
चंडीगढ़. पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने आवारा पशुओं के काटने (Dogbite)से जुड़ी घटनाओं को लेकर बड़ा फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने मंगलवार को डॉगबाइट यानी कुत्ते के काटने के मामलों में मुआवजा तय किया है. बेंच ने कहा कि अगर कुत्ते के काटने से से दांत के निशान बनते हैं, तो पीड़ित को 10,000 रुपये प्रति दांत के निशान पर मुआवजा दिया जाए. इसके अलावा अगर कुत्ते के काटने से स्कीन पर घाव होता है या मांस निकल जाता है, तो प्रति 0.2 सेंटी मीटर घाव के लिए न्यूनतम 20000 रुपये मुआवजा दिया जाए.
हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार को कुत्ते के काटने की घटनाओं में मुआवजा देने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने इस फैसले के बाद 193 याचिकाओं का निपटारा किया. पंजाब और हरियाणा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को इस तरह के मुआवजे का निर्धारण करने के लिए संबंधित जिलों के उपायुक्तों की अध्यक्षता में समितियों का गठन करने का भी आदेश दिया गया है.
इस मामले पर हो रही थी सुनवाई
हाईकोर्ट आवारा, जंगली जानवरों के अचानक वाहन के सामने आने से चोटों या मौत के कारण होने वाली घटनाओं और दुर्घटनाओं के लिए पीड़ितों या उनके परिवार के सदस्यों को मुआवजे के भुगतान से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था.
'चिंताजनक स्थिति'
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस भारद्वाज ने कहा कि मौतों की बढ़ती संख्या और सड़कों पर आवारा जानवरों की बढ़ती खतरनाक दर चिंताजनक है. इसने मानव जीवन पर असर डालना शुरू कर दिया है. बेंच ने कहा कि इसलिए यह जरूरी है कि राज्य को अब बोझ साझा करना चाहिए और जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेनी चाहिए.
कैसे मिलेगा मुआवजा?
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि मुख्य रूप से मुआवजे का भुगतान करने की जिम्मेदारी राज्य की होगी. राज्य चाहे तो मुआवजे की रकम संबंधित आरोप शख्स, एजेंसी या विभाग से वसूल सकता है, जिसका कुत्ते से लिंक हो.
सरकार से गाइडलाइंस बनाने के आदेश
हाईकोर्ट ने कहा कि होने वाली किसी भी घटना या दुर्घटना के बारे में शिकायत मिलने के बाद पुलिस तत्काल कार्रवाई करे. इसके लिए राज्य सरकार गाइडलाइंस बनाए. हाईकोर्ट ने कहा कि कुत्ते के काटे जाने पर स्टेशन हाउस अधिकारी (एसएचओ) बिना किसी अनुचित देरी के डीडीआर (दैनिक डायरी रिपोर्ट) दर्ज करें. पुलिस अधिकारी किए गए दावे को वेरिफाई करेगा. गवाहों के बयान दर्ज करेगा और स्थल योजना और सारांश तैयार करेगा. रिपोर्ट की एक कॉपी दावेदार को भी दिया जाएगा.
2001 में लाया गया पशु जन्म नियंत्रण नियम
2001 से पहले नगर निगम के अधिकारी सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित रखने के लिए आवारा कुत्तों को इच्छामृत्यु दे सकते थे. 2001 में पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम (Animal Birth Control (Dogs) Rules) लाया गया. इसके तहत 'Street Dongs' यानी सड़क के कुत्ते नाम से एक कैटेगरी बनाई गई. इस नियम में कहा गया कि उन्हें "पशु कल्याण संगठनों, निजी व्यक्तियों और स्थानीय प्राधिकरण की भागीदारी" से प्रतिरक्षित किया जाना चाहिए. हालांकि, गंभीर रोग से ग्रसित या गंभीर रूप से घायल कुत्तों को छोड़कर सड़कों पर घूम रहे बाकी कुत्तों को इच्छामृत्यु दिए जाने को लेकर ये नियम स्पष्ट नहीं है.
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