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This Article is From Jan 29, 2021

आर्थिक सर्वेक्षण 2021 : भारत 11% की रिकॉर्ड विकास दर के साथ तेज वापसी करेगा

Economic Survey India : सुब्रमण्यन ने  कहा कि हमने बड़ी आर्थिक और मानवीय क्षति को अच्छी नीति के जरिये बचाया. वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी -7.5 फीसदी रह सकती है. लेकिन वित्त वर्ष 2022 में यह 11 फीसदी रह सकती है. नॉमिनल तौर पर यह 15.4 फीसदी रह सकती है.

आर्थिक सर्वेक्षण 2021 : भारत 11% की रिकॉर्ड  विकास दर के साथ तेज वापसी करेगा
Economic Survey India 2021 : सीईए ने कहा, लॉकडाउन ने भारत को तैयारी में मदद की

संसद के दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया. इसके बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन (Chief Economic adviser) ने आर्थिक सर्वेक्षण 2021 (Economic Survey) लांच किया. उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में तेज उछाल के साथ वापसी करेगी.

सुब्रमण्यन ने  कहा कि वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी -7.5 फीसदी रह सकती है. लेकिन वित्त वर्ष 2022 में यह 11 फीसदी रह सकती है. नॉमिनल तौर पर यह 15.4 फीसदी रह सकती है. सबसे खराब तौर पर भारत की 2022 से 2029 तक वास्तविक विकास दर भी पाता है तो भारत तेज गति से आगे बढ़ेगा. सरकार ने बुनियादी क्षेत्र पर ज्यादा खर्च किया है. 2004 से 2009 तक विकास दर 8 फीसदी के आसपास रही है.सरकारी खर्च और बढ़ाएगी.

सीईए ने आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) में  कहाकि लॉकडाउन के दौरान लोगों ने ज्यादा बचत की, बेतरतीब खर्च पर नियंत्रण रखा. इसका असर मांग पर पड़ा. अनिश्चितता के दौर में आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश के साथ भारत ने सुनियोजित तरीके से सिर्फ तत्कालीन आवश्यकताओं पर ध्यान दिया. पीडीएस के तहत सबको खाद्यान्न, गरीबों को खाते में पैसे, सस्ते कर्ज जैसे कदम उठाए. अनलॉक के दौरान मांग बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर2.0 और आत्मनिर्भर 3.0 कार्यक्रमों की घोषणा की. सब्सिडी, प्रोत्साहन स्कीम के साथ मोरेटोरेयिम जैसे कदमों से मदद की. 

सीईए ने कहा कि हमने बड़ी आर्थिक और मानवीय क्षति को अच्छी नीति के जरिये बचाया. लॉकडाउन के दौरान लोगों ने ज्यादा बचत की, बेतरतीब खर्च पर नियंत्रण रखा. इसका असर मांग पर पड़ा.सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण पर जोर देते हुए सरकार ने निजी क्षेत्र के हाथ में नियंत्रण देकर अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया है. भारत ने मांग आधारित कई सुधार आगे बढ़ाए हैं.

अनिश्चितता के दौर में आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश के साथ भारत ने सुनियोजित तरीके से सिर्फ तत्कालीन आवश्यकताओं पर ध्यान दिया. पीडीएस के तहत सबको खाद्यान्न, गरीबों को खाते में पैसे, सस्ते कर्ज जैसे कदम उठाए. अनलॉक के दौरान मांग बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर 2.0 और आत्मनिर्भर 3.0 कार्यक्रमों की घोषणा की. सब्सिडी, प्रोत्साहन स्कीम के साथ मोरेटोरेयिम जैसे कदमों से मदद की. 

सीईए ने कहा कि कम ब्याज दरों के कारण अर्थव्यवस्था को लाभ मिला है और आर्थिक विकास की गति तेज करने में यह सहायक है. अगर ब्याज दर विकास दर से ज्यादा होती है तो कर्ज जीडीपी की तुलना में ज्यादा रहता है. अर्थव्यवस्था अच्छी रहती है तो निजी क्षेत्र बेहतर प्रदर्शन करता है. लेकिन अर्थव्यवस्था की स्थिति न होने पर सरकार को आगे आना पड़ता है.

इस साल का आर्थिक सर्वे देश के कोरोना योद्धाओं को समर्पित है. सर्वेक्षण के कवर में डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की तस्वीर है. सीईए ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वी शेप रिकवरी की ओर बढ़ रही है. इकोनॉमिक सर्वे ऐप भी लांच किया गया है. इस साल का आर्थिक सर्वेक्षण ई बुक के रूप में पेश किया गया है. 

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 37 लाख मामलों को कम रखा है और मौतों का आंकड़ा एक लाख कम करने में कामयाबी पाई है. सख्त लॉकडाउन के कारण ऐसा संभव हो सका. सीईए ने कहा कि कहा गया कि बीसीजी टीके, भारत के वातारण के कारण यहां कोरोना केस कम रहे, लेकिन भारत के राज्यों में अलग-अलग असर रहा. लिहाजा लॉकडाउन ने ही असर दिखाया, जिससे हम महामारी से लड़ने के लिए तैयार कर सके और समन्वय के साथ आगे बढ़ सके. यूपी और राजस्थान ने कोविड पर काबू पाने में सबसे बेहतर काम किया है. 

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