दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास विभाग के अधिकारी द्वारा एक प्रेस रिलीज जारी कर यह बयान दिया गया है कि जून 2017 में पूर्व LG अनिल बैजल द्वारा बनाई गयी कमिटी की एक रिपोर्ट के आधार पर, दिल्ली महिला आयोग से कॉन्ट्रैक्ट पर गैर क़ानूनी तरीके से काम कर रहे 52 लोगों को हटाया गया है.
हालांकि, इससे पहले LG के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी द्वारा जो आदेश(29 अप्रैल) जारी किया गया था, उसमें बताया गया था कि कमिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली महिला आयोग द्वारा 223 पोस्ट क्रिएट किए जाने का प्रस्ताव गैर क़ानूनी है. क्योंकि DCW द्वारा पोस्ट क्रिएट करने के लिए LG, और फाइनेंस विभाग से अनुमति नहीं ली गयी थी.
पूर्व डीसीडब्ल्यू प्रमुख और आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "मेरे द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन के बाद'' संख्या कम कर दी गई. "क्या सरकार इसी तरह काम करती है? इस हिसाब से भी आयोग में केवल 38 कर्मचारी ही रहेंगे! 181 महिला हेल्पलाइन, रेप क्राइसिस सेल, क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर, महिला पंचायत, एसिड अटैक और पुनर्वास सेल 38 स्टाफ के साथ कैसे काम करेंगे ?"
स्वाति मालीवाल ने कहा कि एलजी साहब ने डीसीडब्ल्यू के सभी कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ को हटाने का 'तुगलकी' आदेश जारी किया है. आज महिला आयोग में कुल 90 स्टाफ हैं, जिनमें से सिर्फ 8 लोगों को सरकार ने दिया है बाकी सभी 3-3 महीने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर हैं. अगर सभी कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ को हटा दिया जाएगा तो महिला आयोग में ताला लग जाएगा. ये लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं. खून पसीने से बनाया गया है. इसे स्टाफ और सुरक्षा देने के बजाय आप इसे जड़ से नष्ट कर रहे हैं? जब तक मैं जीवित हूं, मैं महिला आयोग को बंद नहीं करने दूंगी.”
दिल्ली महिला आयोग के कर्मचारियों पर यह कार्रवाई जून 2017 में एक समिति द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के आधार पर की गई है. इसका गठन पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल ने फरवरी, 2017 में "अनियमित और अवैध रूप से सृजित पदों और संविदात्मक नियुक्तियों" की शिकायतों की जांच करने का आदेश दिया था. डब्ल्यूसीडी ने एक बयान में कहा है.
उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा जारी आदेश में दिल्ली महिला आयोग अधिनियम का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि पैनल में 40 कर्मचारियों की स्वीकृत संख्या है और 223 नए पद उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना बनाए गए हैं. आदेश में यह भी कहा गया है कि आयोग को संविदा पर कर्मचारी रखने का अधिकार नहीं है.
आरोप था कि दिल्ली महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने नियमों के खिलाफ जाकर बिना अनुमति के नियुक्तियां की थीं. एनसीटी दिल्ली सरकार ने 29 अप्रैल को लिखे एक पत्र में कहा, "महिला एवं बाल विकास विभाग (डीडब्ल्यूसीडी) ने 5 अक्टूबर, 2016 को पत्र के माध्यम से डीसीडब्ल्यू को फिर से सूचित किया कि डीसीडब्ल्यू द्वारा 10 सितंबर, 2016 को जारी आदेश को कोई मंजूरी नहीं मिली थी.
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