सोनिया गांधी भले ही कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष बनी हों लेकिन वापसी होते ही दिग्विजय सिंह पूरी तरह से फॉर्म में आ गए हैं. यूपीए के शासनकाल में मध्य प्रदेश से लेकर दिल्ली तक खुलकर बयानबाजी करने वाले दिग्विजय सिंह को पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के कार्यकाल में खास तवज्जो नहीं मिल रही थी. हाल यह था कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने सार्वजनिक रूप से दर्द बयान करते हुए था, 'मेरे भाषण से कांग्रेस के वोट कटते हैं, इसलिए मैं रैलियों में नहीं जाता.' दरअसल उस समय चुनावी रैलियों में दिग्विजय सिंह नदारद रहते थे. मध्य प्रदेश की रैलियों में दिग्विजय सिंह का न होना कार्यकर्ता और मीडिया के बीच चर्चा का विषय था. इसकी एक वजह यह भी थी कि पार्टी के रणनीतिकारों को लगता था कि दिग्विजय सिंह के बयान पहले भी अच्छा-खासा नुकसान पहुंचा चुके हैं इसलिए उनसे उचित दूरी बनाए रखना ही ठीक है. यहां तक कि पोस्टरों में भी दिग्विजय सिंह नहीं दिखाए दे रहे थे. एक समय राहुल गांधी के राजनीतिक 'गुरु' कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह पार्टी में पूरी तरह से अलग-थलग पड़ते चले गए. इसी बीच वह प्रज्ञा सिंह ठाकुर के हाथों लोकसभा का चुनाव भी हार गए. लेकिन सोनिया गांधी के कार्यकाल के दौरान दिग्विजय सिंह पार्टी के नीति निर्धारकों में से एक थे और राजनीतिक लड़ाई और बयानबाजी में आगे रहते थे. उनके ऊपर सोनिया गांधी का विश्वास पूरी तरह से था.
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तभी ऐसा लग रहा है कि सोनिया गांधी के हाथ में एक बार फिर कमान आते ही दिग्विजय सिंह फॉर्म में आ गए हैं. 1 सितंबर को एक बार फिर उन्होंने चिरपरिचित अंदाज में बयान दिया कि 'बजरंग और भाजपा वाले आईएसआई से पैसा ले रहे हैं. इस पर थोड़ा ध्यान दीजिए. एक बात और कि पाकिस्तान के आईएसआई की जासूसी मुस्लिम से ज्यादा गैर मुस्लिम कर रहे हैं.' मामले को तूल पकड़ता देख दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर सफाई भी दी, 'कुछ चैनल चला रहे हैं कि मैंने भाजपा पर यह आरोप लगाया है कि वे ISI से पैसा ले कर पाकिस्तान के लिए जासूसी करते हैं. यह पूरी तरह से ग़लत है. बजरंग दल व भाजपा के आईटी सेल के पदाधिकारी द्वारा ISI से पैसे लेकर पाकिस्तान के लिए जासूसी करते हुए मप्र पुलिस ने पकड़ा है. मैंने यह आरोप लगाया है जिस पर मैं आज भी क़ायम हूं चैनल वाले ये सवाल भाजपा से क्यों नहीं पूछते'.
लेकिन दिग्विजय सिंह के फॉर्म में आने की सबसे बड़ी कहानी उस समय सामने आई जब कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार के 28 कैबिनेट मंत्रियों में से एक उमंग सिंघार ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि पर्दे के पीचे से दिग्विजय सिंह ही सरकार को चला रहे हैं. दरअसल कुछ दिन पहले दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश के मंत्रियों को पत्र लिखा था जिसमें पूछा था, ' मैंने जनवरी से 15 अगस्त 2019 तक स्थानांतरण सहित अन्य विषयों से संबंधित पत्र आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजे थे. उसमें मैंने मेरे पत्रों पर की गई कार्रवाई कराने या न होने की दशा में जानकारी देने का अनुरोध किया था. मेरे द्वारा प्रेषित पत्रों पर की गई कार्रवाई के बारे में जानने के लिए मैं आपसे मिलना चाहता हूं, इसके लिए समय प्रदान करने का कष्ट करें.
जब उनके पत्र पर राज्य के वन मंत्री उमंग सिंघार से पत्रकारों ने सवाल पूछे तो उन्होंने कहा कि यह पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह हैं जो वास्तव में पर्दे के पीछे से राज्य सरकार चला रहे हैं, 'माननीय दिग्विजय सिंह के बारे में ये कहूंगा सरकार पर्दे के पीछे से चला रहे हैं. ये सबको पता है जगज़ाहिर है, प्रदेश की जनता जानती है कांग्रेस का कार्यकर्ता जानता है उन्हें चिठ्ठी लिखनी की आवश्यकता नहीं है जब सरकार ही चला रहे हैं तो चिठ्ठी लिखनी की आवश्यकता क्यों'. फिलहाल देखने वाली बात यह है कि दिग्विजय सिंह का एक बार फिर फॉर्म में आना कांग्रेस को कितना फायदा पहुंचाता है या नुकसान.
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