरी की घटना को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए थे। सूत्रों के अनुसार, रविवार को भाजपा प्रमुख अमित शाह ने इन नेताओं की खिंचाई करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन बयानों से बेहद नाराज हैं। जेटली ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, 'पार्टी अध्यक्ष ने इसे बेहद सख्ती से लिया है। प्रधानमंत्री ने भी अपने विचारों से अवगत कराया है। इन सभी से बातचीत की गई है। '
विपक्ष के निशाने पर रहे हैं पीएम
दादरी जैसी घटनाओं पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर समूचे विपक्ष ने उन पर निशाना साध रखा था। बाद में पीएम ने 8 अक्टूबर को इस बारे में अपनी बात रखते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बात ध्यान में रखने की अपील की थी। हालांकि पीएम ने दादरी की घटना का जिक्र नहीं किया था, लेकिन उन्होंने राष्ट्रपति के इन शब्दों को अमल में लाने का अनुरोध किया था कि हिंदू और मुस्लिलों को एक-दूसरे से नहीं बल्कि मिल-जुलकर गरीबी से जंग लड़नी चाहिए। इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा है कि प्रधानमंत्री अगर देश में असहनशीलता की बढ़ती घटनाओं पर वाकई गंभीर हैं तो उन्हें अपने नेताओं पर कार्रवाई करनी चाहिए।
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