जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को CRPF के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले के बाद जिस समय भारत और पड़ोसी पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था, उस समय बैलिस्टिक मिसाइलों से तैनात भारत की पनडुब्बी 'INS अरिहंत' पूरी करह काम कर रही थी और उसे तैनात भी कर दिया गया था. नौसेना ने युद्धक पोतों तथा परमाणु-संपन्न पनडुब्बियों की तैनाती और आवागमन को लेकर यदा-कदा दिए जाने वाले बयानों में से एक में कहा कि उस समय सबसे बड़े अभ्यास में शिरकत कर रही उसकी टुकड़ियों को पाकिस्तानी सेना के खिलाफ पूरी तरह तैयार रहने के मोड में डाल दिया गया था.
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नौसेना ने कहा, "भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने पर भारतीय नौसेना की प्रमुख युद्धक इकाइयों को, जिनमें INS विक्रमादित्य, परमाणु-संपन्न पनडुब्बियों तथा अन्य कई पोतों, पनडुब्बियों तथा विमानों वाला कैरियर बैटल ग्रुप भी शामिल था, तुरंत ही अभ्यास से ऑपरेशनल तैनाती के मोड में डाल दिया गया था..." अपने रक्षात्मक एस्कॉर्ट, रूसी परमाण-संपन्न पनडुब्बी INS चक्र, के साथ INS अरिहंत विशाखापट्टनम में मौजूद है, और नौसेना यह पुष्टि नहीं करेगी कि उन्हें तनाव के दौरान अरब सागर में भेजा गया था या नहीं.
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पाकिस्तान के निशाना बनाने के लिए अरिहंत को अरब सागर में तैनात किया जाना ज़रूरी है, क्योंकि के-15 पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली उस पर तैनात बैलिस्टिक मिसाइलें 750 किलोमीटर तक की दूरी का लक्ष्य ही भेद सकती हैं. हालांकि यह मुमकिन है कि नौसेना ने के-4 कहलाने वाली पनडुब्बी के लिए इससे ज़्यादा लम्बी दूरी तक मार करने में सक्षम मिसाइल को शामिल कर लिया हो. के-4 की रेंज 3,500 किलोमीटर है, और अगर अरिहंत बंगाल की खाड़ी में भी तैनात रहे, तो यह पाकिस्तान को निशाना बना सकती हैं.
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भारतीय नौसेना के 60 पोत, कोस्टगार्ड के 12 पोत तथा 60 विमान TROPEX अभ्यास में हिस्सा ले रहे थे, और अफ्रीका के पूर्वी तट सिंगापुर के मलक्का जलसंधि तक फैले हुए थे, जब उन्हें पुनः तैनाती का आदेश दिया गया.
INS विक्रमादित्य सहित भारतीय नौसेना के 60 पोतों को पाकिस्तान से तनाव के दौरान तैनात किया गया था...
भारतीय नौसेना ने कहा, "भारतीय नौसेना की तीनों दिशाओं में कहीं बेहतर क्षमता की वजह से पाकिस्तानी नौसेना विवश हुई कि वह मकरान तट के निकट ही तैनात रहे, और खुले समुद्र में न आए..." INS अरिहंत ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को रोकने के लिए की गई अपनी पहली गश्त को पिछले साल नवंबर में पूरा किया था. सिर्फ रूसी मदद से पूरी तरह भारत में निर्मित इस पनडुब्बी को शामिल करने से भारत ने अपना न्यूक्लियर ट्रायड पूरा किया था. इसका अर्थ होता है कि भारतीय फौजें अब परमाणु हथियारों को ज़मीन, हवा तथा समुद्र से चला सकती हैं.
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INS अरिहंत कई महीने तक लगातार पानी के नीचे रह सकती है, और क्रू के लिए भोजन आदि की व्यवस्था करने के लिए इसे बार-बार सतह पर नहीं आना पड़ता है. समाचार एजेंसी रॉयटर के अनुसार, "भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काबू से बाहर जाता लग रहा था और अमेरिका के NSA जॉन बोल्टन सहित अमेरिकी अधिकारियों के हस्तक्षेप से ही बड़ा संघर्ष टाला जा सका..." रिपोर्ट के अनुसार, "भारत, पाकिस्तान तथा अमेरिका में बैठे सरकारी सूत्रों तथा पश्चिमी राजनयिकों के मुताबिक, एक मौके पर भारत ने छह मिसाइलें पाकिस्तान पर दागने की चेतावनी दी थी, और पाकिस्तान ने कहा था कि वह 'तिगुनी ताकत' से पलटवार करेगा..."
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विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को लौटा दिए जाने के बाद तनाव क होने की रिपोर्टों के बावजूद भारत और पाकिस्तान की सशस्त्र सेनाओं के बीच तनाव जारी रहा. सूत्रों ने NDTV को बताया, भारतीय तथा पाकिस्तानी वायुसेनाओं की रक्षा प्रणाली हाई अलर्ट पर है, और दोनों के लड़ाकू विमान अपने-अपने आकाश में आक्रामक तरीके से उड़ रहे हैं. इसके अलावा लगभग रोज़ ही जम्मू एवं कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर दोनों ओर से भारी गोलाबारी की ख़बरें आम हैं.
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