मनमोहन सिंह की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
देश के प्रमुख न्यायाधीश दीपक मिश्रा के महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम शामिल नहीं है. हालांकि, कांग्रेस ने इसे तवज्जो ना देते हुए कहा कि पार्टी मुद्दे में अपने वरिष्ठ नेताओं को शामिल करना नहीं चाहती है. नोटिस पर सात राजनीतिक दलों के 71 राज्यभा सदस्यों ने हस्ताक्षर किया है जिनमें से सात सेवानिवृत्त हो गए हैं. कांग्रेस नेताओं गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल ने मुद्दे को लेकर कांग्रेस के बंटे होने और विपक्षी दलों में सहमति ना होने की खबरों को खारिज किया है. आजाद ने कहा कि कुछ दलों ने हस्ताक्षर किए और कुछ ने नहीं किए और उपलब्ध नहीं थे लेकिन सब समर्थन कर रहे हैं.
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यह पूछे जाने पर कि मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों में क्या सहमति नहीं है , सिब्बल ने कहा कि सहमति है. यह पूछे जाने पर कि मनमोहन सिंह फैसले के खिलाफ हैं. सिब्बल ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है. शुरुआत से ही यह गंभीर मुद्दा रहा है. यह कोई तुरंत बनने वाली कॉफी नहीं है. गंभीर एवं अच्छी तरह से सोचने समझने के बाद फैसला लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि चूंकि मुद्दा संविधान से जुड़ा है , हमने जानबूझकर डॉ मनमोहन सिंह को इसमें शामिल नहीं किया क्योंकि वह एक पूर्व प्रधानमंत्री हैं.
VIDEO: कांग्रेस ने दिया महाभियोग का प्रस्ताव.
वे लेाग जिनके मामले चल रहे हैं , हम उन्हें शर्मिंदा करना नहीं चाहते है. कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश को पद से हटाने का प्रस्ताव राजनीतिक दल पेश नहीं करेंगे , इसलिए इसे राजनीतिक रूप ना दें. यह किसी संस्थान की स्वतंत्रता से जुड़ा है और राजनीति से प्रेरित नहीं है. (इनपुट भाषा से)
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यह पूछे जाने पर कि मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों में क्या सहमति नहीं है , सिब्बल ने कहा कि सहमति है. यह पूछे जाने पर कि मनमोहन सिंह फैसले के खिलाफ हैं. सिब्बल ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है. शुरुआत से ही यह गंभीर मुद्दा रहा है. यह कोई तुरंत बनने वाली कॉफी नहीं है. गंभीर एवं अच्छी तरह से सोचने समझने के बाद फैसला लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि चूंकि मुद्दा संविधान से जुड़ा है , हमने जानबूझकर डॉ मनमोहन सिंह को इसमें शामिल नहीं किया क्योंकि वह एक पूर्व प्रधानमंत्री हैं.
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वे लेाग जिनके मामले चल रहे हैं , हम उन्हें शर्मिंदा करना नहीं चाहते है. कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश को पद से हटाने का प्रस्ताव राजनीतिक दल पेश नहीं करेंगे , इसलिए इसे राजनीतिक रूप ना दें. यह किसी संस्थान की स्वतंत्रता से जुड़ा है और राजनीति से प्रेरित नहीं है. (इनपुट भाषा से)
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