सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साफ किया है कि अगर कोई बॉलीवुड और फिल्म इंडस्ट्री में मेकअप आर्टिस्ट के तौर पर रजिस्टर्ड है तो वह मेकअप, हेयर ड्रेसर या कॉस्टयूम स्टाइलिस्ट का काम भी कर सकता है और इसमें महिला या पुरुष का भेदभाव नहीं हो सकता। कोर्ट ने इस मामले में कहा कि महिला या पुरुष कोई भी इन कैटेगिरी में काम कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दक्षिण भारत की मेकअप आर्टिस्ट यूनियनों जिनमें तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक शामिल हैं, को भी निर्देश दिए हैं कि वे महिलाओं को मेकअप आर्टिस्ट और हेयर ड्रेसर के तौर पर अपनी यूनियन में रजिस्टर्ड करें। साथ ही इन राज्यों के मुख्य सचिव को कहा गया है कि वे ये सुनिश्चित करें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का ये यूनियन ठीक तरह से पालन करें।
गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए बॉलीवुड में 60 साल से चल रही परंपरा को खत्म करते हुए मेकअप आर्टिस्ट एसोसिएशन को आदेश दिया था कि वे महिलाओं को भी बतौर मेकअप आर्टिस्ट या हेयर ड्रेसर के तौर पर रजिस्टर्ड करें। इससे पहले बॉलीवुड में महिलाओं के ये काम करने पर रोक लगाई गई थी।
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट आने वाली दिल्ली की चारू खुराना की तरफ से एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। चारू की वकील ज्योतिका कालरा ने कोर्ट को बताया कि यूनियन अब उनसे रजिस्ट्रेशन के लिए एक लाख रुपये मांग रही हैं जबकि जिस वक्त चारू ने सदस्यता के लिए आवेदन दिया था तब ये फीस 5000 रुपये थी। इसके अलावा उन्हें कहा जा रहा है कि वह सिर्फ मेकअप आर्टिस्ट का काम ही कर सकती हैं।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ये कहना बेकार है कि यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरी तरह लागू नहीं कया है इसलिए एक बार फिर कोर्ट निर्देश दे रहा है कि कोई भी व्यक्ति चाहे वो महिला हो या पुरुष इन श्रेणियों में काम कर सकता है। कोर्ट ने इस ममाले में चारू को फिलहाल अंतरिम फीस के तौर पर यूनियन में 15 हजार रुपये जमा कराने को कहा है। कोर्ट इस मामले की सुनवाई 9 फरवरी को करेगा।
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